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सबक (२)


इसी बीच एक दिन चन्दन घर पर फिल्म देख रहा था | फिल्म का कथानक एक बच्चे के अपहरण पर आधारित था | जिसमें बच्चे के अपहरण हो जाने पर उसके परिवार में व्याप्त अफरा-तफरी और पुत्र वियोग का मार्मिक चित्रण किया गया था | इस मार्मिक वर्णन देखकर अचानक उसका चेहरा खिल उठा , उसे अपनी पीड़ा-निदान का समाधान मिल चुका था | ‘अगर कुछ दिनों के लिए में घर से गायब हो जाऊं तो यहाँ का हाल भी शायद इतना ही खराब हो जाएगा, मेरे माता-पिता भी जब मेरी खोज में इधर-उधर भटकेंगे तब शायद उन्हें अपनी औलाद की अहमियत पता चलेगी’ उसने सोचा |  जब उसने इस बाबत दीपक को बताया तो उसने शुरू में ना-नुकुर की “नहीं यार...मैं यह नहीं कर सकता.. मम्मी-पापा बहुत परेशान हो जायेंगे” | “अरे यार बस कुछ दिनों की बात है....जब उन्हें सबक मिल जाएगा तो हम खुद वापस आ जायेंगें” दीपक ने समझाया | दीपक के बार-बार समझाने पर चन्दन घर से भागने पर मान गया | उन्होंने तय किया की वे लोग ट्रेन से भागेंगे क्योंकि ट्रेन में बिना टिकट भी जाया जा सकता था | दीपक का दूसरे घर के पास जो हल्द्वानी में था, एक इलाके में ट्रेन आते-जाते कुछ देर रुकती थी | दीपक ओर चन्दन वहीँ से ट्रेन में चढ़ने वाले थे |  

स्कूल जाते वक्त दोनों रानीबाग से भागकर हल्द्वानी आ गए ओर ट्रेन का इंतज़ार करने लगे |
 “दीपक..जल्दी चढ़ ना..इससे पहले हमें कोई देख ले.....”ट्रेन पर चढ़ते हुए चन्दन अपने साथी दीपक   को हाथ देते हुए बोला | और फिर दोनों ट्रेन के मूत्रालय में छिप कर बैठ गए ताकि टी.टी.ई. . उन्हें पकड़ न सके |

तीन घंटे के बाद ट्रेन मुरादाबाद स्टेशन पर रुकी | दीपक ओर चन्दन ट्रेन से बाहर उतरे | बड़ा स्टेशन देख उनके होश उड़ गए | उन्होंने यहीं रुकने का फैसला किया ,उन्होंने सोचा शहर बहुत बड़ा होगा तो उन्हें कोई ढूँढ भी नहीं पायेगा | माँ-बाप के साये से दूर दोनों खुद को आजाद महसूस कर रहे थे | वे अपनी इस अनित्य आजादी के समय को मौज-मस्ती  कर व्यतीत करना चाहते थे |इसी योजना के तहत वे पूरे शहर में घुमते रहे |चन्दन के पास कुछ पैसे थे सो स्टेशन से निकलने के बाद पहले उन्होंने थियेटर पर फिल्म देखी फिर एक होटल में छक कर खाना खाया | पूरा दिन वे लोग मस्ती करते रहे | शाम होती जा रही थी ओर उनकी मस्तियाँ बढ़ती जा रही थी |

उधर हल्द्वानी में चन्दन और दीपक काफी देर तक घर न लौटने पर उनकी काफी खोज की गयी पर उनका पता-ठिकाना नहीं मिल पा रहा था, कोई भी यह समझ नहीं पा रहा था कि आंखिर दोनों कहा जा सकते थे | घटना की सूचना तुरंत पुलिस को दे दी गयी| चन्दन के पिता को यह अपहरण का मामला लग रहा था क्योंकि उनके मुताबिक वह शहर के एक अमीर व्यक्ति थे और कोई भी उनसे अपनी दुश्मनी निकाल रहा था | इधर चन्दन और दीपक मस्ती कर रहे थे तो उधर दोनों परिवारों में गम का माहोल था|

जारी है ..............


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