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सेवा की अनन्त धाराएं बहती हैं महातीर्थ आनन्दधाम से | Sudhanshu Ji Maharaj | Vishwa Jagriti Mission

सेवा की अनन्त धाराएँ फूटती है महातीर्थ आनन्दधाम से

महानगर दिल्ली के बाहरी छोर पर प्रदूषणमुक्त वातावरण में स्थित है स्वर्गरूपी महातीर्थ आनन्दधाम आश्रम। परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री सुधांशु जी महाराज ने वर्ष 1997 में नांगलोई-नजपफगढ़ रोड पर स्थित बक्करवाला ग्राम की ओर जाने वाले मार्ग पर यह स्वर्ग उतारा। अपने परिश्रम, चिन्तन, मनन, तपस्या के बल पर यहीं से गुरुवर ने नई-नई योजनाओं, सेवा प्रकल्पों को कार्यान्वित किया, हजारों समर्पित भक्तों ने इस आश्रम को तन-मन और धन से सींचा। करोड़ों बार इस देवत्व के गोमुख में भगवद्नाम के जाप हुए, यह परिसर सैंकड़ों हवन-यज्ञ का साक्षी बना।

यहीं सैंकड़ों साधना-शिविर आयोजित किये गये, श्रद्धा से श्रद्धा पर्व का सृजन हुआ। रोग निवारण अस्पताल के साथ अनन्त जनकल्याण की सेवाएं यहीं से गुरुवर द्वारा प्रारम्भ की गईं। उनके साथ योगमूर्ति डॉ. अर्चिका दीदी भगवान शिव से प्राप्त साधना व सिद्धि से इस आश्रम के स्वरूप को निखारने, संवारने और सजाने में संलग्न हैं। इस प्रकार 25  वर्षों से अधिक की यात्रा तय करके आज यह आश्रम मिशन के लाखों भक्तों व अन्य धर्मावलम्बी सज्जनों के लिए पुण्य सिद्ध तीर्थ बना है। यही कारण है कि आने वाले श्रद्धालुओं का यहां की माटी छूने मात्र से त्वरित कल्याण होता है। अवश्य ऐसे दिव्य तीर्थ के दर्शन कर हम सबको अपना-अपना सौभाग्य जगाना चाहिए। आइये! करते हैं तीर्थ दर्शन।

प्रथम पूज्य भगवान गणेष

आनन्दधाम आश्रम में गेट नम्बर 04 से प्रवेश करने पर सिद्धि विनायक गणपति महाराज के आपको दर्शन होंगे। गणपति प्रथम पूज्य हैं, प्रणाम कीजिये, आशीर्वाद पाईये सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सम्पदा का। पांच कदम चलिये, दांई ओर स्वागत कक्ष, बांई ओर सोशल आपको आशीर्वाद दे रहे हैं, साथ में माँ भगवती, महर्षि भगीरथी, बहती निर्मल गंगा, सर्प, विशाल सुंदर शंख, इसी सिद्ध शिखर पर वर्षों से सांध्य को शिवपूजा, यज्ञ, शिव वन्दना, शिव आरती वर्षों से हो रही है।

सिद्ध शिखर के सामने दिव्य लोक भवन, जिसमें तीसरी मंजिल पर गुरुदेव जी का निवास-विश्राम स्थल, दूसरी मंजिल पर अतिथि निवास, प्रथम तल पर मिशन का मुख्य कार्यालय, जहां सैंकड़ों सेवक आपकी सेवा में कार्यरत हैं। देश-विदेश में मिशन के मंडलों का चैप्टर का कुशल प्रबंधन करने वाले महामंत्राी जी का कार्यालय, प्रकाशन विभाग, लेखा विभाग, कम्प्यूटर विभाग, सम्पर्क विभाग, व्यवस्था विभाग यहीं स्थित है। वहीं भूतल पर स्वागत कक्ष, दर्शन हॉल, अन्नपूर्णा भवन, आनन्दधाम ट्रस्ट का कार्यालय सब दर्शन कर लीजिये। बांई ओर मुड़ने से पहले दांई ओर गुरु कुटिया, 100 से अधिक गौओं के लिए कामधेनु गौशाला में गौओं के दर्शन करिये, रोगमुक्त होईये, उन्हें चारा खिलाईये।

विविध सेवा प्रकल्पों से भरा आनन्दधाम तीर्थ स्थल

मीडिया सेंटर, चलते जाईये, दांई ओर कल्पवृक्ष वाटिका, बांई ओर सद्गुरु चरण पादुका कुटिया, ध्यान कुटिया, मनोरम झील, सिद्ध शिखरμबांहे फैलाकर भगवान शिव आपको आषीर्वाद दे रहे हैं। मुड़ जाएं वापिस श्रीनिकेतन भवन, शिवशक्ति धाम जहां कर्मचारियों, वृद्धजनों, वानप्रस्थीजनों व अतिथि गृह की व्यवस्था की गई है। आगे चलें, सुखदायी सभी सुविधाओं से सम्पन्न सीनियर लिविंग होम में मिलिये अनुभवी वरिष्ठजनों से साथ में भगवान शिव के दर्शन करें, फिर बांई ओर मुड़े, मुड़कर दांई ओर देखिये भूतल पर उपदेशक महाविद्यालय, जहां सनातन धर्म और मिशन के प्रचार के लिए उपदेशक तैयार किये जाते हैं।

प्रथम तल पर विश्व जागृति मिशन अन्तर्राष्ट्रीय योग स्कूल, जहां डॉ. अर्चिका दीदी जी के निर्देशन में योग की विभिन्न विधाओं में योगाचार्य निष्णात किये जाते हैं, जो समय के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व में योग का संदेश फैलायेंगे। इन भवनों के सामने खेलने के लिये खुला मैदान है। इन भवनों की बांई ओर लाखों हृदयों के सम्राट परमपूज्य सद्गुरुदेव जी महाराज परिवार सहित निवास करते हैं। अब दांई ओर देखें, नुक्कड़ पर ही योगाभ्यास कुटिया, साथ में योग स्कूल का कार्यालय एवं संगीत कक्ष हैं। जहां महाविद्यालय और गुरुकुल के विद्यार्थी संगीत का अभ्यास करते हैं। उनके मधुर कण्ठ से निःसृत भजनों की मधुर स्वर लहरियां आप सुन सकते हैं, जो संगीत यंत्रों की मधुर झंकारों के साथ आपके कानों को मधु से भर देती हैं।

असहाय व निर्धन बच्चों के लिए वरदान बना महर्षि वेदव्यास गुरुकुल विद्यापीठ

अब आप आ गये महर्षि वेदव्यास गुरुकुल के गेट पर, रुकिये नहीं यहां अंदर प्रवेश कर जाईये, दर्शन करिये वाणी की देवी माँ सरस्वती के, जो भव्य रूप में यहां विराजमान हैं, यहीं प्रातः प्रार्थना से ऋषिकुमारों की दिनचर्या प्रारम्भ होती है। गुरुदेव जी ने 2 अक्टूबर, 1999 को इसकी स्थापना इस उद्देश्य से की थी कि सत्य सनातन धर्म व संस्कृति के प्रचार के लिए समर्पित योग्य अंकुर लगाये जायेंगे, जो निष्णात विद्वान बनकर देश-विदेश में धर्म की सेवा करेंगे। यहां प्राचीन व अर्वाचीन शिक्षा के साथ-साथ ऋषिकुमारों को संगीत, योग, यज्ञ, खेल, कम्प्यूटर आदि में भी प्रशिक्षित किया जाता हैं उन्हें शिक्षा, आवास, भोजन, वेशभूषा और उपचार की निःशुल्क सुविधाएं उपलब्ध हैं। विद्वान आचार्यों से अधिक धर्मप्रचारक तैयार किये जा चुके हैं। गुरुकुल के छोटे गेट से बाहर आ जाईये।

अब आप भव्य मंदिरों, यज्ञशाला, विशाल सत्संग स्थल, सुमेरु पर्वत के परिसर में आ गये, जैसे आप भगवान की नगरी में प्रवेश कर गये। इस प्रांगण में राधा-माधव मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, शनि मंदिर, नवग्रह वाटिका, सुरुचि भोजनालय और सत्संग हॉल है। मंदिरों में भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। पशुपतिनाथ मंदिर के सामने स्वर्णिम नंदी विराजमान हैं। वहीं वट वृक्ष है। यज्ञाशाला में प्रतिदिन गुरुकुल के ऋषिकुमार यज्ञ करते हैं। नवनिर्मित सुमेरु पर्वत के सामने बारह ज्योर्तिलिंग स्थापित हैं जिन्हें अब नया रूप दिया जा रहा हैं। सुमेरु पर्वत में भगवान शिव परिवार व अन्य देवी-देवताओं के आवास निर्मित हैं। अब गेट नम्बर तीन पर भगवान श्री गणेश के दर्शन कीजिये।

लाखों लोगों का जीवनरक्षक बना करुणासिन्धु अस्पताल

गेट नम्बर एक से करुणासिन्धु धर्मार्थ अस्पताल में प्रवेश कीजिये, जहां रोग निवारण के लिए सभी विभाग हैं। प्रतिदिन इसमें 32 डॉक्टर रोगियों का उपचार करते हैं। यहां औषधि केन्द्र भी है। नेत्र उपचार के लिए इस अस्पताल की गिनती दिल्ली महानगर के पांच श्रेष्ठतम अस्पतालों में की जाती है। इस अस्पताल की स्थापना 1998 में डिस्पेन्सरी के रूप में और वर्ष 2000 से पूर्ण अस्पताल सेवारत है, जहां अब तक 18 लाख से अधिक गरीब रोगियों का निःशुल्क उपचार और 35 हजार मोतिया के निःशुल्क ऑपरेशन हो चुके हैं। इस अस्पताल की दांई ओर आयुर्वेदिक प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र है, जहां 35 वर्षों के अनुभवी डॉक्टर मरीजों का उपचार करते हैं इस आश्रम की हरीतिमा, रंग-विरंगे फूल, वृक्ष हर क्षण शोभा बढ़ाते हैं। प्रत्येक वर्ष अक्टूबर से मार्च तक आश्रम फूलों की चादरों से सुसज्जित दिखाई देता।

Manali Meditation,  Manali Meditation Retreats 

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