इश्क़
इश्क़ के समंदर में डूबते है आशिक़ कई
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
इश्क़ के रोग का इलाज नहीं
फिर भी इस रोग में पड़ते है कई
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
ना रांझे को हीर मिली, ना शीरी को मिला फरहाद
इस इश्क़ - मुश्क़ के चक्कर में ,ना जाने कितने हुए बर्बाद
ना जाने कितने हुए बर्बाद , देखो फिर भी ना छूटी आशिकी
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
जख्म मिलता है, मिलती है देखो रुसवाई
बैरी हो जाते है अपने , और जमाना हो जाता है हरजाई
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
ना जाने कौन सी दिल्लगी होती है इस इश्क़ में
जाने मिलता है कैसा सुकून
नजरे ढूंढती है दीदार - ए - मुहब्बत
हम नासमझ क्या जाने , होता है क्या इश्क़ - ए - जूनून
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
नैनो की भाषा है , इनायत है रब की
दिल में चाहत है ,और है आशिकी
हँसते वे बहुत हैं,
हँसते वे बहुत हैं ,जिसे लगा ये रोग नहीं
बोलो वाह भई वाह भई वाह भई
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