( नेशनल थोट्स ) पाकिस्तान, जो पहले से ही बर्बादी की कगार पर खड़ा है, तकनीक में भी पिछड़ा हुआ है। चुनावी नतीजों के बाद, विपक्षी दल सड़कों पर उतरे हुए हैं, जिसने कार्यकारी सरकार, नई सरकार बनाने वाले दल और पाकिस्तान की सियासत को कंट्रोल करने वाली आर्मी को भी हिला दिया है। लेकिन इस बार, झटका चीन ने दिया है। पाकिस्तान को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर झटका मिला है। पाकिस्तान, जो हर वक्त चीन का गुणगान करता है, ने चीन से एक शक्तिशाली सॉफ्टवेयर की मांग की थी। यह सॉफ्टवेयर राजनीतिक असहमति रखने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए इस्तेमाल किया जाना था।
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लेकिन चीन ने साफ इनकार कर दिया। चीन ने अपने ग्रेट फायरवॉल सॉफ्टवेयर को शेयर करने से मना कर दिया, जिसके पीछे बड़ी वजह सॉफ्टवेयर की पायरेसी बताई जा रही है। चीन को डर है कि अगर यह सॉफ्टवेयर पाकिस्तान को दिया जाता है तो अमेरिका इसकी कॉपी कर सकता है।चीन अपने ग्रेट फायरवॉल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल घरेलू दर्शकों के लिए उपलब्ध इंटरनेट को व्यापक रूप से सेंसर करने के लिए करता है। चीन ने सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके इंटरनेट तक लोगों की पहुंच को काबू कर रखा है।
एक्सपर्ट के अनुसार, चीन का ग्रेट फायरवॉल कीवर्ड या संवेदनशील शब्दों के लिए डीसीपी की जांच करके काम करता है। अगर कीवर्ड या संवेदनशील शब्द डीसीपी में दिखाई देते हैं तो इंटरनेट एक्सेस बंद हो जाएगा।पाकिस्तान की कार्यकारी सरकार अपने देश में भी ऐसा ही काम करना चाहती थी। ताकि नई सरकार और आर्मी के विरोध में उठने वाली आवाजों को दबाया जा सके।
लेकिन चीन ने पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया है। चीन ने साफ कह दिया है कि वह पाकिस्तान को ग्रेट फायरवॉल सॉफ्टवेयर नहीं देगा।यह घटना चीन और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती है। यह भी संकेत है कि चीन अब पाकिस्तान को उतना महत्व नहीं देता है जितना पहले देता था।
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