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राजा का रोना - वह हत्यारा नहीं हो सकता है

राजा का रोना ______________________________________ 'आप को नियमित अंतराल पर रो देना चाहिए राजन!' राजा के गुरु ने कहा। 'क्या उल्टी बात कर रहे हैं गुरु जी! मैं कोई आम आदमी नहीं!'' राजा तनमनाया। 'राजन! मैं अपनी बात दुहराता हूं। आपको कभी फूट-फूट कर,तो कभी सुबक-सुबक कर रोना चाहिए!' गुरु ने राजा को समझाया। 'परंतु क्यों गुरु जी!!' राजा को बात समझ में न आयी। परंतु उसने अपना धैर्य बनाए रखा। गुरु मुस्कुराया। बोला,'राजन!आप रोएंगे तो आपको रोते हुए देखकर कुछ सोच में पड़ जायेंगे कि कितना भावुक राजा है। वह हत्यारा हो ही नहीं सकता!' राजा गुरु की बात ध्यान से सुनता रहा। गुरु कुछ क्षण को रुका। फिर बोला,'राजन!आपके रोने पर और कुछ यह सोचेंगे कि इतना भावुक राजा है। अब से वह कोई हत्या नहीं करेगा!' रोने के फायदे समझ में आते ही राजा गुरु को आभार दिए बिना ही झट से निकल गया नया भाषण देने। अनूप मणि त्रिपाठी



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