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हिन्दी दिवस पर चेन्नई की एक सड़क के बहाने

#हिन्दीदिवस
ये चेन्नई की एक सड़क का नाम भर नहीं है। ये पूरे दक्षिण भारत का मानस है। जो हिन्दी पर अंग्रेजी को वरीयता दे रहा है। दोष उनका नहीं है। क्योंकि, हम हिन्दी वाले भी तो अंग्रेजी को वरीयता देते हैं। और #EnglishElite तो उत्तर भारत और उनके नेताओं ने ही तैयार किया। कांग्रेस की इसमें बड़ी भूमिका है। वरना ऐसे क्यों होता कि इंदिरा इज इंडिया इंडिया इज इंदिरा का नारा देने वाले के कामराज के राज्य में हिन्दी इतनी अछूत हो जाती है। अपनी सहूलियत की राजनीति में कांग्रेस ने ऐसे छत्रपों को तैयार किया जो दूसरे राज्य में अछूत से हो जाते। हां, इंदिरा, राजीव हर जगह देश के बड़े नेता रहे। हिन्दी और दूसरी भारतीय भाषाओं की लड़ाई में शातिर अंग्रेजी ने ऐसे जगह बनाई है कि वही हिन्दुस्तानी भाषाओं के बीच संवाद की भाषा बन गई है। टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलकर हिन्दी वाले तमिल, तेलुगू, कन्नड़ वालों से और वो लोग हम हिन्दी वालों से बात करते हैं। अंग्रेजी न उनको स्वाभाविक तौर पर आती है, न हमको। मैं तमिल की पुस्तक देख रहा था तो कई शब्द हैं जो हिन्दी से मिलते-जुलते हैं। लेकिन, हमें एकदम भिन्न अंग्रेजी सीखने में अपने जीवन की महत्वपूर्ण ऊर्जा खपा देने में ज्यादा बेहतर लगता है।




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