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Vinoba Bhave In Hindi | विनोबा भावे जीवनी

पूरा नाम    – विनायक नरहरि भावे
जन्म         – 11 सिंतबर 1895.
जन्मस्थान  – गागोदे (जि. रायगड).
पिता         – नरहरि भावे
माता         – रुक्मिणी भावे

Vinoba Bhave In Hindi

भारतीय संस्कृति में ॠषी परंपरा का दुवा ऐसी पहचान विनोबा भावे / Vinoba Bhave की जा सकती है. अनेक धर्मो के तत्त्वज्ञान का अभ्यास, सर्वोदय और अहिंसा की विस्तार की रचना और science को अध्यात्म से जोड़ना ऐसी विनोबा की सोच भगवतगिता के भाष्यकार से स्वतंत्रता सेनानी ऐसी बहोत सी भूमिकाये उन्होंने अच्छी से निभायी.

रायगड जिले के गागोदे इस गाव में 11 सिंतबर 1895 को जन्मे विनोबाने वाई के प्राज्ञपाठ स्कूल में भारतीय परंपरा वैसेही वैदिक संस्कृति का अभ्यास किया. लेकिन विनोबा का वैशिष्ट्य मतलब की वो सिर्फ ज्ञानार्थी नाही थे, तो कृतिपर ही उनका विश्वास था. स्वातंत्र पूर्व समय के सविनय सत्याग्रह के आंदोलन में पहले सत्याग्रही के रूप में महात्मा गांधी ने उन्हें चुना था. आधुनिक राजकीय विचारो के विषय में उनका अभ्यास था. और भारतीय संस्कृति और जिंदगी जीने का तरीका इनमे विशेष आकर्षण था. इस Interest में से उन्होंने धुले के जेल में कैदी यों के सामने भगवद्गीता के विषय में प्रवचन दिया.

महात्मा गांधी के जैसी ही विनोबा को भी प्राचीन भारत के आश्रम के जीवन के विषय में विशेष  आस्था थी. गांधीजीने वर्धा में स्थापन किये हुये सेवाग्राम आश्रम में विनोबा का शुरुवाती दौर में रहते थे. बादमे वर्धा  में ही उन्होंने पवनार आश्रम की स्थापना की. आखिर तक वो वही रहे.

विनोबाने किया हुवा ‘सब भूमी गोपाल की’ का नाश उस समय में भारत में बहोत गूंजा. विनोबा खुद को विश्व नागरिक समजते थे इसीवजह से अपने किसी भी लेख अथवा संदेश के आखीर में वो ‘जय जगत’ ऐसा याद से लिखते थे.

हिंदु, मुस्लिम, ख्रिचन वैसेही बौद्ध ये सभी धर्म को लोगों में संघर्ष के अलावा प्रेम, बंधुभाव और शांतता की शिक्षा उन्होंने दी. इसी दृष्टिकोण के वजह से उन्होंने हिंदू के धर्म ग्रथों के जैसे ही मुस्लिम, और ख्रिस्ती इन धर्म ग्रंथो का भी उन्होनें अभ्यास किया.

लोगों-लोगों में का फर्क भुलकर शांती और प्रेम का मार्ग दिखानेवाली विश्वधर्म की स्थापना होनी चाहिये इसलिये विनोबाने सर्वोदय की योजना बनायीं.

आचार्य विनोबा भावे / Acharya Vinoba Bhave का स्वांतत्र्योतर समय में महत्वपूर्ण कामगिरी मतलब भूदान आंदोलन इस आंदोलन में जमीनदारों ने उनके जमीन का छटवां हिस्सा उन्हें दान में देना जिनके पास जमीन नहीं. ऐसी विनोबा ने मांग की. 1951 में नक्षलवादी समूह ने आंध्रप्रदेश के तेलंगना हिस्से में जमीनदारो के खिलाफ सहस्त्र संघर्ष शुरू कराने के बाद विनोबाने अपना ‘भूदान आंदोलन’ व्यापक किया. पंतप्रधान पं. जवाहरलाल नेहरू को मिलने के लिये वो दिल्ली को चलकर गये. उसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओरिसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र ऐसे अनेक राज्यों से 1951 से 1964 ऐसे 14 साल विनोबा ग्रामदान के आंदोलन के लिये देशभर पैदल घुमे. खुदके उम्र के 55 से 68 इतने साल 40 हजार मैल चलकर उन्होंने देश का बड़ा सवाल जनता के पास जाकर सुलझाने का प्रयास किया. ग्रामदान, संपत्तीदान ये आंदोलन चलाये. और दूसरी तरफ कंचनमुक्ती, ॠषीशेती जैसे खेत के विषय में प्रयोग (Experiment) भी किये.

लेकिन 1975 को देश में आनीबानी की घोषणा होने की जब उन्होंने ‘अनुशासन पर्व’ के रूप में समर्थन किया. तब उनकी भूमिका वादग्रस्त साबीत हुयी. भूदान आंदोलन की संकल्पना और उसे मिलने वाली सफलता ये भी ऐतिहासिक साबीत हुवा.

हमेशा सर्वोदया की सोच रखने वाले विनोबाने उनके ‘मधूकर’ इस पत्रिका में इस विषय पर अच्छा लिखा. बायबल और कुराण पर भाष्य वाला उनका ग्रंथ भी विद्वतमान्य समझा जाता है. धुले जेल में विनोबाने गीता पर किये ये प्रवचन का शब्दाकंन सानेगुरुजी ने किया. वो ‘गिताप्रवचने’ नाम से प्रसिद्ध है. ‘गीताई’ ये विनोबा की साहित्यकृति सबसे लोकप्रिय है.

इ.स. 1982 में विनोबा भावे इन्होंने प्रयोपवेशन करके स्वेच्छा मरण स्वीकार किया. भारत सरकारने 1983 को उन्हें मरणोत्तर ‘भारतरत्न’ ये सर्वोच्च किताब देकर उनके कार्यो का और योगदान का गौरव किया.

ग्रंथ संपत्ती –
1) ‘ॠग्वेद्सार’
2) ‘ईशावास्य वृत्ती’
3) ‘वेदान्तसुधा’
4) ‘गुरुबोधसार’
5) ‘भागवतधर्मप्रसार’

Note :- आपके पास About Vinoba Bhave In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद… कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारी विनोबा भावे के बारे में Wikipedia ली गयी है.
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