राजनांदगांव से पी.राघव: श्रीमद्भागवत कथा मोक्ष का स्वरूप है दिनाँक मई 17 से 23 मई तक गणपति नगर चंगोराभाठा रायपुर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन नवीन श्रीवास्तव सपना श्रीवास्तव के द्वारा किया गया है । कथा ब्यास पंडित मनोज शर्मा भण्डारपुर खैरागढ़ को सुनने भक्त उमड़ रहे हैं । व्यास पीठ से भगवताचार्य मनोज शर्मा ने श्रीमद्भागवत कथा को मोक्ष का स्वरूप कहा है ।
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परम चैतन्य स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण सर्व व्याप्त है. वही ईश्वर,परित्राणाय साधुनां विनाशाय च दुस्कृताम् के लिए भगवान ने श्री कृष्ण अवतार लेकर मां वसुन्धरा को पाप मुक्त किया। ग्यान को जब तक शब्दात्मक है तब तक शांति नही मिलती इसलिए परमानंद के लिए ज्ञान को क्रियात्मक बनाना चाहिए. चंद्र वंश मे भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए, और सुर्य वंश मे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी,तात्पर्य यह यह है,चंद्र वंश की कथा से मन शुद्ध और सुर्य वंश की कथा से बुध्दी शुद्ध होता है. और दोनो की शुद्धता जीवन शुद्ध होता है,श्री भागवत जी का उद्देश्य ,पिबत भागवतं रसमालयं, तात्पर्य, जब तक शरीर मे चेतना है भगवत रस का पान करते रहो.
श्रीकृष्ण भगवान ही साक्षात् प्रेमरस है जीवन को मधुर व सरस बनाने के मनुष्य को भागवत कथा श्रवण करना चाहिए। श्री कृष्ण अवतार मे उनकी अद्भुत बाल लीला मे ,पुतना वध और, माखन चोरी, काली दाह प्रसंग, चीर हरण लीला , गोवर्धन पर्वत को धारण करना,,उद्देश्य इंद्र का मान भंग करने के साथ ए भी बताया कि संपूर्ण प्रकृति ही मुझ परमात्मा का सगुण रुप है , जिसके द्वारा पुरे विश्व का संचालन करताहूं, उस प्रकृति का संरक्षण ही मुझ ईश्वर की परम पुजा है. महारास, ये सारी कथायें जीव मात्र को सांसारिक विषयों की ओर जाने से रोकती है. कंश वध के पश्चात उद्धव की ब्रज यात्रा कथा।
भगवान अपने जन का अभिमान कभी नही रखते , इसी प्रसंग पर परम ज्ञानी उद्धव को वृन्दावन दर्शन कर गोपियों से मिलने कहा , वृन्दावन मे श्री कृष्ण विरह मे व्याकुल गोपियों ने उद्धव को भक्ति रस मे डूबो दिया , ज्ञान अभिमान मिश्रित होने से निरस हो जाता है. भगवान श्रीकृष्ण जी की द्वारिका लीला, रुक्मणी विवाह के शुरु हुआ, आठ पटरानी आठ प्रकृति ही हैं.
इन प्रकृति को अपने वश मे करने वाला ही परमेश्वर श्री कृष्ण है।भगवान श्रीकृष्ण के अन्यान्य विवाह भी उनके लीला का ही एक अंग है, भगवान श्रीकृष्ण की सभी कथायें लीला प्रधान है. ,विप्र सुदामा की कथा मे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा वर्णन के साथ कथा विराम हुआ, 23 मई को परीक्षित मोक्ष कथा के साथ, तुलसी वर्षा ,हवन पश्चात श्री मद्भागवत महापुराण की महा आरती होगा। महा प्रसाद वितरण। श्रोताओ की अपार संख्या, संगीत मय कथा श्रवण रसपान पहुंच रहे है.
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