कैसे गले लगाओगे , इन पत्थरबाजी के सांपों को। वीर जवानों का जो खून बहा, खुश करते हैं अपने बापों को।। कब तक इनकी गद्दारी को ,देश हमारा झेलेगा, दुश्मन इनके कंधो पर चढ़ ,खून की होली खेलेगा।। मजाक बना डाला गद्दारों ने ,इतनी बड़ी आबादी का। कत्लों गारत की साज़िश है ,ज़न्नत की बर्बादी का।। नापाक मुल्क की साज़िश के ,ये गद्दार प्यादे हैं, सबकी बात नहीं करते ,कुछ कम कुछ ज्यादे हैं।। कश्मीर को कोई तोड़ सके ,किसी
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