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भेड़ियों का क्राइसिस मैनेजमेंट


जंगल में भेड़िये आतंक और गुंडागर्दी का पर्याय माने जाते, उनकी मनुष्यों से बढ़ती नजदीकियाँ भी जंगल-जाहिर थी | चुनाओं का बसंत आने वाला था , नए-नए दलों की कोपलें खुलने को छटपटा रही थी | भेड़ियों ने भी इस बार अपना दल बनाकर चुनाव लड़ने का निश्चय किया था | इसी बाबत सभी शीर्ष नेताओं की एक बैठक बुलायी गयी थी | भेड़ियों की धूमिल लोकप्रियता को संज्ञान में लेते हुए बैठक में तय किया गया कि एक आचार एवं अनुशासन समिति गठित की जायेगी जो आने वाले चुनाओं के मद्देनजर भेड़िया समुदाय के लिए दिशा निर्देश तय करेगी | उन्हें आशा थी कि इन दिशा निर्देशों से उनकी छवि सुधारने में मदद मिलेगी |

मनुष्यों के राजनैतिक जगत में जनसंपर्क कंपनियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ,अपने ध्येय को पूरा करने के लिए भेड़ियों ने उनकी सेवा लेने का भी फैसला लिया | कंपनी ने एक अनुभवी कार्यपालक को जंगल के राजनैतिक हालात का जायजा लेने जंगल भेजा | जनसंपर्क रिपोर्ट को देखने के बाद आचार एवं अनुशासन समिति ने निम्न दिशा निर्देश बनाये –

१.अब भेड़िये जंगल में किसी भी जानवर का शिकार नहीं करेंगे |(चुनावों तक उनके लिए मांस की खास खेप मनुष्यों के बूचड़खानों से मँगवाई जायेगी )

२.भेड़िये अब शाकाहारी जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे | (जो भेड़िया जिस जानवर की मदद करेगा उसे चुनाव पश्चात उसी जानवर के शोषण करने की प्राथमिकता मिलेगी )

 ३.चुनावों तक जंगल में कोई भेड़िया उत्पात नहीं मचायेगा|(चुनावों के बाद तीन महीनो तक हुड़दंगी करने की आजादी होगी )

४. हर भेड़िया परिवार अपने-अपने इलाके के शाकाहारी परिवार के घर जाकर उनकी समस्याओं का संज्ञान लेंगे |(इससे  जंगल में शाकाहारी परिवारों का डाटाबेस बनाने में मदद मिलेगी ताकि चुनावों के बाद शिकार मैनेजमेंट आसानी से हो सके )

जनसंपर्क कंपनी ने अपनी पब्लिक्स थयोरी के आधार पर भेड़ियों के लिए तीन प्रकार के एनिमलिक्स(जंगल के परिपेक्ष्य में पब्लिक्स का समानार्थी) निर्धारित किये-

१.इंटरनल एनिमलिक्स- जिसके अंतर्गत खुद भेड़िया समुदाय आता था |

२,एक्सटर्नल एनिमलिक्स- जिसके अंतर्गत शाकाहारी जानवर आते थे |

३.इन्टर-मीडिएट एनिमलिक्स- जिनके अंतर्गत अन्य मांसाहारी व सर्वाहारी जानवर आते थे |

इंटरनल एनिमलिक्स के लिए तो दिशा-निर्देश बन चुके थे | अब बारी थी दीगर सूरतों के प्रबंधन की सो इसी बाबत दोनों तबकों की अलग-अलग बैठक बुलाई गयी और उन्हें निम्न जानकारी (घोषणा पत्र ) दी गयी –

एक्सटर्नल एनिमलिक्स के लिए –

१.भेड़िया समुदाय शाकाहारी समुदाय के लिए चारा सेन्टर खोलेगा ताकि उनको कभी चारे की खोज के लिए दूर-दूर भटकना  न पड़े और मांसाहारी जानवरों का शिकार न बनना पड़े|

२.शाकाहारी समुदाय की सुरक्षा के लिए भेड़िया समुदाय एक टास्क फोर्स बनायेगा जिसके क्रियान्वन के लिए एक कॉल सेन्टर की भी व्यवस्था जी जायेगी |

इन्टर-मीडिएट एनिमलिक्स के लिए-

१.चुनावों तक भेड़िया समुदाय मांसाहारी व सर्वाहारी जानवरों के लिए मांस उपलब्ध कराएगा (दूसरे जंगलों से निर्यात कर )चुनावों के बाद सब जानवरों के लिए शिकार आरक्षित क्षेत्र बना दिए जायेंगे | जिससे हर कोई बिना लड़े-झगड़े शिकार कर सके |

जहाँ इन घोषणाओं के बाद शाकाहारी जानवरों ने सोचा शायद अब गुंडागर्दी का अंत हो चुका है    वहीँ दूसरी और  मांसाहारी व सर्वाहारी जानवरों भी शिकार करने की झंझट से बच गए थे | भेड़िया समुदाय तो पहले से संतुष्ट था यानि तीनो एनिमलिक्स खुश |

इसी दौरान पूर्व-निर्धारित योजना के तहत एक भेड़िये को उत्पात करने के अपराध में समुदाय-निकाला भी दे दिया गया | इस घटना के बाद शाकाहारी जानवर का भेड़ियों के प्रति विश्वास और बढ़ गया |

परिणामस्वरूप भेड़ियों को जंगल की सत्ता की कमान मिल गयी और बाद में क्या हुआ ये बताने की शायद कोई आवश्यकता नहीं है | क्योंकि अब ‘अब डाकू भयो कोतवाल तो डर काहे का’


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