हिन्दी से सबको सबसे, हिन्दी को है पूरी आशा ,फले-फूले दिन-रात चौगुनी ,जन-मानस की भाषा ।इसमें निहित है हमारे पूरे , देश राष्ट्र -धर्म की मर्यादा ,जितना इसका मंथन होता ,बढ़े ज्ञान अमृत और ज्यादा ।बदल रहें इसके कार्य -क्षेत्र ,बदल रही सीमा परिभाषा,आभाषी मन मचल रहे हैं ,ले एक नयी उर में जिज्ञाषा ,इसमें समाहित है महा-कुम्भ ,रस, श्रृंगारों,भावों और छंदों का ,हर शंकाओं-आशंकाओं का समाधान ,मन के
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