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आगरा का गिरता जलस्‍तर थामने को नहरें दुरुस्‍थ की जायें

 -- नेशनल चैंबर सिकन्‍दरा राजवाह के सुध्रढीकरण के कार्य में सहभागिता को उत्‍सुक

आगरा नहर के सिकंदरा राजवाह का जायजा लेते हुए
श्री मनीष अग्रवाल एवं श्री सीता राम-फोटोअसलम सलीमी
आगरानेशनल चैंबर आफ इंडस्‍ट्रीज एंड कामर्स उ प्र आगरा ने जनपद में लगातार भूजलस्‍तर गिर रहे जलस्‍तर पर गंभीर चिता जतायी  हैनहरी पानी की जरूरत के मुताबिक उपलब्‍धता संभव नहीं हो पाने  के कारण किसानों की भूजल पर निर्भरता बढती ही जा रही है।  उपरोक्‍त को दृष्‍टिगत चैम्बर का मानना है कि नहरी तंत्र को उसकी मूल संरचना के अनुरूप कर नहरों की सुचारूता बढा कर भूजल दोहन में कमी लायी जा सकती है।

चैंबर ने  आगरा नहर के टर्मिनल व सिकन्‍दरा राजवाह के सुध्रढीकरण को लेकर सहभागिता को लेकर

उत्‍सुकता जतायी है।चैबर अध्‍यक्ष श्री मनीष अग्रवाल कई पदाधिकारियों के साथ तृतीय मंडल सिंचाई कार्य के आधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता से गत माह मीटिंग की थी , इसी क्रम में अब उन्‍हे एक पत्र लिखा है.

चैम्‍बर का मानना है कि जलक्षति रोक कर सिंचन प्रणाली के सुध्रढीकरण हेतु सुझाव चैम्‍बर की ओर से सिंचाई विभाग से टर्मिनल राजवाह की नहरी मेड(पटरी) को तत्‍काल दुरुस्‍थ करवाने की अपेक्षा की गयी है, खासकर उनस्‍थानों पर सुध्रढी करण का कार्य खास तौर से करवाने को सुझाव दिया गया है,जहां से कि नहरी गूलों को पोषित करने वाले कुलावों लगे हुए हैं.

चैम्‍बर के द्वारा सिकन्‍दरा राजवाह की स्‍थिति पर खास तौर से चिंता जतायी गयी है,यह नहर बडे डिस्‍चार्ज की नहर है, कीठम एस्‍केप को भरपूर पानी दिये जाने के बाबजूद इसमें भरपूर पानी रहता है,इससे पोषित कमांड एरिया में महानगर के शहरी करण के कारण बेहद कमी आयी है. पूर्व में इस नहर से जज कंपाऊंड,ककरैठा,गैलाना,नगला पदी पालीवाल पार्क ,घटवासन,लश्‍करपुर तथा बल्‍केश्‍वर (मनोहरपुर) तक के खेत और बाग सिंचित होते थे जबकि अब  टेल भाग में अब पनवारी गांव के अलावा अरसेना,अटूस तथा रुनकुता गांवों के  ही कृषिक्षेत्र, बचे रह गये हैं.फलस्‍वरूप जरूरत से अधिक पानी को जखीरा एस्‍केप से होकर यमुना नदी में डिस्‍चार्ज करना पडता है.  जिसके सरप्‍लस को व्‍यवस्‍थित कर आगरा के गिरते भूगर्भ जलस्‍तर को थाम पानी की गुणत्‍ता में भी सुधार किया जा सकता है.

चैबंर अध्‍यक्ष का मानना है कि अगर समय से मानसून होता है तो नहरी रोस्‍टर में खरीफ की फसल के दिनों में कम ही समय नहर चलानी पडती है. एसे में नहर के सरप्‍लस पानी को उपयुक्‍त व्‍यवस्‍था कर संरक्षित किया जा सकता है.उन्‍होंने कीठम एस्‍केप के डाउन में ओवर फ्लो पानी को व्‍यवस्‍थित रूप से संरक्षित करने के लिये सिकन्‍दरा राजवाह पर चार सैल्‍यूस गेट लगाये जाने का भी सुझाव दिया है.

चैंबर का सुझाव है कि जलसंरक्षण के कार्य में उपयुक्‍त संसाधन जुटाने के लिये शासन से पत्राचार करने के साथ सिंचाई नागरिक सहभागिता की योजना बनाये और नोडल एजैंसी या मूल विभाग के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाहन कर कई चरणों में पी पी पी (पब्‍लिक, पार्टनरशिप पैटर्न के तहत उपरोक्‍त कार्यों के लिये कार्ययोजना बनाकर क्रियान्‍वित करवाये.

उल्‍लेखनीय है कि नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यूपी आगरा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उद्योग एवं व्यापार की एक संघीय एवं शीर्ष संस्था है एवं वर्ष 1949 (72 वर्षों) से निरंतर कार्यरत है।  इसमें 1600 से अधिक औद्योगिक एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान, जो आगरा जनपद एवं आसपास के जनपदों में स्थित हैं, इससे सदस्य के रूप में जुड़े हुए हैं।  इसके अलावा जनपद की 25 प्रमुख व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठन चैम्बर से सम्बद्ध हैं।  इसके अनुभवी सदस्यों को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विभिन्न सलाहकार समितियों में नामित किया जाता है तथा उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर नीतिगत मामलों में विचार किया जाता है।  अतः प्रदेश व देष में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक प्रमुख संस्था है।

सामाजिक सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप चैंबर अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार लोक महत्‍व के कार्य भी करवाता रहता है।



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