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प्रसिद्ध हम्पी गाँव और मंदिर का इतिहास | Hampi history in Hindi

Hampi – हम्पी एक गाँव और मंदिर का शहर है, जिसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साईट का भबी दर्जा दिया है, और हम्पी में हमें बहुत से इतिहासिक स्मारक और धरोहर दिखायी देते है। हम्पी भारत के उत्तरी कर्नाटक में स्थित है। अपने समय में यह दुनिया के सबसे विशाल और समृद्ध गाँवों में से एक था। यह विजयनगर शहर के खंडहरों में ही स्थित है, और यह जगह अपने ज़माने में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। हम्पी धर्म के लोग भी विजयनगर में ही रहते थे और उन्होंने अपने साम्राज्य में विरूपाक्ष मंदिर और बहुत से इतिहासिक स्मारकों का निर्माण भी किया था। 2014 के सांख्यिकी आँकड़ो के अनुसार, हम्पी गूगल पर खोजी जाने वाली कर्नाटक की सबसे प्रसिद्ध जगह है। हम्पिर साम्राज्य का सैन्य बल काफी मजबूत था जिनमे तक़रीबन 2 मिलियन पुरुष थे। 1500 AD के आस-पास विजयनगर में तक़रीबन 5,00,000 निवासी रहने लगे थे, और उस समय यह बीजिंग के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर था और यह पेरिस की तुलना में कुल 3 गुना बड़ा है।

प्रसिद्ध हम्पी गाँव और मंदिर का इतिहास – Hampi history in Hindi

सम्राट अशोक के माइनर रॉक शिलालेख नुत्तुर और उडेगोलन के अनुसार यह साम्राज्य 3 री शताब्दी के दौरान अशोक साम्राज्य का ही भाग था।
हम्पी का पहला समझौता पहली CE में हुआ था।

विजयनगर के राजा के कुछ समय पहले ही, उनका क्षेत्र कम्पिली के प्रमुखों के हाथो में चला गया था, जो अभी एक छोटा गाँव है, और हम्पी से 19 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।

कहा जाता है की कम्पिली की स्थापना अन्नर बाड़ा के गायत्री गिरी ने की थी। गायत्री गिरी, गिरी साम्राज्य की उत्तराधिकारिणी थी जिसने अपने राज्य की सुरक्षा के लिये अपनी एक विशाल सेना की निर्मिती कर रखी थी। गायत्री गिरी ने स्थानिक लोगो की आर्थिक स्थिति को सुधरने के लिये बहुत सी धनराशी दान भी की और हजारो गरीबो को दिन-दुखियो की सहायता वह करती थी।

गायत्री गिरी का सबसे बड़ा योगदान दक्षिण भारत में रहा है, जहाँ उन्होंने सार्वजानिक शौचालय और जानवरों के रहने के लिये घर बनाने की व्यवस्था की। जानवरों के शेड के खंडहर आज भी हमें रामेश्वरम और थंजवुर में देखने को मिलते है। कहा जाता है की गायत्री का मैसूर की रानी प्रेमला तापूनिया पर प्रेम था, लेकिन उनके इस प्रस्ताव को प्रेमला ने बर्खास्त कर दिया था और इससे गायत्री के दिल पर काफी गहरा असर पड़ा। इसके बाद प्रेमला ने हुमानावार्नाम के राजा सुरेशा पल्लवा से विवाह कर लिया था।

1343 से लेकर 1565 तक हम्पी, विजयनगर साम्राज्य की सबसे प्रसिद्ध और बेहतरीन राजधानियों में से एक थी। हम्पी का चुनाव इसकी सामरिक जगह की वजह से किया गया था, जहाँ तुंगभद्र नदी भी थी और जो तीनो तरफ से रक्षात्मक पहाडियों से घिरी हुई थी।

हम्पी के खंडहरों की खोज सन 1800 में कर्नल कोलिन मच्केंजि ने की थी।

इस जगह का महत्त्व इतिहासिक और वास्तुकला दोनों रूप में है। यह जमीन पूरी तरह से विशाल पत्थरो से लाजमी है, जिसका उपयोग जैन देवताओ को बनाने के लिये किया गया था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने भी इस जगह पर उत्खनन का काम कर कयी बहुमूल्य रत्न और पत्थर को खोज निकाला है। जिनमे कुछ मंदिर और इतिहासिक धरोहर भी शामिल है।

यहाँ स्थापित इस्लामिक क्वार्टर को कभी-कभी मूरिश क्वार्टर भी कहते है, जो उत्तरी मल्यावंता पर्वत और तलारिगत्ता गेट के बीच बना है।

आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार, उच्च श्रेणी के मुस्लिम अधिकारी और दरबार के मुख्य व्यक्ति और मिलिट्री ऑफिसर इस जगह पर रहते है।

धार्मिक इमारते –

हम्पी में बहुत से प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जिनमे हमें वेदांत धर्मशास्त्र का प्रभाव भी दिखाई देता है, हम्पी के कुछ मंदिरों में आज भी भगवान की पूजा की जाती है। इन सभी मंदिरों में प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिरों के नाम निचे दिये गए है –

• बडवीलिंग – यह हम्पी के सबसे बड़े लिंग का छायाछित्र है। जो लक्ष्मी नरसिम्हा मूर्ति के बाजू में ही स्थित है। यदि ध्यान से हम इस लिंग को देखे तो हमें इसमें तीन आँखे भी दिखायी देती है जिन्हें शिवजी की तीन आँखे भी माना जाता है। कहा जाता है की इसे किसान महिला द्वारा बनाया गया था और इसीलिए इसका बाण बडवा रखा गया था, प्राचीन समय में बडवा गाँव के गरीब लोगो को कहते थे। जिस पवित्र स्थान पर शिवजी के लिंग को स्थापित किया गया है वह जगह हमेशा पानी से भरी हुई होती है और हमेशा वहा बहता हुआ पानी रहता है। हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार गंगा नदी सूखे को बुझाने के लिये स्वर्ग से धरती पर आयी थी। लेकिन नदी का बहाव इतना तेज़ था की इसने धरती को दो भागो में ही बाँट दिया। और इसीलिए शिवजी ने गंगा को अपनी जटा से बहने की आज्ञा दे दी थी। और तब ही से शिवजी की जटा से धीरे-धीरे शीतलता से गंगा बहती है। इसीलिए जब भी हम कही शिवजी के मंदिर में शिवलिंग देखते है तो उसके उपर से पानी हमेशा टपकता हुआ हमें दिखाई देता है।

• यंत्रोधारक आंजनेय मंदिर

• चंद्रमौलेश्वर मंदिर

• मल्यावंता रघुनाथास्वमी मंदिर प्राचीन भारतीय शैली की वास्तुकला में बनाया गया है। मल्यावंता रघुनाथास्वमी मंदिर जमीन से 3 किलोमीटर निचे बना हुआ है। इसकी अंदरूनी दीवारों पर अजीब दिखावा किया गया है और मछली और समुद्री जीवो की कलाकृतियाँ भी बनायी गयी है।

• हजारा राम मंदिर कॉम्प्लेक्स – यह एक खंडहर मंदिर है जिसे हिन्दू धर्मशास्त्र में काफी महत्त्व दिया गया है। यह मंदिर 1000 से भी ज्यादा लकडियो की खुदाई और शिलालेख और रामायण की प्राचीन कथा के लिये जाना जाता है।

मंदिर में प्रसिद्ध संगीतमय पिल्लर बने हुए है। ब्रिटिश हमेशा से ही इस चमत्कार के पीछे के कारण को जानना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने यह देखने के लिये की पिल्लर के अंदर तो कुछ नही उन्होंने दो पिल्लरो को तोडा भी था। लेकिन पिल्लर में उन्हें ऐसा कुछ नही मिला जिससे आवाज़ निकलती हो। आज हमें ब्रिटिशो द्वारा तोड़े गए वो दो पिल्लर दिखाई देते है।

मंदिर से लगा हुआ जो रोड है वहा एक समय में घोड़ो को बेचने का बाज़ार हुआ करता था। आज भी हमें खंडहर के रूप में बाज़ार दिखाई देता है। मंदिर में भी हमें घोड़े बेचने वाले कुछ लोगो के छायाचित्र दिखाई देते है।

• अच्युतराया मंदिर

• मुस्लिम सुन्नी मस्जिद

• प्रेक्षा मंदिर और समूह

• सासिवेकालू गणेशा

• विरूपाक्ष मंदिर साधारणतः पम्पवाठी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह प्राचीन मंदिर हम्पी के बाज़ार में है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य की स्थापना से भी पहले का मंदिर है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर 160 फूट का एक ऊँचा टावर भी है। भगवान शिवजी के अलावा इस मंदिर में भुवनेश्वरी और पम्पा की मूर्तियाँ भी बनी हुई है।

• अंडरग्राउंड शिव मंदिर

हम्पी के आस-पास की कुछ प्रसिद्ध जगहे –

• श्री लक्ष्मी नरसिम्हा
• भीम गेट
• अनेगोंडी
• अन्जेयानाद्री गणेशा
• झील (सनापुर)
• तुंगभद्र नदी
• उद्दण वीरभद्र मंदिर
• वीरुपपुरा बसवन्ना
• तलारिगत्ता गेट
• तेनाली राम मंडप

हम्पी में मंदिरों की खुबसूरत श्रुंखला है इसलिए इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।

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