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Mangalwar Ke Upay: मंगलवार को हनुमान चालीसा की इन 5 चौपाइयों के जाप से सभी परेशानियों का होता है अंत

Mangalwar Ke Upay in Hindi: हिंदू धर्म में हर दिन का विशेष महत्व होता है। मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार के दिन माता काली का भी पूजा किया जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी परेशानियों का अंत हो जाता है। हनुमान चालीसा का हर चौपाई का विशेष महत्व होता है। तो ऐसे में आइए जानते हैं हनुमान चालीसा का कौन सा 5 चौपाई पढ़ना लाभदायक होता है:

हनुमान चालीसा की इन 5 चौपाइयों को पढ़ना होता है लाभदायक

1. भूत-पिशाच निकट नहीं आवे। महाबीर जब नाम सुनावे।।

अर्थ: हनुमान चालीसा की इस चौपाई को बहुत ही लाभदायक माना गया है। अगर किसी व्यक्ति को हमेशा किसी ना किसी चीज का भय सताता रहता है तो ऐसे व्यक्ति को रोज इस चौपाई का जाप करने से मन से भय समाप्त हो जाता है।

2. नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।।

अर्थ: जो व्यक्ति हमेशा किसी ना किसी तरह की बीमारियों से पीड़ित रहता हो उसे नियमित रूप से इस चौपाई को सुबह और शाम के समय हनुमान जी का नाम लेकर जाप करना चाहिए।

3. अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।

अर्थ: हनुमान चालीसा की ये चौपाई सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गई है क्योंकि हनुमान जी आठ सिद्धि और नौ निधियों को देने वाले भगवान हैं। हनुमान जी को ये वरदान माता सीता ने दिया है। अगर किसी व्यक्ति को जीवन में शक्तियों को प्राप्त करना है तो वैसे व्यक्ति को हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ जरूर करना चाहिए। 

4. बिद्यबान गुनी अति चातुर। रामकाज करीबे को आतुर।।

अर्थ: अगर किसी व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, विवेक, बुद्धि और धन दौलत चाहिए तो ऐसे व्यक्ति को हनुमान चालीसा की इस चौपाई का रोज जाप करना चाहिए। विद्या और चतुराई के लिए तो यह चौपाई बहुत ही उपयोगी और लाभदायक है।

5. भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।।

अर्थ: रामभक्त हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत ही उपयोगी होता है।

Mangalwar Ke Upay

ऐसे में अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं या किसी कार्य में बार-बार असफलता प्राप्त हो रही है तो इस चौपाई का कम से कम 108 बार जाप जरूर करना चाहिए। हनुमान चालीसा की चौपाई से शत्रुओं का नाश जरूर हो जाता है।

हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa Path)

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।


महावीर विक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन वरन विराज सुवेसा।

कानन कुण्डल कुंचित केसा।।


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

काँधे मूँज जनेऊ साजै।

शंकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग वन्दन।।


विद्यावान गुणी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया।।


सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

विकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे।।


लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।


सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।

नारद सारद सहित अहीसा।।


जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा।।


तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।

लंकेश्वर भये सब जग जाना।।

जुग सहस्र योजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।


राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डरना।।


आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै।।


नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।


सब पर राम तपस्वी राजा।

तिनके काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोई अमित जीवन फल पावै।।


चारों युग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे।।


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस वर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा।।


तुम्हरे भजन राम को भावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै।।

अन्त काल रघुबर पुर जाई।

जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।


और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेई सर्व सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।


जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहिं बंदि महा सुख होई।।


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा 

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

बोलो हनुमान जी की जय 🙏🙏



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