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आगरा के आम नागरिकों की जरूरतों को चुनावी एजेंडे में शामिल करे कांग्रेस

 कांग्रेस उ प्र  चुनाव समिति के इंचार्ज सलमान खुर्शीद को सिविल
सोसायटी ने आगरा की समस्‍याओं से अवगत करवाया 

-- वाहनों के इस्तेमाल की अवधि 15 साल करने से बडे पैमाने पर स्‍किल मैकेनिको तक का काम छिना

आगरा:राजनैतिक दलों के द्वारा अपनी चुनावी राजनीति में आगरा को भी शामिल कर यहां के विकास के मुददों के प्रति प्रतिबध्दता भी जतायी हुई  है,इसे दृष्टिगत उनके संज्ञान में आगरा की जरूरतों की तथ्यपरक जानकारी लाये जाने के लिये सिविल सोसायटी ने अभियान शुरू किया है। सोसायटी के जनरल सैकेट्री श्री अनिल शर्मा ने कांग्रेस के सैकेट्री एवं इंचार्ज उ प्र चुनाव समिति श्री सालमान खुर्शीद से 6सितम्बर 2021 को उनके आगरा आगमन पर मुलाकात की।

श्री शर्मा ने आगरा की अपेक्षाओं के अनुसार कांग्रेस से आग्रह किया है,कि आगरा में आटोमोवाइल एक्ट (National Automobile Scrappage Policy 2021)जो कि

बजट 21-22 को प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय वित्तमंत्री ने 13 August, को संसद में घोषित की हुई है का पूरी तरह से अनुपालन हो । इस नीति के तहत वाहनों 15 साल के बाद  फिटनेस चैक करने के बाद ही अगले पांच साल और चलाये जाने का प्राविधान है।

वर्तमान में लागू ऑटो मोबाइल पॉलिसी में भी फिटनेस सर्टिफिकेट पाये वाहनों को चलते रहने का प्राविधान है किन्तु आगरा में इनका इस्तेमाल 15 साल के बाद नहीं होने दिया जाता ,पुलिस चैकिग कर इन्हे जप्त कर देती है।

ताज संरक्षण के नाम पर की जाने वाली यह कार्रवाही वायुप्रदूषण रोकने में कितनी उपयोगी है या नहीं लेकिन ऑटो मोवाइल कंपनियों के डीलरों के लिये जरूर लाभकारी है।सामान्य नागरिक खासकर निजीक्षेत्र का कर्मचारी हर पंद्रहवें साल के बाद नया वाहन खरीदने की स्थिति में नहीं होता फलस्वरूप उसकी दुश्वारियां पिछले तीन साल में जबर्दस्त बढी हैं।

ऑटो मोवाइल व्हैकिल रिपयर करने वाले हजारों स्किल और नान स्किल वर्कर इस नीति से तत्कालिक रूप से प्रभावित हो कार्यशून्यता की स्थिति का मुकाबला करने को मजबूर हैं।

आगरा की जनता मोटर व्हैकिल एक्ट के तहत जुर्मानों की बढायी राशि से बेहद त्रस्त है।इन जुर्मानों की राशि इतनी अधिक है, कि छोटी आमदनी वाले परिवारों की अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित कररही है। जुर्माना करने और वसूलने के नाम पर महानगर के चौराहों पर नागरिकों को मनमानी की स्थिति का सामना करना पडरहा है।महानगर के खराब र्टैफिक सिग्नल सिस्टम ने हालातों को और बद से बदत्तर बनाकर रख दिया है।

--पार्को पर टिकट जनविरोधी कृत्य

महानगर के पार्कों पर पिछले दस सालों में जमकर प्रवेश शुल्क लगाये गये हैं। पार्कों की हरियाली और व्यवस्थाओं में सुधार को ये टिकट लगाये गये हैं किन्तु टिकट लगने के बाद किसी भी पार्क की व्यवस्था में सुधार नहीं हो सका है। आगरा सीमित आमदनी वालों की बहुतयात वाला महानगर है,यू एच आई [An urban heat island (UHI)]मानक के अनुसार महानगर में 469बस्तियां है, जबकि डूडा के मानकों के अनुसार भी 213 सूचीबद्ध मलिन बस्तियां हैं।इनमें रहने वालों के लिये पार्क ही इत्मीनान से कुछ समय बिताने के ठिकाने रहते आये हैं। लेकिन टकिकट लगाये जाने से खुली हवा में सांस लेने के अवसर व्यसाध्य और सीमित हुए हैं।

सबसे ज्यादा चिता की बात यह है कि पार्कों में प्रवेश शुल्क या टिकट उस दौर में ठीक कोविड की लहर के बीच लगाये गये हैं,जब कि जनस्वास्थ्य के लिये कोविड से उबरने वालों के लिये पार्कों की शुद्धवायुसेवन के लिये विशेष आवश्यक्ता होगी।

वैसे भी छोटे मकान और अवस्थापना सुविधा विहीन बसावटों के लोगों के लिये पार्क हवाखोरी का स्थान नहीं अपितु जीवन के सामाजिक पक्षों से जुडी जरूरतों के स्थल भी हैं। अंग्रेज हुकूमत के समय पब्लिक पार्क टिकट विहीन थे। कांग्रेस सरकारों के काल में भी पार्कों उत्कृष्ट इंतजामों के बावजूद टिकट विहीन रखा गया। लेकिन बाद में गैर कांग्रेसी मुख्यमत्रियों की सरकारों ने प्रदेश ज्यादातर पार्कों को टिकट लगाने के नाम पर ठेकेदारों का हस्तारित कर डाला। जिस प्रदेश में कईकरोड लोगों को राशन के इंतजाम तक के लिये सरकरी गल्ले की दूकानों पर लाइन मे लगना पडता हो , उसमें पार्कों पर टिकट लगाना न केवल गैर जरूरी है,बल्कि ज्यादती भी।

कांग्रेस नेता सलमान खर्शीद एवं सुप्रिया श्रीनेत से चर्चारत सिविल सोसायटी
 आगरा डा शिरोमणी सिह,अनिल शर्मा एवं श्रीमती कांति नेगी।

--मौजूदा सिटी बस सेवा स्तरहीन

सिविल सोसायटी ने कांग्रेस के प्रदेश सचिव के समक्ष महानगर बस सेवा में सुधार को भी पार्टी के चुनावी एजेंडे में शामिल करने का आग्रह किया है। आगरा सहित प्रदेश के जितने भी नगर निगम प्रबंधित नगरों व महानगरों में सिटी बस संचालित है ,वे नागरिकों की जरूरत पूरी करने में नाकाम हैं। ये संपर्क की आधार भूत जरूरत हैं। खासकरके उनसभी के लिये जो आर्थक और पार्किंग व गैराज जैसी जरूरी अवस्थापना सुविधा संभव न हो पाने के कारण निजी वाहन नहीं खरीद सकते।बेहद कष्टकारी तथ है कि 1996 तक प्रदेश भर में प्रभावी सिटीबस सेवा  थी। इसकी बारंबारता भीले ही सीमित हो लेकिन संचालन समय से और यात्रियों की जरूरतों व सुविधाओं को द्ष्टिगत होता थे। लेकिन जब से सिटी बस सर्विस संचालन के लिये बाद में जितने भी प्रयास किये गये सभी आधे अधूरे ही साबित हुए। जे एन यू आर एम के तहत संचालित बसों के प्रबंधन को उ प्र शासन ने कंपनियां (स्पेशल परपज ब्हैकिल) गठित की किन्तु  प्रदेश भर  में ये आर्थिक एवं गुणवत्ता पूर्ण सेवा की दद्वटि से अब तक उपयोगी साबित नहीं हो सकीं।यही नहीं न तो इनमें नया निवेश ही हुआ और नहीं अपने संचालन अधिकारों के तहतअनुरक्षण व विस्तार को जरूरी राजस्व ही जुटा सकीं।

श्री शर्मा के साथ सोसायटी के अध्यक्ष डा शिरोमणी सिह जनरल सैकेट्री अनिल शर्मा एवं  श्रीमती कांति नेगी आदि शामिल थे।



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