आज मैं अपने बचपन से जुड़ी एक घटना आप सभी के साथ शेयर करना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी तक एक संदेश पहुँचे, आपके मनोमस्तिष्क पर एक दस्तक हो, आप भी एक बार साहस करें और कहें कि मजा नहीं आया !
जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी, परीक्षा के बाद मेरी छुट्टियाँ हो जाती थी और इन छुट्टियों में मेरी बहन अपनी 3 साल की बेटी के साथ घर पर आ जाया करती थी। दीदी की बेटी रिया मुझे बहुत प्यारी थी और मैं भी उसकी लाडली मासी थी। वह रात को मेरे पास सोती थी ,मुझसे कहानी सुनती थी और सो जाती थी। मैं भी उसे हर रोज कहानी सुनाया करती थी - कभी भालू की ,कभी हिरन की, कभी शेर की और ना जाने क्या -क्या ! इसी तरह वह हमेशा कहानी सुनते -सुनते सो जाती थी। मुझे भी यह कार्य करके बहुत आनन्द आता था। मैं हर रात उसी कहानी को सुनाती और वह बच्ची सो जाती। हर रात यही सिलसिला चलता था।
कुछ दिन ही बीते थे कि बड़े पापा के पोते के मुंडन समारोह में हमें जाने का निमन्त्रण मिला। हम सभी सपरिवार गए। कार्यक्रम ख़त्म होने में बहुत रात हो गई। सभी बाबूजी के घर पर ही रात में रुक गए। रात को सोते समय रिया कहानी सुनने की जिद करने लगी। मैं कहानी सुना ही रही थी कि भईया का बेटा भी वही सो कर कहानी सुनने लगा। मैंने वही कहानी सुननी शुरू की। एक जंगल था, जिसमें भालू कही जा रहा था। उसे रास्ते में एक घोड़ा मिला। घोड़े ने भालू से पुछा, "भालू भाई ! कहाँ जा रहे हो ? मैं भी चलूँ !" ,और फिर हाथी मिला ,ऊँट मिला ,बकरी मिली। सभी बारी -बारी साथ चल दिए। हमेशा की तरह थोड़ी देर बाद रिया तो सो गई, पर भईया का बेटा अभी जग रहा था ,मैंने आगे उसी कहानी में और जानवरो को जोड़कर कहानी आगे बढ़ाई। पर वह बच्चा अभी भी नहीं सोया था। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने कहा कि बुआ मजा नहीं आ रहा है। मैंने फिर उसी कहानी को नए जानवरों से जोड़ कर उसे सुनाने की कोशिश की, पर उस बच्चे ने यही कहा बूआ अभी भी मजा नहीं आ रहा और मैं मम्मी के पास सोने जा रहा हूँ। बच्चा तो चला गया पर मुझे रात भर नींद नहीं आई।
सुबह मैंने बच्चे से पूछा, "बेटा ! आपको मेरी कहानी पसंद नहीं आई और आपको नींद भी नहीं आ रही थी, ऐसा क्यों?" बच्चे ने कहा, "बूआ ! आप एक ही चीज को बार -बार सुना रही थी, कुछ भी नया नहीं था, मैं बोर हो गया था।" मैंने उस बच्चे से कहा, " यही कहानी तो सालों से मैं रिया को सुना रही थी, उसने कभी नहीं कहा कि वह बोर हो गई और वह सो भी जाती थी।" बच्चे का जवाब था, "बूआ ! रिया आपसे डरकर कभी नहीं कह सकी ,उसे डर था कि ये बात कहने से आगे से उसे कहानी कोई नहीं सुनायेगा।"
मैं घर तो आ गई पर सोचती रही। उस बच्चे की बात ने मुझे भीतर तक हिला कर रख दिया कि एक नन्हे से बच्चे ने कितनी आसानी से कह दिया कि आपकी कहानी में मजा नहीं आ रहा। काश ! हम सभी इस बात को इतनी आसानी से कह पाते कि मजा नहीं आ रहा, परिवर्तन के लिए दिशा को परिवर्तित कर लेते।
आज हमने 14 वर्षों के बाद हिम्मत कर, एक हो कर अपने मार्ग को परिवर्तित किया और घसीट - घसीट कर काम कर रही सरकार को कह दिया आपकी कहानी में मजा नहीं आया। आजतक हमने सिर्फ अपना मत दिया। किसकी कहानी में नया रूप है, ये हमारे जेहन में भी नहीं आया। हमें आपके काम करने का तरीका नहीं भा रहा - ये कहने के बदले मतदान ना करके हमने अपना बहुमूल्य वोट को जाया होने से बचा लिया। 14 साल के बाद आखिर उत्तर प्रदेश में परिवर्तन का डंका हमने बजा ही दिया और पुरानी सरकार को कह दिया कि आपके काम करने का तरीका हमें पसंद नहीं आया और नये लोगो को अवसर दिया ताकि उन लोगों को एक सीख मिल सके कि यदि आप ठीक से काम करेंगे तो हम आपको चुनेंगे, वरना आप घर पर बैठो, किसी और को काम करने दो, क्योकि हमें आपकी कहानी में मजा नहीं आया।
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