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तुर्की और सीरिया में सोमवार सुबह करीब 4:15 बजे आए भीषण भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1400 से अधिक हो गई है। भूकंप की तीव्रता 7.8 तीव्रता मापी गई। इस भूकंप के झटके लेबनान और इजराइल में भी महसूस किए गए। तुर्की और सीरिया में लोग नींद में ही थे जब यह जलजला आया। इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर गईं। मलबा सड़कों पर गिरा तो, उसकी चपेट में आकर कई गाड़ियां दब गईं। तुर्की के राष्ट्रपति रिसेप तैयब एर्दोग ने जानकारी दी है कि देश में अब तक 912 लोगों की जान जा चुकी है। 5385 लोगों के घायल होने की खबर है। सीरिया में 560 लोग मारे गए और 639 जख्मी हैं। दोनों देशों में मरने वालों की कुल संख्या 1400 से ज्यादा हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। सोमवार तड़के ही सीमा के दोनों ओर के लोग भूकंप के झटके से उठ खड़े हुए। गगनचुंबी इमारतें भूकंप के झटकों से हिलने लगी। इस आपदा में बड़े पैमाने पर लोग जान गंवा चुके हैं। प्रशासन ने बड़े पैमाने पर प्रभावित कई शहरों में राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
पीएम मोदी के निर्देश पर तुर्की को तत्काल सहायता देने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने अहम बैठक बुलाई। बैठक में तय हुआ है कि सर्च और रेस्क्यू अभियान के लिए एनडीआरएफ और मेडिकल टीम तुर्की भेजी जाएंगी। इसके साथ राहत सामग्री भी जल्द से जल्द तुर्की के लिए रवाना की जाएगी।
रिपोर्ट बताती है कि तुर्किए भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक में स्थित है। 1999 में तुर्किए में आए 7.4 तीव्रता के भूकंप से ड्यूज प्रभावित हुआ था। दशकों के लिहाज से यह सबसे बड़ा भूकंप था. उस भूकंप में इस्तांबुल में लगभग 1,000 समेत 17,000 से अधिक लोग मारे गए थे। गार्डियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेषज्ञ लंबे समय से चेतावनी देते आए हैं कि इस्तांबुल में बगैर सुरक्षा उपायों के ऊंची-ऊंची इमारतें तानी जा रही है। ये इमारतें किसी बड़े भूकंप में ताश के पत्तों की तरह ढह सकती हैं. जनवरी 2020 में एलाज में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 40 लोग मारे गए थे। इसके अलावा उसी वर्ष अक्टूबर में एजियन सागर में आए 7.0 तीव्रता के भूकंप में 1,000 से अधिक लोग हताहत हुए थे
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