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उपहारों की नीलामी के फैसले पर पुन: विचारे पी एम ओ

-- नेशनल चैंबर आफ कामर्स ऐंड इंडस्ट्रीज आगरा के पूर्वाध्यक्ष ने जतायी ई-नीलामी योजना से असहमति

लगातार खरीदार पहुंच रहे हैं,खरीद से पहले  गिफ्टों का
 मूल्‍यांकन करने।

आगरा: प्रधानमंत्री को मिले उपहारों की नीलामी के द्वारा बिक्री किये जाने के फैसले पर दुबारा से विचार किया जाना चाहिये, यह कहना है चैंबर आफ इंडस्ट्रीज एंड कामर्स यू पी आगरा के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता का । संस्कृति और साहित्य को सुरक्षित रखने संबधी गतविधियों में दिलचस्पी रखने वाले श्री गुप्ता ने पी एम ओ तथा सांस्कृतिक मंत्रालय को पत्र लिखकर एक नागरिक के रूप में अपना मत व्यक्त किया है। उनका कहना है कि हो सकता है कि ई नीलामी की प्रक्रिया से कुछ करोड राशि आसानी से जुटायी जा सकती हो किन्तु यह संसकृति संरक्षण संबधी नीति को दीर्घकाल तक

प्रभावित करने वाला कदम है।

राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, राज्यपालों , को उपहार और भेंट दिये जाने की पुरानी परंपरा है,वस्तुत: संवैधानिक पदों पर पदस्थता के दौरान दिये जाने वाले उपहार पदो पर आसीन व्यकतियों को नहीं उनके माध्यम से राष्ट्र या राज्य को दी गयी भेंटें हैं। परोक्ष रूप से ये भेंट करने वालों की भावनात्मक अभिव्यक्ति करने के अलावा देशकाल और घटनाक्रमों का स्मरण करवाने वाले होते हैं।

' संस्‍कृति- धरोहर संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता '
श्री गुप्ता ने कहा कि अगर इनके रखने को मौजूदा व्यवस्था में जगह नहीं है तो इन्हें देशभर मे फैले म्यूजियमों और
 कलादीर्घाओं में संजोकर रखने को सौंपा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर उपहार जरूरत से ज्यादा आ रहे हैं तो इनको लेकर एक नीति बनायी जा सकती है और अगर वर्तमान में भी कोयी हे तो उसे मौजूदा स्थितियों के अनुकूल संशोधित किया जा सकता है।

श्री गुप्ता ने कहा कि गांधी जी के द्वारा अपने काते सूत से बुना हुआ रूमाल इंग्लैंड में आज भी सुरक्षित है ,यह उन्होंने क्विन एलिजाबेथ के विवाह के अवसर पर उपहार के रूप में भेजा था।पी एम के रूप में स्वयं श्रीमोदी इसको दिखये जाने पर बेहद प्रसन्ना हुए थे। पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल को भी क्विन के द्वारा इस उनके आधिकारिक दौरे पर दिखा गया था। उपहारों का मूल्यवान होना ज्यादा महत्व नहीं रखता बल्कि उनके द्वारा व्यक्त की जाने वाली सौहादृता और सदभावनाओं के स्मारण ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।  

श्री गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वयं उपहारों को लेकर संवेदनशील माने जाते हैं , 25जून 2017 को पी एन फणिक्कर फाऊंडेशन के एक कार्यक्रम को उन्होंने उपहार के रूप में बुके दिये जाने का सीमित समय तक स्मृति का माध्यम बताया था ,इस अवसर पर उन्होंने बुके के स्थान पर किताबें दिये जाने का सुझाव दिया था।

क्या क्या होना है अक्शन

फिलहाल आक्शन की प्रक्रिया चालू है,17सितम्बर से यह शुरू हुई थी और 7अक्टूवर तक यह चलेगी।ई-नीलामी के तहत जो बेचाजाना है,उसमें स्मृति-चिन्हों में पदक जीतने वाले ओलंपियन और पैरालिंपियन के स्पोर्ट्स गियर और उपकरण, अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिकृति, चारधाम, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मॉडल, मूर्तियां, पेंटिंग, अंगवस्त्र आदि शामिल हैं। ये सभी पी एम के रूप में मोदी श्री मोदी को विभिन्न अवसरों पर भेंट किये हुए हैं। ई-नीलामी से प्राप्त धनराशि गंगा के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से 'नमामि गंगे मिशन ' को दी जाएगी।ई बोली वाले पी एम के 2,700 उपहारों को प्रदर्शो के रूप में  राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, जयपुर हाउस दिल्ली में 17 सितंबर से 7 अक्टूबर 2021 तक सुबह 11 बजे से म्यूजियम बन्द होने तक कार्यदिवसों में देखा जा सकता है।



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