Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

चाँद और तुम!

अभी कुछ देर पहले.रात के पिछ्ले प्रहरचाँद उतर आया था, मेरे सूने दलान में,यूँ ही,मैंने तुम्हारा नाम लेकर पुकार था,उसको ,अच्छा लगा! उसने कहा,इस नये नाम से पुकारा जाना,तुम्हें कोई एतराज तो नहीं,गर मैं रोज़ उस से बातें कर लिया करूँ?और हाँ उसे पुकारूं तुम्हारे नाम से,उसे अच्छा लगा था न!तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा न?गर चाँद को मैं पुकारूं तुम्हारे नाम से!



This post first appeared on "सच में!", please read the originial post: here

Share the post

चाँद और तुम!

×

Subscribe to "सच में!"

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×