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मानसिक स्थिती

मानव अपने जीवन में विभिन्न परिस्थितियों  से गुजरता है कभी खुश होता है किसी कारण  से तो कभी दुखी होता है किसी कारण से, जब वह छोटा होता है तो उसे खेलना और खाना अच्छा  लगता है, जब वह जवान होता है तो उसे दोस्तों का साथ, घुमना फिरना पसन्द  होता है और जब वह थोड़ा बड़ा होता है तो परिवार का साथ समय व्यतीत करना चाहता है और बुढ़ापे में जब इंसान को मदद की जरूरत होती है वह चाहता है कि अन्य उसके  साथ समय व्यतीत करे और उसे सम्मान दे परन्तु आज की भागम भाग की जिंदगी में सभी इतने  व्यस्त  है कि अपने बुजुर्गों को बहुत कम समय दे पाते है जिसके कारण परिवार के वृद्ध सदस्य अपने आप को उपेक्षित महसूस करते है | 
हमारे धर्मशास्त्रों में भी कहा गया है की मानव इस जग में अकेला आता है और अकेला जाता है | यह शरीर मात्र एक वेशभूषा की तरह है और सगे - संबंधी , दोस्त , नातेदार सभी रास्ते  में मिलने  वालो की तरह है और माता-पिता तथा गुरु को ईश्वर के सामान समझना चाहिये | ईश्वर ही केवल एक सत्य है वही इंसान के साथ हमेशा रहता है चाहये दुःख का समय हो या सुख के पल, इसलिए हमें हमेशा हर समय अपने कर्मो को करते हुए ईश्वर का ध्यान और याद ऱखना चाहिये भागम भाग की ज़िन्दगी में माता - पिता का ध्यान और सम्मान करना चाहिये, कयोंकि वो उस परमात्मा के समान है उनके आशीर्वाद से ही आप ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते है |

ईश्वर परम शक्तिशाली है और मानव वही करता है जो ईश्वर चाहता है सभी से प्रेम पूर्वक व्यवहार करे , प्रार्थना  करे की ईश्वर सबका भला करे, सबको अच्छा ज्ञान दे  |


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