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क्यों कांग्रेस पकौड़े बेचनेवाले और भिखारी में अंतर नहीं समझती

पी. चिदम्बरम के वक्तव्य अनुसार पकौड़े बेचना और भीख मांगना दोनो एक समान आजीविका है,

किन्तु एक पकौड़े बेचने वाले को भिखारी के समतुल्य बताना यानी कि बिना किसी के आगे हाथ फैलाकर, परिश्रम कर के, स्वाभिमान के साथ एक छोटा व्यवसाय कर अपना व परिवार का भरण-पोषण करना और भीख मांगने में कांग्रेस के अनुसार कोई अंतर नहीं है,
ये वक्तव्य उन करोड़ों भारतवासियों के स्वाभिमान पर चोट है जो ईमानदारी से स्वरोजगार द्वारा अपना जीवन यापन कर रहे हैं, वे भी भारत की अर्थव्यवस्था का ही एक हिस्सा है जो न केवल अपना व् अपने परिवार का अपितु एक दो सहायक रखकर उनकी भी आजीविका को सहारा देते हैं,

चिदम्बरम का ये वक्तव्य और भी आपत्तिजनक इसलिए हो जाता है क्योंकि ये भारत के पूर्व वित्तमंत्री का बयान है, वित्तमंत्री जो ये सुनिश्चित करने के लिए होता है कि अर्थव्यवस्था में सबका समावेश हो और सबके योगदान को सम्मान मिले, किन्तु जब वही छोटे व्यवसाय से आजीविका चलाने वालों को भिखारी बोले तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि उसने देश की वित्त व्यवस्था किस प्रकार चलाई होगी।

यहां ये समझने की भूल न करें कि केवल मोदी द्वारा पकौड़े बेचने का उदाहरण देने पर ये प्रतिक्रिया आई है, यथार्थ ये है कि कांग्रेस के अनुसार देश का लोवर व मिडिल क्लास मात्र एक भिखारी है, याद कीजिये शशि थरूर द्वारा विमान में इकोनॉमी क्लास में यात्रा करने को किस प्रकार "कैटल क्लास" अर्थार्थ भेड़ बकरी क्लास कहा गया था, कैसे चाय बेचने वाला कहकर व घरों में काम करने वाली महिला की संतान कहकर नीचा दिखाने का प्रयत्न किया गया था,

समस्या कांग्रेस और उसके नेताओं की मनोदशा में हैं जिसके अनुसार हर छोटे व्यवसाय से जुड़ा व्यक्ति लोवर व मिडिल क्लास का व्यक्ति एक भीख मांगनेवाले के बराबर है, ये मानसिकता इसलिए हैं कि कांग्रेस का नेतृत्व व अधिकांश शीर्ष नेता सम्भ्रांत व धनी परिवारों से आते हैं जो अपने बाप दादाओं से विरासतों में मिले धन संपत्ति के बल पर ही आगे बढ़े हैं, इन लोगों ने कभी जीवन मे संघर्ष नहीं किया है न ही कभी बुरे दौर देखे हैं,

इसीलिए कठिन परिश्रम कर समाज मे अपनी जगह बनाने वाले लोग आपको शायद ही मिलें कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में, और ऐसे लोगों को कांग्रेस में हेय दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि ऐसे लोग काबिलियत में वर्तमान नेताओं से कहीं अधिक सक्षम व परिपक्व हैं और वो कांग्रेस के वर्तमान शीर्ष नेतृत्व के कांग्रेस में स्थापित वर्चस्व के लिए एक चुनौती है, इसीलिए वर्तमान शीर्ष नेतृत्व सुनिश्चित करता है कि ऐसे लोग कभी कांग्रेस में बड़े व महत्वपूर्ण स्थानों तक न पहुंचे और उन स्थानों पर केवल कांग्रेस मानसिकता से ग्रसित चाटुकार ही सुषोभित हों जिससे कांग्रेस कि लगाम बस इन सम्भ्रांत लोगों के हाथ मे रहे जो धरातल से कोसों दूर एक अपने ही विलासिता से भरपूर स्वप्नलोक में जीवन जी रहे हैं

 क्योंकि ये कांग्रेस के नेता न तो देश को समझ पाए हैं न ही दूर-दूर तक इनका इस देश के धरातल से कोई सम्बंध है, ये वो लोग हैं जो हर वर्ष 4 महीने विदेशों में छुट्टियाँ मनाते हैं और चुनाव आने से पूर्व कैम्पेनिंग में अपने को गरीबों का हितैषी घोषित कर इतिश्री कर लाइट हैं,  इसीलिये हर निर्धन पृष्टभूमि का व्यक्ति कांग्रेस के लिए भिखारी और वोट बैंक का एक हिस्सा मात्र हैं, और इस मनोदशा का कारण है कि 70 सालों में काँग्रेस देश के लिये कुछ अच्छा नही कर सकी, और आज भी कांग्रेस की ये मनोदशा जस की तस बनी हुई है जो दर्शाती है कि क्यों कांग्रेस और उसकी विचारधारा न अतीत में देश हित मे थी और न आज वर्तमान में ही उसका देशहित से कोई सरोकार है

:रोहन शर्मा


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