--रचनाकार,साहित्यसेवियों की भटकन का दुरोपोग थामने की कोशिश
आगरा: साहित्यकारों की रही सृजन भूमि एक बार फिर से ऊर्जावान है, इसमें तमाम सक्रिय संगठनों के बीच ही
आगरा लिट्रेचर लवर्स ग्रुप: साहित्यिक गतविधियों के लिये एकजुटता |
'आगरा लिट्रेचर लवर्स ग्रुप' रचनाकारों साहित्य सेवियों का एक ऐसा मंच भी है, जो बडे आयोजनों से तो जरूर दूर रहा है किन्तु मौलिक साहित्यिक गतविधियों को जरूर गतिशील किया है। श्री हरीश सक्सेना 'चिमटी' का अशोर नगर स्थित निवास इसकी गतविधयों का स्थल रहा है.अमूमन चर्चा आगरा के साहित्यक जगत की गतविधियों की समीक्षा, रचनाधर्मियों के प्रयासों पर आपसी चर्चा, साहित्यकारों की रचनाओं का विषय वस्तु बन सकने वाले सामायिक घटनाक्रम, नये प्रयोग आदि इसकी संगोष्ठियों की चर्चाओं में शामिल रहे हैं.फिलहाल ग्रुप की महीने में एक बार संगोष्ठी होती हैकिन्तु आने वाले वकत में साहित्यिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनायेजाने की दिशा में भी सक्रियता बढी है। कवि सम्ममेलनों मे अपनी मौलिक रचनाओं से मौजूदगी दर्जकरवाते रहे डा नीरजस्वरूप का कहना है, कि लगातार गोष्ठियां होते रहने से शिथिलता दूर हुई है यही नहीं साहित्यिक क्षेत्र में हो रहे नये प्रयोगों के प्रति समझ भी बढी है.वैसे भी अब से पचास साल पूर्व तक साहित्यिक संगोष्ठियों की आगरा मे परपक्व परंपरा थी। बस इसी को आगे आज के हालातों में फिर से जीवंत करने का प्रयास है।
साहित्यकार प्रताप दीक्षित, व्यंगकार प्रशांत उपाध्याय, शैलेनद्र कुमार वशिष्ठ, डा मधु भारद्वाज, रविकांत, कवि शिवसागर, राम सिकरवार, अतुल सेंगर एवं पकाश गुप्ता 'वेवाक'आददि ने कहा है है कि साहित्यिक क्षेत्र में चल रही रिक्तता का कुछ लोग अनुचित लाभ उठा रहे थे, इससे उसमें ब्रेक लगेगा।