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Kamada Ekadashi | कामदा एकादशी का महत्त्व, व्रत कथा व पूजा विधि

Chaitra Ekadashi | Kamada Ekadashi | Kamada Ekadashi Vrat Katha | Kamada Ekadashi Puja Vidhi | Kamada Ekadashi Puja Shubh Muhurt | Falada Ekadashi | Significance of Kamada Ekadashi in Hindi

Kamada Ekadashi Details in Hindi : चैत्र महीने की शुक्‍ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह हिंदू नववर्ष यानी संवत्सर की यह पहली एकादशी होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस द‍िन व्रत रखने का व‍िधान है। इस बार यह एकादशी 27 मार्च को है। यह एकादशी चैत्र नवरात्र और रामनवमी के बाद आती है।  पद्म पुराण के अनुसार इस दिन व्रत तथा व‍िध‍िपूर्वक भगवान व‍िष्‍णु की उपासना करने से से प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है व सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं। मान्यता के अनुसार जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है उससे अधिक पुण्य एक मात्र कामदा एकादशी व्रत करने से मिलता है।

शास्त्रों में काम, क्रोध और लोभ इन तीन को पाप का मूल कारण माना गया है। काम पीड़ित होने पर व्यक्ति के अंदर अच्छे बुरे का फर्क करने की क्षमता खत्म हो जाती है। ऐसे ही पापों से मुक्ति के लिए शास्त्रों में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने का विधान है। इस एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

कामदा एकादशी 2018 की तिथि और शुभ-मुहूर्त | Kamada Ekadashi Shubh Muhurt :

एकादशी तिथि प्रारंभ: 03 बजकर 43 म‍िनट (27 मार्च 2018)
एकादशी तिथि समाप्त: 01 बजकर 31  मिनट (28 मार्च 2018)
पारण का समय: 06 बजकर 59 मिनट से 08 बजकर 46 मिनट (28 मार्च 2018)
पारण के दिन हरि वास का समय समाप्त: 06 बजकर 59 म‍िनट (28 मार्च 2018)

कैसे करें कामदा एकादशी का व्रत? | How to perform Kamada Ekadashi Vrat :

कामदा एकादशी के द‍िन भगवान व‍िष्‍णु की पूजा का व‍िधान है. इस द‍िन सुबह जल्दी उठकर पव‍ित्र स्नान (पवित्र नदियों / जलाशयों में या नहाने के पानी में गंगाजल छिड़क कर) करना चाहिये। नहाने के बाद भगवान विष्णु का फल, फूल, दूध, पंचामृत और तिल से पूजन करें. तत्‍पश्‍चात सत्‍य नारायण की कथा पढ़ें।  कामदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्‍त को इस द‍िन अनाज ग्रहण नहीं करना चाहिए। रात में सोने के बजाय भजन- कीर्तन करें। अगले द‍िन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

कामदा एकादशी व्रत की कथा | Kamada Ekadashi Vrat Katha :

धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! मैं आपको कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं। अब आप कृपा करके चैत्र शुक्ल एकादशी का महात्म्य कहिए, श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे धर्मराज!

प्राचीन काल में भोगीपुर नामक नगर था, वहां पुण्डरीक नामक राजा राज्य करते थे। यह नगर काफी खुशहाल था। बताया जाता है कि इस नगर में अनेक अप्सरा, किन्नर तथा गंधर्व वास करते थे। उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था, यह दोनों स्त्री-पुरुष अत्यंत वैभवशाली घर में निवास करते थे।

एक दिन गंधर्व ललित दरबार में गाना गा रहा था। गाते गाते उसको अपनी पत्नी ललिता की अचानक याद आ गई। इससे उसका स्वर, लय एवं ताल सब बिगड़ने लगे। इस घटना के बारे में कर्कट नामक नाग ने जान लिया और यह बात राजा को बता दी। राजा ने क्रोध में आकर ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया।

यह बात जब उसकी पत्नी ललिता को पता चला तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने अपने पति के उद्धार का यत्न सोचने लगी। उसने श्रृंगी ऋषि के आश्रम में जाकर प्रार्थना करने लगी। श्रृंगी ऋषि बोले कि हे गंधर्व कन्या! तुम कौन और यहां क्यों आई हो। तब ललिता ने अपने बारे में सारी जानकरी ऋषि को दे दी और उनसे अपने पति के उद्धार के लिए उपाय मांगा।

ऋषि बोले अब चैत्र शुक्ल एकादशी आने वाली है, जिसका नाम कामदा एकादशी है। कामदा एकादशी का व्रत कर उसके पुण्य का फल अपने पति को देने से वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा। ललिता ने मुनि की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत का फल देते ही उसका पति राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हुआ। फिर अनेक सुंदर वस्त्राभूषणों से युक्त होकर ललिता के साथ विहार करने लगा। उसके पश्चात वे दोनों विमान में बैठकर स्वर्गलोक को चले गए।

कामदा एकादशी का महत्‍व : Significance of Kamada Ekadashi in Hindi :

पौराण‍िक मान्‍यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत जो भी जातक सच्चे मन से रखता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस द‍िन व्रत करने करने से समस्‍त पापों का नाश होता है और मृत्‍यु के बाद स्‍वर्गलोक की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म  सबसे बड़ा पाप ब्रह्महत्या होता है। कहा जाता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से इस महापाप से भी मुक्ति मिल सकती है।

प्रेत योनि से मिलती है मुक्‍ति | Salvation from Preta Yoni

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत रखने से प्रेत योनि से भी मुक्ति मिल सकती है। वैसे तो प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली दोनों एकादशियों का अपना विशेष महत्व होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कामदा एकादशी कहलाती है। इसका महत्‍व इसलिए भी काफी होता है क्‍योंकि यह हिंदू संवत्सर की पहली एकादशी होती है। ऐसा माना जाता है कि यह बहुत ही फलदायी होती है इसलिये इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से सभी पाप नष्ट होते हैं तथा प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।

कामदा एकादशी के दिन क्या करें क्या न करें | What to do or not to do on Kamada Ekadshi :

शास्त्रों के अनुसार व्रत रखने वाले को दशमी तिथि के दिन से ही मन में भगवान विष्णु का ध्यान शुरू कर देना चाहिए और काम भाव, भोग विलास से खुद को दूर कर लेना चाहिए। जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हें सदाचार का पालन करना चाहिए। जो यह व्रत नहीं भी करते हैं उन्हें भी इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू से परहेज रखना चाहिए।

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