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भारत को बढ़ते हवाई यातायात का फायदा उठाते हुए मजबूत वायुयान लीजिंग उद्योग स्थापित करना चाहिए

नई दिल्ली - अगले 20 वर्षों में भारत में विमानन क्षेत्र की वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए भारत को 1,750-2,100 वायुयानों की आवश्यकता होगी जिन पर 20,40,000 करोड़ रुपए (290 अरब अमेरिकी डॉलर) की लागत आएगी और प्रतिवर्ष अनुमानित 100 विमानों की डिलीवरी होगी। इसका अर्थ एअरबस और बोइंग के अनुमानों के मुताबिक 35000 करोड रुपए या 5 अरब अमेरिकी डॉलर का वित्त प्रदाय। केंद्रीय नागरिक विमानन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)  हरदीप एस पुरी कहा कि विमान लीज के कारोबार में पिछले कुछ दशकों में दुनिया में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है। यह 1980 में दो प्रतिशत था जो कि 2018 में बढ़कर 31 प्रतिशत से अधिक हो गया है। अनुमान है कि 2020 में यह बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है।

नागरिक विमानन मंत्री ने रेखांकित किया है कि विमानन मूल्य श्रृंखला में विमान वित्त प्रदाय सबसे अधिक लाभ का क्षेत्र है और वर्तमान में भारत में बढ़ते हुए अवसरों का सर्वाधिक लाभ विदेशी वित्त प्रदाताओं

और लीज प्रदाताओं को हो रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में विमानन लीज और वित्तीय केंद्र विकसित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिनमें वित्त प्रदाय, एमआरओ, विनिर्माण इत्यादि शामिल हैं जिससे कि भारत में कारोबार का तीव्रता से विस्तार हो।



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