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Joan Of Arc History | जोन ऑफ आर्क का इतिहास


पूरा नाम – जोन ऑफ आर्क.
जन्म – इ.स. 1412.
जन्मस्थान – दोमरेमी
पिता – इसाबेल रोमी
माता – जैक्स आर्क

Joan Of Arc

जोन ऑफ आर्क / Joan Of Arc  ये प्रखर राष्ट्रनिष्ठा का प्रतिक मानी जाती थी. वो पंद्रहवीं सदी में फ्रान्स की एक थोर संत और योध्दा थी. जोन ऑफ आर्क का जन्म एक सामान्य किसान के परिवार में हुवा. उस वजह से वो ज्यादा शिक्षा नहीं ले पायी. जोन ऑफ आर्क/Joan Of Arc  पुरे 19 साल तक जिंदगी जी. लेकीन इस कम समय में ही फ्रान्स की राष्ट्रीय अस्मिता जागृत करने का कार्य उन्होंने किया.
इ.स. 1337 से इंग्लंड के खिलाफ जंग शुरू थी. इतिहास में ये जंग ‘जंग सदी’ के रूप पहचानी जाती है. ये जंग फ्रेन्च भूमी पर ही लढी जा रही थी. दोनों तरफ के सेना के हमेशा हमले के वजह से फ्रेन्च के गाव बरबाद हो चुके थे. फ्रान्स का बहोत सा हिस्सा अंग्रेजो ने काबु में कर लिया था. उसी में फ्रान्स के अंतर्गत यादवी माजून सरदारों में दरार गिरी थी. इस समय में फ्रान्स को खंबीर नेतृत्व की जरुरत थी. लेकीन फ्रान्स का राज घराना कमजोर था. फ्रान्स की इस परिस्थिती का पूरा फायदा उठाने का अग्रेंजो की योजना थी.
जोन ऑफ आर्क/Joan Of Arc का जन्म 1412 को लौरेन के दोमरेमी इस छोटेसे गाव में हुवा था. बचपन से ही वो धार्मिक वृत्ती की थी. 13 साल की उम्र में उसे दिव्य अनुभव आया. मुझे कुछ महान ईश्वरी कार्य पूरा करना है ऐसा दृढ़ विश्वास जोन के दिल में उस वजह से निर्माण हुवा.
1428 को अंग्रेजोने ओर्लेऑ को घेर लिया. फ्रान्स के गद्दिका वारिस दौफिन चार्ल्स से एकनिष्ठ हुये शहरों में से ओर्लेऑ ये एक महत्त्वपूर्ण शहर है. इस शहर पर जीत की वजह से फ्रान्स का बहोतसा हिस्सा अंग्रेजो के प्रभाव में था. जोन तब 17 साल की थी.
दौफिन चार्ल्स का वास्तव्य चिलोन यहाँ था. व्हॅऊ कौलेथर इस शहर के राज्यपाल को उन्होंने दौफिन तक पहुचाने का आव्हान किया. उन्होंने पहले उसपर ध्यान नहीं दिया. लेकीन दूसरी बार उसकी मांग पूरी की. दौफिन की उसके साथ अकेले में बड़ी देर तक चर्चा चली. इस विषय में ऐसी धारणा है की जोन को दृष्टांत होते है की नहीं इसकी खातिर जमा होने के बाद दौफिन ने अपने सैन्य के सुत्र जोन के हाथो में सोपी.
जोन ने योद्धा का लिवाज पहन के घोड़े पर स्वार होकर हात में झंडा और तलवार लेकर फ्रेन्च सैन्य का नेतृत्त्व किया. 29 अप्रैल 1429 को उसके सैनिकोने ओर्लेऑ में प्रवेश किया. 4 मई से 8 मई इस समय में अंग्रेजो के खिलाफ हुये युद्ध में अंग्रेजो को पीछे हटना पड़ा. उनको भाग जाना पड़ा. इस युद्ध में जोन को तीर लगने के वजह से वो जखमी हुयी. उसके सैनिकों का धैर्य कम होने लगा. लेकीन जोन ने खुद की हाथो से तीर निकाला और वापिस चढ़ाई करके अपने सैनिको का मनोबल बढ़ाया. उसके बाद जून 1429 में जोन और उसके सैनिकों को ने सफलता पूर्वक चढ़ाई करके बहोत से शहर वापिस अपने काबु में कर लिये.
17 जूलै 1429 को रहाईम्स यहाँ दौफिन चार्ल्स का राज्याभिषेक संपन्न हुआ. उस समय जोन योद्धा ने लिवाज में घुटने टेक कर बैठी थी. आगे पॅरिस शहर पर चढ़ाई करके उसे काबु में लेना जोन का ध्येय था. लेकीन पॅरिस लढाई में उसकी हार हुयी. आखीर 23 मई 1430 को कौम्प्येन्य के लढाई ने बर्गेंन्डी के ड्युक के सैनिको ने जोन को पकड़ा. बर्गेन्डी के ड्युक ने दस हजार सुवर्ण फ्रॅन्क्स बदले में जोन को अंग्रेजो के हवाले किया.
जनवरी 1431 में रुआन यहाँ के धार्मिक न्यायालय में जोन के खिलाफ मामला शुरू हुआ. उसपर चुड़ैल होने का इल्जाम लगाया गया. जोन के बचाव के लिये, उसकी बाजु रखने के लिये किसी को भी नियुक्त नहीं किया गया. उसकी तरफ से कोई गवाह नहीं बुलाया गया. बहोत हुशारी से जजों को चुना गया. लेकीन उसने अपने को मिलने वाले संदेश ईश्वरीय है यही एक सत्य है ऐसा कहा. आखीर अग्नी का डर दिखा कर जोन से एडमिशन जबाब पर दस्तखत हासील की. उसका योध्दा का लिवाज उतारकर स्त्रीयों का लिवाज दिया गया. 28 मई 1431 को जोन ने अपना कबुली जवाब पीछे लिया और मैंने कोई भी पाप नहीं किया ऐसा निक्षून कहा, उसके बाद धार्मिक न्यायालय ने उसे जिंदा जलाने की सजा सुनाई. 30 मई 1431 को use सजा के अनुसार जलाया गया. एक खास बात ये है की जिस दौफिन चार्ल्स को जोन के गद्दीपर बिठाया गया. उसने जोन को छुड़ाने के लिये कुछ भी नहीं किया !
जोन के इस हौतात्म्य से उसकी प्रखर राज्यनिष्ठा का दर्शन होता है. इस हौतात्म्य से पूरा फ्रान्स जल उठा. राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुयी. उसके मौत के बाद अंग्रेजो का धैर्य कम हुआ. उनमे दोषी होने की भावना उत्पन्न हुई. आगे 25 साल के समय में फ्रान्स की तरफ से अंग्रेजो की पूरी तरह से हार हुई. जोन पर हुये अन्याय को धो डाल ने की फ्रेन्च जनताने उत्स्फुर्तता से मांग की. 1456 में जोन पर रुआन यहाँ के मामला की चर्च की तरफ से पूरी जांच की और उसे निर्दोष साबीत किया गया. उसके बाद पांच सो साल बाद मतलब 1920 में जोन ऑफ आर्क को संतपद बहाल किया गया.
शौर्य, साहस, प्रखर नेतृत्त्व और निर्धार ये उसके असाधारण गुण थे. फ्रेन्च लोगों में राष्ट्रीयता की भावना उसने जागृत की थी. आगे 14 वे लुई ने इसी राष्ट्रीयता के भावना को साथ में लेकर फ्रान्स को वैभव के ऊँचाई पर ले गये, फ्रेन्च राज्यक्रांती के समय में भी जोन ऑफ आर्क का प्रखर राष्ट्रवाद प्रेरणादायी रहा.

Note :- आपके पास About Joan Of Arc In Hindi मैं और Information हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट और ईमेल मैं लिखे हम इस अपडेट करते रहेंगे. धन्यवाद… कुछ महत्त्व पूर्ण जानकारीजोन ऑफ आर्क के बारे में Wikipedia ली गयी है.
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