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Shakti Peeth Devi Temples: उत्तर प्रदेश में मां के शक्तिपीठों का करें दर्शन, भक्तों की मनोकामना होती है पूरी

Shakti Peeth Devi Temples in UP: शारदीय नवरात्र की शुरूआत इस साल 2022 में 26 सितंबर से हो रही है। नवरात्र में भक्त मां के मंदिरों में जयकारा लगाते हैं। नौ दिन मां के नवरात्रों की धूम चारों तरफ दिखाई देती है। उत्तर प्रदेश में मां के नवरात्र बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यूपी में मां अम्बे के बहुत पुराने और सिद्ध मंदिर है। जिनमें से मां के कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनका बखान पुराणों में मिलता है।

मां दुर्गा के भारत में 51 शक्तिपीठ है। इन शक्तिपीठ के बारे में पुराणों में बताया गया है कि जिस-जिस जगह देवी सती के शरीर के टुकड़े और वस्त्र गिरे थे, उन जगहों को शक्तिपीठ कहा गया है। 

हिंदू ग्रंथ देवी भागवत में 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया गया है। जबकि देवी गीता में 72 शक्तिपीठों के बारे में बताया गया है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठों के होने की जानकारी दी गई है। लेकिन अधिकतर धर्म शास्त्र 51 शक्तिपीठ का ही बयान करते हैं।

ऐसे में 51 शक्तिपीठ में से कुछ शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश में भी हैं। मां के शक्तिपीठ मंदिरों में वैसे तो पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्र पर यहां अपार भीड़ होती है। आइए आपको बताते हैं उत्तर प्रदेश में कहां-कहां शक्तिपीठ मंदिर है।

फोटो- सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश के शक्तिपीठ

प्रयाग शक्तिपीठ, प्रयागराज
Prayag Shaktipeeth, Prayagraj

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर के संगम तट पर माता सती के हाथ की अँगुली गिरी थी। जिसके चलते हिंदू ग्रंथों में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है। ये तीनों मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं। प्रयागराज में इस शक्तिपीठ को ललिता के नाम से भी जानते है।

विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी
Vishalakshi Shaktipeeth, Varanasi

वाराणसी में काशी विश्‍वनाथ मंदिर' से कुछ किलोमीटर की दूरी पर माता का विशालाक्षी मंदिर है। जिस जगह पर मंदिर वहां पर देवी सती के कान के मणिजड़ीत कुंडल गिरे थे। इस जगह को मणिकर्णिका घाट के नाम से भी जाना जाता है। यहां देवी को विशालाक्षी‍ मणिकर्णी और भैरव को काल भैरव रूप में पूजा की जाती है।

रामगिरि शक्तिपीठ, चित्रकूट
Ramgiri Shaktipeeth, Chitrakoot

यूपी के चित्रकूट में रामगिरि स्थान पर रामगिरि शक्तिपीठ है। इस जगह पर माता सती का दायाँ स्तन गिरा था। यहाँ माता सती को शिवानी और भैरव को चंड कहते हैं। माता का हार गिरने के कारण कुछ मैहर (मध्य प्रदेश) के शारदा देवी मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं, लेकिन कुछ चित्रकूट के शारदा मंदिर को शक्तिपीठ मानते हैं। पर दोनों ही तीर्थ स्थल माने गए हैं।

श्री उमा शक्ति पीठ, वृन्दावन
Shri Uma Shakti Peeth, Vrindavan

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन तहसील श्री उमा शक्ति पीठ है। मां के इस मंदिर को कात्यायनी शक्तिपीठ भी कहते है। इस पवित्र जगह पर माता के बाल के गुच्छे और चूड़ामणि गिरे थे। साथ ही ये भी बताया जाता है कि यहाँ राधारानी ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए पूजा की थी। उमा शक्तिपीठ में माता सती उमा हैं और भैरव को भूतेश कहते हैं।

पंच सागर शक्तिपीठ, वाराणसी
Panch Sagar Shaktipeeth, Varanasi

यूपी के वाराणसी में विशालाक्षी शक्तिपीठ के अलावा के माँ वराही पंच सागर शक्तिपीठ है। बताया जाता है कि इस शक्तिपीठ की कोई निश्चित जगह नहीं ज्ञात की जा सकी है, लेकिन यहां माता सती के नीचे के दातं गिरे थे। तबसे यहां की शक्ति माता वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। मां शक्तिपीठ देवी वराही एक बोना का सिर है। मां अपने हाथ में एक चक्र, शंख, तलवार लिए हुए हैं।

पाटेश्वरी देवी शक्तिपीठ, बलरामपुर
Pateshwari Devi Shaktipeeth, Balrampur

यूपी के बलरामपुर में पाटन देवी शक्तिपीठ है। यहां मां का बायां स्कन्ध गिरा था। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यहां माता सती का पाटन वस्त्र गिरा था। फिलहाल देवी भागवत, स्कंद पुराण, कलिका पुराण और शिव पुराण में इस पवित्र स्थान का बखान हुआ है।

माता की शक्तिपीठ में एक अखंड ज्योति जल रही है। इस अखंड ज्योति को लेकर ऐसी मान्यता है कि ये त्रेता युग से लगातार जल रही है।





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