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Sonbhadra: खलियारी गोलीकांड के खुलासे का पुलिस का दावा, पीड़ितों ने थ्योरी पर उठाए सवाल

Sonbhadra: खलियारी में सरेबाजार दो पत्रकारों को मारी गई गोली के मामले में मुख्य शूटर का आसानी से भभुआ की कोर्ट में आत्मसमर्पण और अब इसको लेकर शुक्रवार को पुलिस की तरफ से किए गए खुलासे को लेकर, गोलीकांड का शिकार हुए पत्रकार सवाल उठाने लगे हैं। वहीं, दूसरे पत्रकारों ने भी पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाए और प्रकरण के सीबीसीआईडी (CBCID) जांच की मांग की। कहा कि एक तो जहां घटना के अगले दिन ही मुख्य शूटर की पहचान सामने आने के बाद, आरोपियों की तलाश में लापरवाही बरती गई। वहीं अब एक ऐसी थ्योरी पर खुलासे का दावा किया जा रहा है जो कहीं से मौका-ए-वारदात और इस दौरान सामने आई चर्चाओं पर सटीक नहीं बैठती।

पुलिस की तरफ से घटना को लेकर बयां की गई वह कहानी 

एएसपी ऑपरेशन विजयशंकर मिश्रा (ASP Operation Vijayshankar Mishra) ने रायपुर एसओ प्रणयप्रसून श्रीवास्तव (Raipur SO Pranaiprasoon Srivastava) की तरफ से घटना में संलिप्त एक आरोपी के गिरफ्तारी को लेकर शुक्रवार को पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस की। दावा किया कि इस सनसनीखेज घटना का अनावरण कर लिया गया है। इस मामले में बृजेश जायसवाल पुत्र रामचंद्र जायसवाल निवासी ग्राम पाही, थाना चांद, जनपद कैमूर, भभुआ, बिहार और कृष्णा यादव पुत्र कोमल यादव निवासी डूमरकोन, थाना चैनपुर, भभुआ, बिहार का नाम प्रकाश में आने की जानकारी दी।


एएसपी ने कहा कि पकड़े गए बृजेश जायसवाल के पास से घटना में प्रयुक्त पिस्टल बरामद कर ली गई है। एएसपी ने दावा किया कि पूछताछ में आरोपी बृजेश जायसवाल ने बताया कि है कि वह अपने साथी कृष्णा यादव के साथ जान से मारने की नियत से फायर किया था। खलियारी बाजार में कुछ दिन पहले उनमें एक व्यक्ति से विवाद हो गया था जिसके क्रम में उसने और कृष्णा ने अपने-अपने हथियारों से उन पर जानलेवा हमला किया।

इस सवालों को लोग नहीं ढूंढ़ पा रहे जवाब

लोगों के साथ ही पीड़ित पत्रकारों का कहना है कि घटना के दिन प्रत्यक्षदर्शियों ने स्पष्ट रूप से देखा था कि बाइक पर पीछे बैठे व्यक्ति ने फिल्मी स्टाइल में दोनों हाथों में असलहे लेकर दोनों से गोली चलाई थी और बाइक चला रहा बदमाश बगैर रूके बाइक लेकर आगे बढ़ता चला गया, लेकिन पुलिस की थ्योरी में दोनों बाइक सवारों द्वारा गोली चलाए जाने का दावा किया जा रहा है। वहीं चलती बाइक में दोनों बदमाशों द्वारा गोली चलाने की थ्योरी लोगों के गले नहीं उतर रही है। घटना के अगले दि नही पुलिस को कृष्णा यादव के घर तक पहुंचने की जानकारी छनकर सामने आने लगी थी। बावजूद एक सप्ताह बाद, शूटर कृष्णा आसानी से पुराने मारपीट के मामले में आत्मसमर्पण करने में कैसे कामयाब हो गया, इसको लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। मामूली विवाद पर किसी को गोली मार देने, वह भी ऐसे व्यक्ति, जिसके खिलाफ शराब तस्करी, अपहरण जैसे संगीन अपराधों के मामले भभुआ के विभिन्न थानों में दर्ज हैं।

नहीं हुआ किसी से विवाद, पता नहीं पुलिस ने कैसे गलत थ्योरी पर लगा दी मुहर: पीड़ित पत्रकार

घटना के पीड़ित पत्रकार श्यामसुंदर पांडेय (Journalist Shyamsunder Pandey) और लड्डू पांडेय (Journalist Laddu Pandey) ने कहा कि उनका किसी से कोई विवाद नहीं हुआ था न ही गोली मारते वक्त वहां बाइक रूकी थी। बाइक चलते हालत में गोली मारी गई थी। पता नहीं, पुलिस ने गलत थ्योरी पर केसे मुहर लगा दी और इसके खुलासे के लिए लगाई गई टीम ने किन हालातों में आरोपी की बातों पर विश्वास कर लिया और एसपी को न जाने कौन सी जानकारी देकर संतुष्ट किया, यह वह नहीं समझ पा रहे हैं। जिस समय घटना हुई, वहां आस-पास कई लोग मौजूद लोग थे और उन्होंने इस घटना को देखा भी। कहा कि उन्हें पुलिस की इस थ्योरी पर जरा भी विश्वास नहीं है। उन्होंने मामले की उच्चाधिकारियों से जांच कराने याया फिर इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंपे जाने की मांग की।



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