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आकाशवाणी चौक स्थित मां काली मंदिर में बदली गई 55 साल पुरानी मां काली की प्रतिमा

रायपुर में मंत्रोच्चार के बीच नए विग्रह की स्थापना

रायपुर। राजधानी रायपुर के आकाशवाणी चौक स्थित मां काली मंदिर में ​देवी की नई प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। प्रतिमा के क्षरण होने की वजह से नई प्रतिमा बनवाई गई है। मूर्तिकार के अनुसार प्रतिमा जिस ब्लैक स्टोन से बनी है वह एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है।

मंदिर के पुजारी ने करीब दो साल पहले पूजा करते समय देखा कि प्रतिमा का अभिषेक करने पर कुछ कण निकल रहे हैं। उन्होंने समिति के सदस्यों को इस बारे में बताया। तब वाराणसी, प्रयागराज, जगन्नाथ पुरी, हरिद्वार समेत कई तीर्थों के आचार्यों और विद्वानों से चर्चा की गई। तब प्रतिमा प्रतिस्थापित करने का सुझाव मिला।

जिस पत्थर को तराशकर नई प्रतिमा बनाई गई है वह 4000 साल से भी ज्यादा पुराना है। मंदिर के सचिव ने बताया कि केंदुझार ओडिशा की गहरी खदान से ये ब्लैक स्टोन निकाला गया है। ओडिशा के मूर्तिकार ज्योति रंजन परिडा और उनकी टीम ने पूरा विग्रह 30 क्विंटल के एक ही पत्थर को तराश कर बनाया है। अब प्रतिमा का भार 5 क्विंटल के आसपास बताया जा रहा है। मूर्तिकार काे इस प्रतिमा को बनाने में 10 महीने का समय लगा।

मंदिर में विराजी नवीन प्रतिमा हूबहू पुरानी प्रतिमा की तरह ही है। समिति से पता चला कि नई मूर्ति की लंबाई, चौड़ाई, हाव-भाव, आकृति और आकार पुरानी मूर्ति जैसा ही है। इसके लिए ओडिशा के मूर्तिकार विशेषज्ञों ने 3 बार आकाशवाणी चौक स्थित मंदिर आकर पुरानी प्रतिमा का निरीक्षण कर माप लिया। इसके अलावा समिति भी मांग के अनुसार उन्हें फोटो उपलब्ध कराती रहती थी।

रामलला की प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज से भी मंदिर समिति के सचिव ने मुलाकात की थी। योगीराज ने उन्हें दो साल इंतजार करने को कहा। सचिव ने बताया कि उस समय पर उनके पास अयोध्या में रामलला की प्रतिमा बनाने का काम था। इसके अलावा और भी ऑर्डर उनके पास थे।

इसलिए उन्होंने काली माता की प्रतिमा बनाने के लिए कम से कम दो साल का समय मांगा था। प्रतिमा बनवाने के लिए देश के कई मंदिर जाकर प्रतिमाएं देखीं गईं और अच्छे मूर्तिकार की तलाश की गई। भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर में दर्शन के दौरान उन्हें ओडिशा के मूर्तिकार ज्योति रंजन परिडा की जानकारी मिली।

नवीन विग्रह की स्थापना की गई

नवीन विग्रह की स्थापना आज की गई है। इसके लिए पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह चल रहा है। बुधवार को वेदी पूजन, कलश यात्रा, अधिवास प्रारंभ से अनुष्ठान की शुरुआत हुई थी। 25 को सप्तसती पाठ और रुद्राभिषेककिया गया, आज प्रतिष्ठित संतों और आचार्यों की मौजूदगी में सुबह 4 बजे प्राण प्रतिष्ठा पूजा शुरू हुई और 11 बजे तक पूजा संपन्न हो गई।

27 अप्रैल को महाप्रसाद वितरण और भजन संध्या होगी। वहीं, 28 को सतचंडी पाठ और मां महाकाली प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ की पूर्णाहुति की जाएगी। प्रयागराज के आचार्य रामजीत त्रिपाठी और हैदराबाद के स्वामी धराचार्य महाराज समेत अलग-अलग तीर्थों के 25 से ज्यादा आचार्य पूजन करा रहे हैं।



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