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सत्यजीत रे ने फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’में ऐतिहासिक यथार्थता कैसे हासिल की

पहली हिंदी भाषाई फिल्म शतरंज के खिलाड़ी बनाने से पूर्व जाने माने भारतीय फिल्म निर्माता स्व सत्यजीत रे ने 1976 में 19वीं सदी की मूल मुर्शिदाबाद और लखनऊ पेंटिंग्स को देखने के लिए इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी ( वर्तमान में ब्रिटिश लाइब्रेरी का हिस्सा ) का दौरा किया था , इसी से उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी फिल्म के सेट और पोशाक का आईडिया लिया था ।
सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी को प्रसिद्ध हिंदी लेखक मुंशी प्रेमचंद (1880-1936) की एक लघु कहानी से रूपांतरित किया था । कहानी शतरंज के खिलाड़ी के आदी दो अवधी रईसों पर केंद्रित है , जो उस वर्ष (1856) की राजनीतिक स्थिति से पूरी तरह से बेखबर थे, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवध के प्रांतीय नवाब को पदमुक्त करके अवध प्रांत का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया था।

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