देवल प्रतिहार राजपूतों का इतिहास – Dewal Pratihar Rajput History
प्रतिहार राजपूतों की एक शाखा देवल है। इस शाखा के प्रतिहार राजस्थान के जालौर जिले मे आबाद है। इनकी मान्यता है की इनका पूर्वज जगथंब प्रतिहार भीनमाल आये थे और इनके दो पुत्र हुए लखमीवर और प्रयाग । प्रयाग ने विं. सं. 1347 मे सुंधा पहाड़ पर लोहागल में अपना राज्य कायम किया। उसका पुत्र चाउदे हुआ, जिसके चार पुत्र हुए। देवल, शुककड, उगदा और भीमा। देवल के वंशज देवल प्रतिहार कहलाये। इनका राज्य लोयाणे मे था। इस शाखा में कुंवर नरपालदेव देवल बडा वीर हुआ। एक बार उसका शत्रुओं की बडी सेना से मुकाबला हुआ, जिसमें उसका वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए सिर कट गया। सिर कटने के बाद भी वह युद्धरत रहा, जिससे शत्रु सेना भयभीत हो गई। मुगलों के मेवाड़ पर आक्रमण और दबाव बढ जाने पर महाराणा प्रताप अपने वीर साथियों के परिवार के साथ मारवाड में गोड़वाड़ क्षेत्र के सुंधामाता के पहाडो पर चले गये। वहां पर लोहियाणा के देवल प्रतिहार ठाकुर राय धवल ने महाराणा प्रताप का बडा स्वागत – सत्कार किया और हर प्रकार का साधन और सत्कार उन्हें उपलब्ध कराया। उसने अपनी पुत्री का विवाह भी महाराणा प्रतापसिंह के साथ कर दिया। महाराणा प्रताप ने ठाकुर रायधवल लोहियाणा को राणा का खिताब दिया, जो उसके वंश मे चलता रहा। लोहियाणे के सालजी राणा पर जोधपुर महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय के समय में उनके भाई सर प्रताप ने सेना भेजी, उसमें सालजी राणा युद्ध करके मारे गए। लोहियाणा का नाम बदलकर जसवंतपुरा कर दिया तथा सालजी के पुत्र को सिणेला की जागीर दी। देवल प्रतिहार का एक अन्य ठिकाना मालवाडा था। वहां के ठाकुर दुर्जन सिंह स्वतंत्र पार्टी से राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे। भीनमाल पर जो प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम का राज्य था ये उन्ही के वंशज है, देवल प्रतिहार । चाउदे के अन्य तीन पुत्रों से शूक्कड के वंशज कुकड, उगुदा के गुदा तथा भीमा के वंशज भारडिया प्रतिहार कहलाते है। जालौर क्षेत्र के जसवंतपुरा, रानीवाडा पहाडपुरा मुख्य ठिकाने है । इन क्षेत्रों में काफी अच्छी संख्या में देवल प्रतिहार है एवं रानीवाडा विधानसभा से वर्तमान विधायक नारायणसिंह देवल है।
जय नागभट्ट।।
जय मिहिरभोज।।
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