Gondala Mata – Dungarpur : राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित आदिवासी मीणों की कुलदेवी गोंदला माता का विवरण देते हुए डॉ. रघुनाथ प्रसाद तिवारी अपनी पुस्तक ‘मीणा समाज की कुलदेवियां’ में लिखते हैं कि “आदिवासी संस्कृति में देवी उपासना आदिकाल से प्रचलित है। इन्ही में गोंदला माता जी का प्राचीन स्थान वनवासियों की श्रद्धा का केंद्र है। यह डूंगरपुर से 20 कि.मी. दूर बसी ग्राम पंचायत की पर्वतीय उपत्यकाओं में तालाब के किनारे दुर्गम पहाड़ी पर उपस्थित है।
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यह मंदिर शीतला माता का है जिसे वनवासी ‘गोंदला माता’ के नाम से पूजते हैं। इसके गर्भगृह में देवी शीतला मैया की बहुत पुरानी मूर्ति है। नवरात्रि में यहाँ ग्रामीण श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। राघव छट पर गोंदला माता का मेला भरता है। आमतौर पर देवी मंदिरो में कामना पूरी होने पर जहां फल,पुष्प आदि सामग्री चढाई जाती है, वहीं इस मंदिर पर मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु देवी मैया के दरबार में जीवित बकरियाँ छोड़ जाते हैं।
तालाब की पाल पर मेलार्थी जमा होकर प्रकृति का आनंद लेते हैं। महुए का आटा व पानी मिलाकर ढोकले बनाते हैं। अगले दिन सुबह शीतला माता के मंदिर पर भोग चढ़ाते हैं। इसके बाद घर जाकर सपरिवार भोजन करते हैं।
श्रद्धालु अपनी मन्नत के लिए मंदिर में बाधाएँ (बोली-बाधा) लेते हैं। ये बाधाएं मेले के दिन छोड़ी जाती है। श्रद्धालुओं की बोली व बाधा पूरी होने पर वे जीवित बकरी लाते हैं और मंदिर के सामने लाकर देवी चरणों में छोड़ देते हैं। यहाँ दर्शनार्थ सभी वर्ग के लोग आते हैं।
गोंदला(गोंदल) माता आदिवासी मीणों की माता है। ”
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