देवो के देव महादेव के वैसे तो कई मंदिर ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं पर नेपाल स्थित ज्योतिर्लिंग पशुपतिनाथ (pashupatinath mandir) की महिमा ही अलग हैं, इस ज्योतिर्लिंग को केदारनाथ (kedarnath jyotirling) का हिस्सा माना जाता हैं.नेपाल के काठमांडू में स्थित देवपाटन गांव में पशुपतिनाथ का मंदिर बागमती नदी के किनारे स्थित हैं.
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यह मंदिर हिन्दू मंदिर हैं. इस मंदिर में हिन्दू ही प्रवेश पा सकते हैं , गैर हिन्दुओ को मंदिर में प्रवेश की मनाही हैं.वे बागमती नदी के किनारे से ही इसके दर्शन कर सकते हैं. यह मंदिर भी यूनेस्को की सूची में सूचीबद्ध हैं. यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक और विरासत धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा हैं.
मंदिर में पुजारी के रूप में दक्षिण भारत के भट्ट ब्राह्मण को ही गद्दी प्राप्त हैं , मान्यता हैं मंदिर का निर्माण का निर्माण तीसरी सदी में हुआ हैं , पर मंदिर का जो स्वरूप अभी हैं उसका निर्माण राजा भूपलेंद्र मल्ला ने करवाया .
Pashupatinath Mandir Nepal history
पशुपतिनाथ मंदिर (pashupatinath temple) के इतिहास को जानने के लिए सर्वप्रथम केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा (kedarnath jyotirling ki katha ) को जानना जरुरी हैं , क्युकी पशुपतिनाथ का इतिहास केदारनाथ से जुड़ा हुआ हैं, पांडवो के मन में महाभरत युद्ध के बाद जब (भातृ वध के पश्च्यात) ग्लानि भर गयी और वे भोलेनाथ के दर्शन के लिए भटकते भटकते पहले काशी, फिर हिमालय तत्पश्च्यात केदार पहुंच गए .
पर शिव उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे , इसलिए शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया, लेकिन भीम ने बैल को पहचान लिया , जैसे ही बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा , भीम ने बैल की पीठ को पकड़ लिया, पांडवो की भक्ति और एकनिष्ठा देखकर शिव प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देकर पाप से मुक्त कर दिया. इस प्रकार पीठ का हिस्सा केदारनाथ में रह गया और पशु वाला हिस्सा पशुपतिनाथ में प्रकट हुआ .शिव का पावन धाम पशुपति नाथ धर्म और संस्कृति की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं.
Pashupatinath Mandir ka Rahasya
पशुपतिनाथ (Pashupatinath Mandir) की महिमा भी अनोखी हैं , यह मंदिर रहस्य से परिपूर्ण हैं .कहते हैं यहाँ शिव आज भी विराजमान हैं. यहाँ स्थित पशुपतिनाथ लिंग के चार स्वरुप हैं,ये चार स्वरुप चार गुणों को प्रकट करते हैं, शिव का जो स्वरुप दक्षिण की और हैं उसे अघोर कहते हैं,शिव का जो स्वरुप पूर्व की ओर स्थित हैं उसे तत्पुरुष कहते हैं ,
शिव का उत्तरी स्वरुप अर्धनारीश्वर कहलाता हैं, शिव का पश्चिमी स्वरुप सद्योजात ओर जो मुख ऊपर की ओर हैं , उसे ईशान कहते हैं.शिव का ईशान स्वरुप सबसे महत्वपूर्ण माना जाता हैं , इस जगत के स्वामी के रूप में शिव को ईशान कहा जाता हैं.
शिव के नाम अघोर का महात्मय भी बहुत व्यापक हैं जो पापी मनुष्यो को भी पवित्र कर दे वह अघोर हैं.सद्योजात का अर्थ हैं जिसकी प्रवृति बालको के समान पवित्र , स्वच्छ हो. तत्पुरुष का अर्थ हैं जो आत्मा को स्थिति लाभ में रख सके .अर्धनारीश्वर का अर्थ जो स्त्री शक्ति को भी साझा करे.वही हैं अर्धनारीश्वर .
Importance of Pashupatinath Temple
पशुपतिनाथ मंदिर (Pashupatinath Mandir) की महत्ता न केवल भारत और नेपाल बल्कि विदेशो में भी हैं.मंदिर का माहात्म्य अगर हम कहे तो यह मान्यता हैं जो भी भक्त पशुपतिनाथ (pashupatinath temple) के दर्शन करता हैं ,उसे पशु योनि प्राप्त नहीं होती हैं. इसके अलावा यह भी मान्यता हैं जो भी यहाँ पर सबसे पहले नंदी का दर्शन करता हैं उसे पशु योनि प्राप्त होती हैं. इसलिए पहले नंदी के दर्शन न करे . मंदिर में देश विदेश से लोग आध्यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं.यहाँ पर बैठकर ध्यान भी करते हैं.
Pashupatinath Mandir Mandsaur
मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ की महिमा भी पशुपतिनाथ (ePashupatinath Mandir) के समान हैं, पशुपतिनाथ में शिव की चार मुख वाली मूर्ति हैं, वही मंदसौर में शिव की आठ मुख वाली मूर्ति हैं. यह मूर्ति लगभग 4000 साल प्राचीन हैं . शिव की इस मूर्ति की उचाई लगभग सवा सात फ़ीट की हैं. और गोलाई सवा ग्यारह . शिव की यह प्रतिमा बहुत भव्य और आकर्षक हैं.
pashupatinath temple darshan timings
पशुपतिनाथ हिन्दुओ का एक प्रमुख मंदिर हैं जो नेपाल में स्थित हैं. पाशपतिनाथ शिव नेपाल के आराध्य देव हैं. यहाँ सिर्फ हिन्दुओ को आने की आज्ञा हैं गैर हिन्दू का प्रवेश यहाँ पर वर्जित हैं. पशुपतिनाथ केदारनाथ से जुड़े होने के कारण इसकी महिमा और भी बढ़ जाती हैं , न केवल भारत बल्कि देश विदेश से भी पर्यटक इसे देखने आते हैं.पशुपतिनाथ के दर्शन का समय इस प्रकार हैं,
दर्शन का समय प्रात: काल -4:00 AM से 12:00 PM
संध्याकाल – 5:00 PM से 9:00 PM तक
मंदिर के द्धार अपराह्न 12 बजे से संध्याकाल 5 बजे तक बंद रहते हैं.
महादेव भोले का यह पावन धाम पशुपतिनाथ हिन्दुओ की श्रद्धा और आस्था का केंद्र हैं. न केवल धर्म बल्कि आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देश विदेश से सैकड़ो भक्त यहाँ पर दर्शन के लिए आते हैं और , आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्राप्त करते हैं.नेपाल में स्थित पशुपतिनाथ (Pashupatinath Mandir) का यह पावन मंदिर आध्यात्म का प्रतीक हैं. यहाँ पर शिवरात्रि ( shivratri) का त्यौहार बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.
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