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2 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल | 2 Mahine Ke Shishu Ka Vikas

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शिशु के जन्म के बाद उसके लालन-पालन की जिम्मेदारी माता-पिता पर होती है। गुजरते हुए समय के साथ जैसे-जैसे शिशु के कदम विकास की ओर बढ़ते हैं, उस पर ज्यादा ध्यान देना जरूरी हो जाता है। हर महीने शिशु का विकास तेजी से होता है। 2 महीने के बच्चों में कई अहम बदलाव आने लगते हैं, जो उसके संपूर्ण विकास के लिए जरूरी भी है। मॉमजंक्शन के इस आर्टिकल में हम 2 महीने के शिशु की गतिविधियों, विकास और उनकी देखभाल के बारे में बात करेंगे। साथ ही कुछ ऐसी बातें भी बताएंगे, जिन पर माता-पिता को जरूर ध्यान देना चाहिए।

सबसे पहले हम जानते हैं कि दूसरे महीने के बच्चे का वजन और उसकी हाइट कितनी होनी चाहिए।

2 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?

दूसरे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 4.1 किलो से 5.6 किलो और लंबाई 57.15 सेंटीमीटर तक हो सकती है। वहीं, बेबी बॉय का सामान्य वजन 4.5 किलो से 6.1 किलो तक और लंबाई 58 सेंटीमीटर हो सकती है (1)।

नोट : आपके शिशु का वजन व हाइट सही है या नहीं, इस बारे में आपको बाल रोग विशेषज्ञ ही बेहतर बता सकते हैं।

आगे हम शिशु के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास के बारे में बात करेंगे।

2 महीने के बच्चे के विकास के माइल्सटोन क्या हैं?

2 महीने का शिशु शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी विकसित हो जाता है। इन तीनों के बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं।

मानसिक विकास

  1. चेहरों पर ध्यान देना: 2 महीने के शिशु अपने आसपास रहने वाले लोगों के चेहरों को पहचानने की कोशिश करने लगते हैं (2)।
  1. आवाजों को सुनना: जब 2 महीने के शिशु को कोई आवाज सुनाई देती है, तो उसका ध्यान उस ओर ही जाता है। जहां से आवाज आ रही होती है, वह उस ओर देखने का प्रयास करता है (3)।
  1. अलग-अलग स्वर में रोना: भूख लगने या कुछ परेशानी होने पर 2 महीने का शिशु सिर्फ रोकर अपनी बात कह सकता है। वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अलग-अलग स्वर में रो सकता है (3)।
  1. दूर से लोगों को पहचानना: दो महीने का शिशु मानसिक रूप से इतना विकसित होता है कि वह अपने आसपास रहने वाले लोगों को दूर से देखकर ही पहचान सकता है (3)।

शारीरिक विकास

  1. मांसपेशियां मजबूत: दो महीने के शिशु के गर्दन की मांसपेशियां कुछ हद तक मजबूत हो जाती हैं, लेकिन इतनी नहीं कि वह बैठते समय अपना सिर सीधा रख सके (4)।
  1. सिर उठाना: जब 2 महीने के शिशु को पेट के बल लेटाया जाता है, तो वह अपने सिर को ऊपर उठाने का प्रयास करता है। वह करीब 45 डिग्री तक अपना सिर ऊपर उठा सकता है (5)।
  1. शरीर को ऊपर उठना: 2 महीने में शिशु के कंधे की मांसपेशियां थोड़ी मजबूत हो जाती हैं। जब उसे पेट के बल लेटाया जाता है, तो वह हाथों की मदद से अपने शरीर को ऊपर उठाने का प्रयास करता है।
  1. गतिशील चीजों व लोगों को देखना: अगर शिशु के आसपास से कोई गुजरे या कोई वस्तु हिलती हुई नजर आए, तो वह उसे देख सकता है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति शिशु के सामने एक जगह से दूसरी जगह जाता है, तो वह गर्दन घुमाकर जहां तक नजर जाती है, वहां तक देख सकता है (6)।
  1. अंगों पर नियंत्रण: 2 महीने के शिशु का अपने हाथों व पैरों पर नियंत्रण होने लगता है। इसका पता इसी से चलता है कि वो हवा में तेजी से हाथ-पांव चलाता है (5)।
  1. बेहतर दृष्टि: 2 महीने के शिशु की दृष्टि बेहतर होने लगती है। वह अपनी आंखों को वस्तुओं पर बेहतर रूप से केंद्रित कर पता है। वास्तव में दो महीने का बच्चा एक चलती हुई वस्तु को ट्रैक कर सकता है (3)।

सामाजिक और भावनात्मक विकास

  1. मुस्कान: अपने नन्हे की मुस्कान को हर माता-पिता देखना चाहते हैं और ऐसा दूसरे महीने में संभव हो सकता है। 2 महीने की शिशु को आप कई बार मुस्कुराते हुए देख सकते हैं (3)।
  1. आवाज पर प्रतिक्रिया: जब आप दो महीने के बच्चे से बात करते हैं, तो वह कुछ अस्पष्ट आवाज के साथ जवाब देने का प्रयास करेगा (5)।
  1. कुछ समय के लिए शांत: दूसरे महीने में बेबी रोते समय अपने मुंह में हाथ डालकर कुछ देर के लिए शांत हो सकता है। यह बच्चाें के लिए एक सुखदायक स्थिती होती है (3)।
  1. असहज होने पर रोना: 2 महीने का शिशु किसी गतिविधि या खिलौने के प्रति रुचि ले सकता है। वह खिलौना न मिलने पर रोना शुरू कर सकता है। दो महीने की उम्र में बच्चे का यह व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण होता है (3)।

आइए, अब शिशु को लगने वाले टीकों के बारे में बात कर लेते हैं।

2 महीने के बच्चे को कौन-कौन से टीके लगते हैं?

2 महीने का बेबी बहुत नाजुक होता है, उसे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए उसके बेहतर स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण (शॉट्स) जरूरी हैं। सही समय पर सही टीकाकरण के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। छठे से नौवें हफ्ते के बीच ये टीके लगाए जाते हैं (7):

  • डी-टैप (डिप्थीरिया, टेटनस, एसेल्यूलर पर्टुसिस) वैक्सीन।
  • एचआईबी (हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी) टीका।
  • आईपीवी 1 (पोलियो वैक्सीन)
  • पीसीवी 1 (न्यूमोकोकल) टीके
  • आरवी (रोटावायरस वैक्सीन मौखिक टीका)
  • एचबीवी (हेपेटाइटिस बी का टीका, अगर पहले नहीं दिया गया हो)

आइए, अब जानते हैं कि दो महीने के शिशु प्रतिदिन कितना दूध पी सकते हैं।

2 महीने के बच्चे के लिए कितना दूध आवश्यक है?

शुरुआती महीनों में बच्चे का पाचन तंत्र मजबूत नहीं होता है, इसलिए उसे सिर्फ मां का दूध ही देना चाहिए। वहीं, कुछ परिस्थितियों में शिशु को फॉर्मूला दूध देना जरूरी हो जाता है। यहां हम दोनों प्रकार के दूध के बारे में बता रहे हैं।

मां का दूध: 1 से 2 महीने की उम्र तक शिशु दिन में 7-9 बार स्तनपान कर सकता है। वह दिनभर में लगभग 750-800 gm दूध पी सकता है (8)।

फॉर्मूला दूध: एक दिन में शिशु करीब 739ml से लेकर 887ml तक फाॅर्मूला दूध पी सकता है (9)।

अब जानते हैं कि एक स्वस्थ शिशु को एक दिन में कितनी नींद की आवश्यकता होती है।

2 महीने के बच्चे के लिए कितनी नींद आवश्यक है?

2 महीने की उम्र के शिशु एक बार में 6 से 8 घंटे तक सो सकते हैं। इस प्रकार स्वस्थ शिशु प्रतिदिन 15 से 20 घंटे की पर्याप्त नींद ले सकते हैं। वो एक बार में 1 से 3 घंटे तक जाग सकते हैं (10)।

इस लेख में आगे जानेंगे कि 2 महीने के बच्चे की गतिविधियां क्या-क्या होनी चाहिएं।

2 महीने के बच्चे के लिए खेल और गतिविधियां

  1. बच्चे के साथ बात करना: सातवें या आठवें सप्ताह तक शिशु कई प्रकार की आवाजें निकालना शुरू कर देते हैं। आप जितना ज्यादा बच्चे के साथ बात करेंगे और खेलेंगे, वो उतना ही आपके करीब आएंगे और जल्दी बोलना सीखेंगे।
  1. कडल टाइम: शिशुओं को गोद में लेकर गले से लगाएं, इस क्रिया को कडलिंग कहते हैं। कडलिंग करने से शिशु के मन में माता-पिता के प्रति प्यार व विश्वास विकसित होता है।
  1. पेट के बल लेटना: शिशु को पेट के बल लेटाएं और उन्हें खेलने दें। यह आपके बच्चे के सामान्य विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे गर्दन और कंधे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे शिशु के विकास में मदद मिल सकती है (11)।
  1. कहानी सुनाना: आप उसे कहानी सुना सकते हैं या फिर उसके सामने रंग-बिरंगी चित्रों वाली किताब पढ़ सकते हैं। इससे उसके मस्तिष्क विकास में मदद मिल सकती है। बेशक, उसे कुछ समझ नहीं आएगा, लेकिन कहानी सुनते-सुनते वह शांत होकर सो सकता है या फिर खुश भी हो सकता है।
  1. पूरे परिवार से मिलना: जब शिशु जाग रहा हो, तो पूरा परिवार उसके पास रहकर उससे बातें कर सकता है या फिर खेल सकता है। इससे वह अपनों के करीब आएगा।
  1. मालिश: बच्चे की देखभाल में मालिश भी जरूरी है। इस मालिश के कई लाभ हैं, जिसमें वजन बढ़ना, पाचन में सुधार, रक्त संचार में सुधार और शुरुआती दर्द को कम करना आदि शामिल हैं। आप मालिश के लिए तेल या मॉइस्चराइजर का उपयोग कर सकते हैं। जब आप मालिश कर रहे हों, तब आप अपने बच्चे से धीरे-धीरे बात कर सकते हैं या फिर उसे गाना भी सुना सकते हैं।

आइए, अब दो माह के शिशु को होने वाली कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में बात करते हैं।

2 महीने के बच्चों के माता-पिता की आम स्वास्थ्य चिंताएं

जब शिशु बीमार हो ताे उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में माता-पिता के लिए यह जानना जरूरी है कि वो अपने बीमार बच्चे की देखभाल कैसे करें। यहां हम शिशुओं को होने वाली कुछ खास समस्याओं और उनके इलाज के बारे में बात करते हैं।

1. त्वचा की समस्या

शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है। इस समय उन्हें विशेष देखभाल की जरूरत होती है, वरना उन्हें त्वचा को कई समस्याएं हो सकतीं हैं। यहां पर हम शिशु को होने वाली त्वचा की समस्या और उनका समाधान दे रहे हैं (12)।

  • डायपर रैशज: ज्यादा देर तक गीला या गंदा डायपर पहने रहने के कारण शिशु को ये रैशेज हो सकते हैं। आमतौर पर ये डायपर रैशज जननांगों और नितंबों के आसपास दिखाई देते हैं। ये रैशेज लाल रंग के होते हैं।
  • इलाज: समय-समय पर बच्चे के डायपर बदलते रहें। जब भी डायपर बदलें, तो त्वचा को अच्छी तरह साफ जरूर करें और बेबी मॉइस्चर क्रीम भी लगाएं। कभी-कभी शिशु को बिना डायपर के भी रहने दें, ताकि त्वचा पर प्राकृतिक नमी बनी रहे।
  • हीट रैश: हीट रैश यानी घमोरियां तब होती हैं, जब रोम छिद्रों के बंद होने पर पसीना त्वचा के नीचे फंस जाता है। ऐसा आमतौर पर गर्मियों में होता है। शिशु में ये छोटे, लाल, द्रव से भरे फफोले के रूप में नजर आ सकते हैं।
  • इलाज: गर्म मौसम में शिशु के ऊपर से अतिरिक्त कपड़ों को हटा दें। उसे ढीले-ढाले, हल्के व सूती कपड़े पहनाकर आराम से ठंडे स्थान पर सुलाएं। साथ ही घमोरियों से बचने के लिए पाउडर का उपयोग भी कर सकते हैं।
  • एक्जिमा: यह एक प्रकार का त्वचा संक्रमण है, जो सूखी, घनी, पपड़ीदार त्वचा या छोटे लाल धक्कों के रूप में दिखाई देती है। शिशुओं में एक्जिमा माथे, गाल या स्कैल्प पर नजर आते हैं। यह हाथ, पैर, छाती या शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।
  • इलाज: आप डॉक्टर से पूछकर शिशु की त्वचा पर मॉइस्चराइजर लगा सकते हैं। अपने बच्चे को ढीले व सूती कपड़े पहनाएं। अगर फिर भी बच्चे को आराम नहीं मिले, तो जल्दी ही डॉक्टर से चेकअप कराएं।

2. खांसी की समस्या: वैसे खांसी गले और छाती के वायुमार्ग को साफ करने एक महत्वपूर्ण क्रिया है। फिर भी अगर शिशु को ज्यादा खांसी होती है और जल्दी ही ठीक नहीं होती, तो उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास ले जाएं।

आगे जानते हैं दो महीने के शिशु की विकसित हाेने वाली क्षमताओं के बारे में।

बच्चे की सुनने की क्षमता, दृष्टि और अन्य इंद्रियां

क्या मेरा बच्चा देख सकता है?

दो महीने के बच्चे पास की वस्तुओं और लोगों को स्थिर होकर देख सकते हैं (13)।

क्या मेरा बच्चा सुन सकता है?

जब बच्चा गर्भ में होता है, तो वह बाहर से आने वाली आवाजें सुन सकता है। साथ ही कभी-कभी उन पर प्रतिक्रिया भी दे सकता है। वहीं, जन्म लेने के बाद भी आवाजों को सुन सकता है। जहां से भी आवाज आती है, उस ओर देखने का प्रयास करता है (13)।

क्या मेरा बच्चा स्वाद और गंध को पहचान सकता है?

आपका 2 महीने का बेबी स्वाद और गंध को महसूस करने में सक्षम हो सकता है। वह कड़वे और मीठे स्वाद की पहचान सकता है। वह मुंह में कुछ कड़वी चीज आने पर रोने लगता है। इसी तरह खुशबू आने पर शिशु खुश हो सकता है, जबकि खराब गंध पर चिड़चिड़ा हो सकता है।

अब बात करेंगे दो महीने के शिशु की स्वच्छता के प्रति बरती जाने वाले बिंदुओं के बारे में।

बच्चे की सफाई और स्वच्छता का ध्यान रखें

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ और तंदुरुस्त हो। शिशु की अच्छी सेहत के लिए उनकी साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी है।

  1. बच्चे के चेहरे और सिर की सफाई: आप शिशु को एक दिन छोड़कर नहला सकते हैं। उसे नहलाने की जगह सिर, चेहरे व शरीर की सफाई के लिए गर्म पानी में भिगोए गए कोमल कपड़े का उपयोग कर सकते हैं। इस दौरान साबुन की जरूरत नहीं होती है (12)।
  1. नाखून: प्रत्येक समयांतराल पर शिशु के नाखून साफ करते रहें और काटते रहें। अगर नाखूनों में गंदगी होगी, तो वह उंगलियों को मुंह में डालेगा, जिससे गंदगी उसके मुंह में जा सकती है। साथ ही अगर नाखून लंबे हाेंगे, तो वह खुद को चोट पहुंचा सकता है। नाखूनों को बेबी नेल कटर से ही काटें (14)।
  1. गर्भनाल : गर्भनाल की सफाई के लिए गर्म पानी में एक कॉटन को डुबाकर अतिरिक्त पानी को निचोड़ कर निकाल लें। फिर धीरे से नाल और फिर आसपास की त्वचा को साफ करें। इसके बाद साफ कपड़े से पोंछे लें। ध्यान रहे कि गर्भनाल तब तक साफ और सूखी रहे, जब तक कि वह प्राकृतिक रूप से स्वयं न निकल जाए (15)।
  1. जननांगों की देखभाल : अपने बच्चे की नैपी को नियमित रूप से बदलें और साफ रखें, क्योंकि गंदे नैपी


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