ज़ख्म देता है कोई,मुझे कोई दवा देता है,कौन ऐसा है,यहाँ जो मुझको वफ़ा देता है! ये बारिशें भी कब यहाँ साल भर ठहरतीं है,हर नया मौसम मिरे ज़ख्मों को हवा देता है। तेरी बातें न करूँ मैं, अगर दीवारों से,है कोई काम?जो दीवानों को मज़ा देता है!दुश्मनों से ही है अब एक रहम की उम्मीद,है कोई दोस्त, जो, मरने की दुआ देता है?