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राम कृष्ण ऐतिहासिक अवतार को विद्वान शोषण हेतु कथा में क्यूँ दर्शाते हैं?

अभी हाल में राज्य सभा में माता सीता के जन्म स्थान और उनके वास्तविक अस्तित्व को लेकर कुछ लोगो ने प्रश्न उठाए, जिसका हिन्दू समाज की और से सरकार ने उत्तर दिया कि श्री राम और माता सीता वास्तव में अवतरित हुए थे, और यह आस्था का प्रश्न नहीं है, इतिहास है ! 
उसी तरह से श्री कृष्ण पर भी प्रश्न उठते रहे हैं, लकिन हिन्दू समाज उनको भी ऐतिहासिक पुरुष और ईश्वर अवतार मानता है | उपरोक्त कथन में कही कोइ संदेह है भी नहीं, होना भी नहीं चाहीये |
यहाँ तक तो सत्य है कि आस्था इसमें मात्र चर्चा के लिए इतनी मानी जा सकती है कि श्री राम और श्री कृष्ण या माता सीता , जो वास्तव में इतिहास का अंग हैं, वे अवतरित ईश्वर भी थे, लकिन यह एक अलग विषय है | अलग विषय इसलिए है कि जानबूझ कर संस्कृत विद्वानों और धर्मगुरुओ ने इन अवतारों को कभी भी इतिहास मान कर समाज के सामने प्रस्तुत नहीं करा |
सब जानते हैं कि इतिहास में किसी के पास अलोकिक शक्ति नहीं होती है, हो भी नहीं सकती, नहीं तो वोह कथा का स्वरुप ले लेगी, इतिहास का अंग नहीं रहेगी , लकिन समाज के अंदरूनी शोषण हेतु तो यह आवश्यक था की इन एतिहासिक अवतारों को अलोकिक शक्ति से लादा जाए, ताकि समाज भावनात्मक रहे, उसकी सोच गुलामी की रहे | और यही अब तक हुआ है |

इसीलिये हिन्दू समाज को घेरने के लिए राज्य सभा में यह बात उठाई, जिसका हिन्दू समाज की और से सरकार ने पूर्ण उत्तर दिया | 
पढीये:: माता सीता के लिए मंत्री से भिड़ गए DIGVIJAY SINGH 

तो अब यह भी समझ ले कि अवतार और साधारण मानव में अंतर क्या होता है ...अगर..अलोकिक शक्ति का प्रयोग नहीं हो सकता हो, जैसा की इतिहास के लिए अनिवार्य है |

बहुत आसान उत्तर है:
मानव के सारे निर्णय कभी भी सही नहीं हो सकते |
और ...
अवतार के सारे निर्णय पूरी तरह से सही होंगे और उनको अधिक अच्छा या बुरा नहीं करा जा सकता | यानी की, अवतार का हर निर्णय, हर कर्म आपको एक धर्म प्रस्तुत करेगा, जो की आज के समय में पूरी तरह से उपयोगी होगा |

इसीलिये अवतार के इतिहास को ‘दूसरा वेद’ भी कहा जाता है |

“दुसरे वेद” का स्पष्टीकरण आवश्यक है; वेद, पुराण. रामायण, महाभारत समस्त ग्रन्थ कोडेड हैं, यानी कि उनका सीधा अनुवाद नहीं हो सकता |
फिर से :::
वेद, पुराण. रामायण, महाभारत समस्त ग्रन्थ कोडेड हैं, यानी कि उनका सीधा अनुवाद नहीं हो सकता |
लकिन क्या यह बात संस्कृत विद्वानों ने बताई ?

और इसका एक प्रमाण यह भी है कि रामायण महाभारत और पुराणों से धर्म के स्थान पर अनेक अधर्म बताए जाते हैं, 
जो की किसी भी मानक से...फिर से ..
किसी भी मानक से अधर्म हैं, और क्यूँकी समाज की गु,लाम मानसिकता है, उसको स्वीकार कर लेता है |

‘अधर्म बताया जाता है’...यह ऐसा विषय है जो की शिक्षित वर्ग , जो हिन्दू समाज है, वोह तुरंत समझ लेगा, लकिन समाज इतना भावनात्मक हो चूका है, कि गुलामी मंजूर है, लकिन सोच नहीं बदलनी....और यही उद्देश संस्कृत विद्वानों और धर्मगुरूओ का है |

अब उपर जो कहा गया है कि कोडेड ग्रन्थ है, उसका लाभ क्या है:

कोडेड ग्रन्थ का लाभ यह है कि समाज की अवस्था और क्षमता के अनुसार, आप इन ग्रंथो को समाज को समझा सकते हैं | महाभारत में इसके अतिरिक्त एक और कोड भी है, और पूरी स्पष्ट से गणेश व्यास संवाद इसका उल्लेख करता है |

समझने की बात है कि गणेश जी वचनबद्ध थे कि बिना समझे कुछ नहीं लिखेंगे, और उनकी भी लेखनी रुक जाती थी, 
तो ..
यह संस्कृत विद्वान गणेश जी से अधिक बुद्धिमान कैसे हो गए कि उन्होंने सबका अनुवाद कर डाला और इस विषय(ग्रन्थ कोडेड हैं) का कोइ उल्लेख नहीं करा | नहीं सिर्फ शोषण हो रहा है |
सनातन धर्म मैं समाज मैं धर्म का कार्मिक भाघ घटाने और बढाने के लिए बहुत सुंदर और आसान तरीका उपलब्ध है, जो की नीचे दिया है !

ध्यान से पढ़े :
अवतार (उदहारण: श्री राम, और श्री कृष्ण) का इतिहास यदि अलोकिक और चमत्कारिक शक्तिओं से भरपूर होगा, जैसा की आजादी से पहले था, तो हिंदू समाज को कर्महीन बनाएगा !
और 
यदि बिना अलोकिक और चमत्कारिक शक्तिओं के होगा तो हिंदू समाज को कर्मठ बनाएगा !
इस सत्य की जानकारी कोइ भी समाज सम्बंधित विशेषयज्ञ दे देगा !
यह भी पढ़ें:
समाज को कर्मठ बनाना है तो पुराण प्रभु के अवतरण को इतिहास मानो कथा नहीं
हमें भक्त नहीं कर्मठ हिंदू समाज चाहिए 


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