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नया प्यार

                                                   

कश्मकश में खडे है हम
जाना किधर पता नहीं 
अपनी बेबसी का ये अधूरी किस्सा
किसे सुनाए  पता नहीं
                                                      

निगाहें कातिलाना उसकी
अदाये भी लाजवाब
नया नया सा एहसास है ये
नया नया सा प्यार

जाने ये सब हुआ कैसे
ये मुझे मालूम नहीं
दीवाना मैं हो रहा हुँ
कसूर किसका पता नहीं
                                                      

उसकी खूबसूरत चेहरे से
नज़र हटती नहीं
उसे देखने से रोकू कैसे इन निगाहो को
ये मुझे समझ आती नहीं

जब सामने वो आती है
सांस तेज हो जाती है
दिल की धड़कन भी
उसी का नाम सुनाती है

                                                 

उसकी तरफ न जाना
चाहता है दिल
कदम अगर खुद ही बढ़ जाये उसकी ओर
तो रोकू कैसे पता नहीं

रोज़ रोज़ उसके आने से सपनो में
ख़्वाब है हैरान
नींद भी है परेशान
मगर दिल में जाग रही  है अरमान

करता हुँ शायद प्यार उससे
कहने की हिम्मत नहीं
यही है कश्मकश मेरी
कोई करे उपाय प्रदान !
                                         



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