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दाराशिकोह लाइब्रेरी का होगा जीर्णोद्धार

सेमीनार में ‘ सैक्‍युलरिज्‍म’ के परिप्रेक्ष्‍य  में याद किया गया ‘दारा’

उर्दू लिट्रेचर के वकद्वान डाजैडहसन का स्वागत  करते हुए हरविजय सिह

आगरा: अगर दाराशिकोह मुगलों के शासक बनने के क्रम में बादशाह बन गया तो भारत का इतिहास कुछ अलग ही होता। यह कहना था वक्‍ताओं में से कई का जो कि दारशिकोह लाइब्रेरी में आयोजित सेमीनार को सम्‍बोधित कर रहे थे। उनका मत था कि अगर मुगलिया सल्तनत की बागडोर दाराशिकोह के हाथ रहती तो देश और साहित्य जगत का भविष्य कुछ और होता। दाराशिकोह के योगदान और व्यक्तित्व पर मंगलवार को ताज लिटरेचर फेस्टिवल.. के तहत दाराशिकोह की लाइब्रेरी में आयोजित सेमीनार के अवसर पर केआर डिग्री कालेज, मथुरा के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. जेड हसन की पुस्तक ‘दाराशिकोह ’ का विमोचन टीएलएफ चेयरममैन हरविजय बाहिया, निदेशक अशोक जैन सीए, सैयद अजमल अली शाह और डा. इख्तियार जाफरी ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए  डा. जेड हसन ने कहा कि दारा लातिनी, सुरियानी और अरबी भाषा का भी ज्ञाता और लेखक था। फारसी में उसने शायरी की और उसका दीवान सिर्रे अकबर के नाम से प्रकाशित हुआ। उपनिषद का संस्कृत से पहली बार फारसी में उसने खुद अनुवाद किया। इसी ऐतिहासिक लाइब्रेरी में उपनिषदों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद किया गया। कार्यक्रम में एक और पुस्तक चेहरा-चेहरा का विमोचन भी किया गया। 97 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चिम्मन लाल जैन भी आशीर्वाद देने लाइब्रेरी पहुंचे। डा भीम राव अम्‍बेडकर विश्‍विद्यालय  के समाज विज्ञान संस्‍थान के पूर्व निदेशक डा. ब्रजेश चंद्रा, डा. रचना शर्मा, रूपक गुप्ता, अतुल जैन, संदेश जैन, समी अगाई, इरफान सलीम आदि ने भी विचार व्‍यक्‍त किये। 

कभी नीलाम होने से बची लाइब्रेरी

वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना ने कहा कि औरंगजेब शासन में लाइब्रेरी परिसर वीरान रहा। एएमयू के डा. मुहम्मद फुरकान ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं की मीटिंग इसी लाइब्रेरी के बाहर चुंगी के मैदान में हुई। विदेशी कपड़ों की होली जलाने, नमक सत्याग्रह, अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन भी यहीं हुए।

मुगलों में सबसे काबिल, विद्वान शहजादा दारा

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में फारसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. कमर आलम ने कहा कि दारा शाहजहां का सबसे विद्वान शहजादा था। उत्तराधिकारी भी वही था, लेकिन गद्दी प्राप्त करने के लिए हुई राजनीति में विशुद्व साहित्यकार को मौत की नींद सुला दिया गया। अगर दारा मुगलिया सल्तनत संभालता तो देश का इतिहास कुछ और होता।

बदलेगी दाराशिकोह की लाइब्रेरी की सूरत

टीएलएफ के जरिए शहर के साहित्य, संस्कृति से जुड़े लोगों ने उम्मीद जताई कि दाराशिकोह लाइब्रेरी की सूरत जल्द बदलेगी। हेरिटेज टैग लगने के बाद पहली बार दाराशिकोह की लाइब्रेरी में कोई कार्यक्रम हुआ है। टीएलएफ के हरविजय बाहिया ने सभी से 26 से 28 फरवरी तक होटल क्लार्कशिराज में होने वाले ताज साहित्य उत्सव में शिरकत करने की अपील की।

गांधी वादी श्री चिम्‍मन लाल जैन ने चलाया चर्खा

आगरा:दाराशिकोह की लाइब्रेरी में कार्यक्रम के दौरान प्रख्‍यात गांधीवादी नेता श्री चिम्‍मन लाल जैन ने गांधी आश्रम स्‍टोर के काऊंटर को उस समय खादी के शोकेस में तब्‍दील कर दिया जब कि उन्‍होंने वहां चर्खा चलाकर दाराशिकोह लाइब्रेरी में आयोजित सेमीनार में भाग लेने आने वालों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित किया।

श्री चिम्‍मन लाल ने बताया कि यह स्‍थान आजादी की लाडाई के दौरान चुंगी के मैदान के रूप में पहचाना जाता था।दारा शिकोह के बारे में प्रचार से देश में सर्वधर्म संभाव मजबूत होगा।




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