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दिवाली के बाद हमेशा से ही प्रदूषण बढ़ जाता है ऐसे में Delhi का हाल तो अभी से ख़राब नज़र आ रहा है। आलम ये है कि Delhi में पोलूशन को लेकर हाहाकार मचा है। Delhi समेत पूरा एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो चुका है। सांस लेना लगातार मुश्किल होता जा रहा है। डॉक्टर इसे मेडिकल इमर्जेंसी बता रहे हैं। 500 के पार जा चुके ‘एक्यूआई’ को कम करने के लिए उठाए जा रहे तमाम कदम अभी तक ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ ही साबित हुए हैं। ऐसे वक़्त में इतंजार है तो हवा की गति बढ़ने या बारिश का, जिसके आसार नज़र नहीं आ रहे हैं।
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IIT ने क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश की टेक्नोलॉजी करी विकसित
इस प्रदूषण से बचने का एक उपाय है, जिस पर लंबे समय से विचार चल रहा है, लेकिन आज़माया नहीं है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर ने Delhi और इसके आसपास के इलाकों में एयर पोलूशन की समस्या से निजात दिलाने के लिए एक सलूशन तैयार करने की बात कही थी। आईआईटी ने क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश की टेक्नोलॉजी विकसित कर ली है। बारिश की मदद से हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को साफ किया जा सकता है। विमानों के जरिए बादलों पर विशेष प्रकार के केमिकल का छिड़काव किया जाता है जिसके बाद वह बारिश होने लगती है। चीन जैसे कुछ देश कुछ विशेष मौकों पर ऐसा कर भी चुके हैं।
ख़बरों के मुताबिक, आईआईटी पांच साल से कृत्रिम बारिश पर काम करता रहा है और जुलाई में इसका सफलतापूर्वक ट्रायल भी किया जा चुका है। शोधकर्ताओं ने सरकारी संस्थाओं से जरूरी मंजूरी ले ली है, जिसमें डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) भी शामिल है। हालांकि, कृत्रिम बारिश कराने के लिए मौसम में विशेष परिस्थिति की आवश्यकता होती है। जैसे पर्याप्त नमी के साथ बादल मौजूद हों और उपयुक्त हवा भी हो। यह भी देखना बाकी है कि क्या यह सर्दियों की शुरुआत में काम कर सकता है और किस स्तर पर ऐसा किया जा सकता है।
कृत्रिम बारिश के लिए मंजूरी की आवश्यकता ज़रूरी
कृत्रिम बारिश के लिए कई तरह की मंजूरी की आवश्यकता होती है। डीजीसीए के अलावा केंद्रीय गृहमंत्रालय और प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप से भी सहमति की जरूरत होती है। Delhi के ऊपर एयरक्राफ्ट उड़ाने के लिए यह आवश्यक है। सितंबर में Delhi के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा था कि Delhi सरकार विंटर ऐक्शन प्लान के तहत कृत्रिम बारिश की तैयारी भी कर रही है।
गोपाल राय ने कहा, ‘आईआईटी कानपुर ने प्रजेंटेशन दिया कि कैसे कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। हमने उन्हें डिटेल प्रजेंटेशन देने को कहा है और वित्तीय भार समेत सभी पहुलओं को बताने को कहा है। मुख्यमंत्री के सामने प्रजेंटेशन दिया जाएगा और इसके बाद इसे लागू करने पर विचार किया जाएगा।’ ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रॉजेक्ट को हेड करने वाले आईआईटी कानपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रफेसर महिंद्र अग्रवाल ने कहा कि एक बार कृत्रिम बारशि से करीब एक सप्ताह तक एनसीआर को राहत दी जा सकती है।