Source: CoccoYammy |
जब से बड़ा हुआ व कुछ समझने लगा तो यही पाया कि मेरी मम्मी सदेव किसी न किसी बात पर हमेशा चिंता में रहती थी। कभी जो हो गया उसकी चिंता कभी आगे क्या होगा उसकी चिंता। हमेशा उनके चेहरे पर चिंता रेखाएं देख कर सोचता कि मम्मी हमेशा चिंतित क्यों रहती हैं। हद तो तब हो गयी जब उन्ही के विवाह की २५ वी सालगिरह के अवसर पर पार्टी में मज़े लेने के बजाए इसी चिंता में इधर उधर भागते देखा कि कहीं कोई बिना भोजन ग्रहण किये न चले जाए। बार बार हमें भी यहीं कह रही थी कि सबको पूछना कोई नाराज़ न हो जाए और पूरी पार्टी यू ही बिता दी उन्होंने!
मैंने मन ही मन सोचा कि मम्मी की इसी आदत को मई अब छुड़ा के ही दम लूँगा। तभी मैंने RewardMe की साइट पर मैडिटेशन के ६ आसान तरीके पढ़े और जुट गया कि मम्मी को किसी न किसी तरह मैडिटेशन सिखाए ताकि वो चिंता रहित जीवन जी सके। जब मैंने उनसे इस विषय की तो मम्मी कहाँ हाथ थी। "अरे बेटा , मेरे पास कहाँ टाइम हैं , असल में मेरा ध्यान नहीं लगता" जैसे बहानो से मैडिटेशन करने से बचती रही लेकिन मैने उन्हें इस लेख में लिखे आसान ६ टिप्स दिए कि आप सिर्फ ५-७ मिन्ट के लिए मेरे साथ बैठ कर ध्यान लगाओ। इतने कम समय के लिए तो वो कोई बहाना भी नही बना पाई। ध्यान करते समय मैं उनके फोन बंद कर देता था। केवल अपनी सांस के आने व जाने की प्रक्रिया पर, अपने पैरो से सर तक हर अंग पर ध्यान देने की आदत बनाने को कहता था। लेकिन मेरी माँ तो माँ है, बीच में ही आँखें खोल कर कहती कि मेरा ध्यान नही लगता, मेरे मन में अलग अलग विचार आने लगते हैं। कभी बीच में ही उखड जाती कि मैं इतनी देर नही बैठ सकती। धीरे धीरे उन्हें इसमें आराम मिलने लगा, वो खुद ही सोने से पहले मुझसे कहने लगी कि चल मैडिटेशन करते हैं। और इसका असर उनकी पर्सनालिटी पर भी दिखने लगा। उनका गुस्सा एवं उनकी चिंता थोड़ी काम होने लगी।
कल मेरी बहिन की सगाई के मौके पर मैंने माँ को हर्षित हो कर हर रस्म में भाग लेते हुए देखा। उनके चेहरे पर चिंता की रेखाओं की जगह ख़ुशी और रोमांच नज़र आ रहा था। फिर मैंने मन ही मन सोचा कि कल सबसे पहला काम यही करना है कि rewarme के इस लेख लिखने वाले को धन्यवाद दूँगा।
I am participating in the ‘Ready For Rewards’ activity for Rewardme in association with BlogAdda.