नई दिल्ली: शुक्रवार को पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इस कदम से भारत ने खुद को ‘अलग-थलग’ कर लिया है। देश और विदेश में इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों की लाइन लंबी है। सीएए कानून पारित होने के बाद भारत को लेकर नजरिया बदला है।
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एक कार्यक्रम में मेनन ने कहा कि कई विद्वानों ने विवादित कानून के लागू होने के बाद इसके प्रतिकूल असर पर चर्चा की। मेनन ने कहा, इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसके आलोचकों की लंबी फेहरिस्त है।
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शिवशंकर मेनन ने एक कार्यक्रम में कहा कि कानून पारित होने के बाद भारत को लेकर दुनिया का नजरिया बदला है। इस कार्यक्रम में कई विद्वानों ने विवादित कानून के लागू होने के बाद इसके प्रतिकूल असर पर चर्चा की। मेनन ने कहा, इस कदम से भारत ने खुद को अलग-थलग कर लिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इसके आलोचकों की सूची लंबी है।
पिछले कुछ महीने में भारत के प्रति नजरिया बदला है। यहां तक कि हमारे दोस्त भी हैरान हैं। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, हाल के दिनों में हमने जो हासिल किया वह हमारी (भारत की) मौलिक छवि को पाकिस्तान से जोड़ता है, जो एक असहिष्णु देश है।
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उन्होंने कहा कि दुनिया पहले क्या सोचती थी इसके बजाय हमारे लिए वह अधिक मायने रखता है कि अब क्या सोचती है उन्होंने कहा कि भागीदारी नहीं करना या अकेले जाना कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के (सीएए जैसे) कदम से हम खुद को दुनिया से काटने और अलग-थलग करने की ठान चुके हैं।’’ प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान देने वाले अन्य विद्वानों में जोया हसन, नीरजा जयाल और फैजान मुस्तफा एवं अन्य शामिल थे।
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