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Chitrakoot Mein Mandir: चित्रकूट आएं तो जरूर जाएं कामदगिरी मंदिर, इन धार्मिक स्थलों की बहुत मान्यता

Chitrakoot Mein Mandir: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में पयस्वनी नदी के तट पर बसे चित्रकूट में साल के 12 महीने पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां पर धार्मिक स्थलों के अलावा पर्यटकों के घूमने के लिए बहुत सारी जगहें हैं। पहाड़ों के बीच इस चित्रकूट में यहां आने वाले पर्यटकों को शांति का अनुभव होता है। ऐसे में अगर आप यहां घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां पर दर्शन के लिए बहुत सारे धार्मिक स्थान हैं। आइए यहां के प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में आपको बताते हैं।

चित्रकूट के प्रसिद्ध मंदिर (Famous Temples of Chitrakoot)

रामघाट (Ramghat)

चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम, भगवान लक्ष्मण और माता सीता ने अपने निर्वासन के दौरान इस घाट पर स्नान किया था। जिसके बाद से इस घाट का नाम राम घाट पड़ा।

हनुमान धारा (Hanuman Dhara)

चित्रकूट में हनुमान धारा प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। भगवान हनुमान को समर्पित इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को 350 सीढ़ियां चढ़ना होता है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान हनुमान ने लंका जलाने के बाद इस पहाड़ी से ही छलांग लगाई थी, जिसके बाद गुस्सा शांत करने के लिए वो ठंडे पानी में खड़े हुए थे। भगवान हनुमान को समर्पित इस मंदिर में तभी से हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।

सती अनुसुइया मंदिर एवं आश्रम (Sati Anusuiya Temple and Ashram)

चित्रकूट में मंदाकिनी नदी के तट पर माता अनुसुईया मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहावत है कि जहां सती अनुसुइया अपने बेटे और पति के साथ रहती थी। यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के मन को यहां बहुत शांति का एहसास होता है। नदी में बारे में कहावत है कि मंदाकिनी नदी का निर्माण हुआ जिसने किसी समय कस्बे में अकाल को पूर्ण समाप्त कर दिया।

गुप्त गोदावरी (Gupt Godavari)

पर्यावरण और प्रकृति की चाहत रखने वाले लोगों को गुप्त गोदावरी काफी अच्छी जगहों में से है। धार्मिक स्थलों में घूमने की जगहों में चित्रकूट पर्यटकों को काफी पसंद आता है। यहां संकरी गुफा में पानी हमेशा चलता रहता है। पर्यटकों इसी गुफा से होते हुए मंदिर की यात्रा तय करते हैं।

कामदगिरि मंदिर (Kamadgiri Temple)

चित्रकूट में कामदगिरी मंदिर की बहुत मान्यता है। चित्रकूट जाने पर कामदगिरी मंदिर जरूर जाना चाहिए। सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक कामदगिरी मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लग रहती है। धार्मिक शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि कामदगिरि मंदिर पहाड़ी पर स्थित है जहां भगवान राम, भगवान लक्ष्मण और देवी सीता अपने वनवास के दौरान निवास करते थे। बता दें, कामदगिरी मंदिर के परिक्रमा करनी पड़ती है, लेकिन ये परिक्रमा काफी आसान होती है। हर अमावस्या के दिन भक्त मंदाकिनी नदी में स्नान करने के बाद कामदगिरी मंदिर की परिक्रमा करते हैं।

लक्ष्मण पहाड़ी (Laxman Pahari)

चित्रकूट के प्रसिद्ध मंदिरों में लक्ष्मण पहाड़ी है। लक्ष्मण पहाड़ी मंदिर कामदगिरि पहाड़ी के नजदीक में है। जब आप कामदगिरि की परिक्रमा शुरू करते हैं, तो बीच यात्रा में ही इस पहाड़ी के दर्शन कर सकते हैं। लक्ष्मण पहाड़ी जाने के लिए रोपवे भी चलती है। जिसका किराया एक तरफ का प्रति व्यक्ति 40 रूपए है।

ऊपर पहाड़ी में पहुंचने पर आपको राम, लक्ष्मण, भरत जी का मंदिर मिलेगा। मंदिर के पास में ही पहाड़ी में खंभे बने हुए हैं। इन खंभे को भेटना पड़ता है। मतलब की इन खंभों से आपको गले लगना होता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भरत जी से पहाड़ी पर आए थे। उस दौरान भगवान राम के गले लगे थे। तभी से इन खंभों को भेटना जरूरी होता है।

भरत-मिलाप मंदिर (Bharat-Milap Temple)

चित्रकूट में परम कुटीर के पास भरत-मिलाप मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने भाई भरत से मुलाकात की थी। आज भी भरत-मिलाप मंदिर में भगवान राम के पद चिन्हों के निशान दिखाई देते हैं।

स्फटिक शिला (Sphatik Shila)

चित्रकूट में धार्मिक स्थलों में स्फटिक शिला भी आती है। इस शिला का दर्शनीय और पौराणिक दोनों महत्व है। यहां पर भगवान राम और माता सीता ने अपने निर्वासन के दौरान इसी पत्थर पर काफी ज्यादा समय गुजारा था। इसलिए ये स्फटिक शिला पौराणिक मान्यता रखती है। इस शिला पर भगवान राम और माता सीता के पैर की छाप आज भी बनी हुई है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्फटिक चट्टान देखने में जितनी मनोरम लगती है, उतनी ही चिकनी और ठंडी है।

कालिंजर किला (Kalinjar Fort)

बांदा में चित्रकूट के पास इस किले की अपनी अलग एक शान है। किसी समय यहां पर चंदेल शासक शासन किया करते थे। पर्यटकों को यहां के इतिहास के रूबरू होने पर अवसर मिलता है।



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