बहुत समय पहले की बात है जंगल में शक्शि हुकूमत थी | गिद्ध और कौवे दोनों जंगल के अपमाजर्क थे लेकिन जंगल के सदर से गहरी छनने के कारण शाही खाक-रूब का तगमा गिद्दों को मिला था | मृत प्राणियों के अवशेषों को पाने के लिए कौवों को गिद्धों पर इन्हिसार करना पढता था जिसे वे अपनी बेइज्जती समझते थे | इसी वजह से इन दो बिरादरियों के बीच छत्तीस का आंकड़ा था | वर्षों तक ये सिलसिला मुसलसल चलता रहा और फिर एक दिन जंगल का निजाम बदला और वहाँ जम्हूरियत की बहाली हुई |
चूँकि गिद्द काफी वक़्त तक सरकारी ओहदे में रहे थे इसलिए उनकी पुश्तों ने समाज में अच्छा-खासा मुकाम हासिल कर लिया था | वहीँ दूसरी तरफ जंगल के ज्यादातर कौवे अपनी बदहाली के कारण वहाँ से पलायन कर चुके थे | गिद्दों के सरदार ने आने वाले मरकजी इंतखाब लड़ने का मन बना लिया था ,आखिर दौलत और रुतबा दोनों अवयव तो थे उसके पास बस एक चीज की कमी थी वो थे “वोट” | उसे पता था कदाचित शाकाहारी तो अपनी बिरादरी वाले को ही वोट देंगे और मांसाहारी शेर को तो उसका मौका तो बनने वाला नहीं था | हाँ, अगर कौवों के वोट उसे मिल जाएँ तो बात बन सकती थी |
कौवों के वोट पाने हेतु गिद्दों के सरदार ने एक साजिश रची , इसी के तहत उसने मीडिया में दन्त कथाएं छपवाईं जिसमें कौवों को धूर्त,कपटी और गन्दा प्राणी बताया गया था | धीरे-धीरे ये कथाएं मीडिया बहस का एक मुद्दा बन गयी , हर गली-नुक्कड़ पर इसकी चर्चा होने लगी , शाकाहारी और मांसाहारी दोनों बिरादरियों ने इन कथाओं की वकालत की | जिसके कारण कौवों में कमतरी का अहसास होने लगा |
लोहा गरम हो गया था सो अब गिद्दों के सरदार ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर एक वकतव्य जारी करवाया जिसमे कौवों की जानिब संबोधित करते हुए कहा गया की जंगल में अभी उनकी खैर-व-मक्कदम करने के लिए उनके बड़े भाई गिद्द जिंदा हैं , बड़े होने की नाते कौवों की हिफाज़त करना उनका फ़र्ज़ है, उनको किसी बात की कमी न महसूस हो इसका वे पूरा ख्याल रखंगे.....| और ऐसी कई बातें कही गयी जिनसे कौवों को शाकाहारी और मांसाहारी दोनों बिरादरियों से घृणा हो जाये और वे गिद्दों को अपना रहनुमा मानने लगें |
और हुआ भी बिलकुल यही चुनावों में कौवों ने अपने पलायन कर चुके साथियों को बुलाकर गिद्दों के सरदार के पक्ष में वोट दिए लिहाजा गिद्दों की सरकार बन गयी | सत्ता पर काबिज होने के बाद सारे महत्वपूर्ण पद गिद्दों को और दे खानापूर्ति वाले पद कौवों को दे दिए गए |
अब जब भी गिद्दो को पता चलता की कौवे उनसे नाखुश हैं तो वे फ़ौरन दन्त कथाओं वाला किस्सा छेड देते और कौवों को उनकी तरफ होना ही पड़ता |