Baisakhi Story in Hindi
बैसाखी का त्यौहार पूरी हिन्दू और सिख कौम के लिए बहुत खास है. बैसाखी 13 अप्रैल को मुख्यत पंजाब और हरयाणा में बड़े हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है लेकिन पूरी दुनिया में सिख धर्म के लोग इस त्यौहार को बहुत विशेष मानते है. बैसाखी का दिन सिख धर्म के नए साल के रूप में भी मनाया जाता है. इसी दिन सन 1699 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की नींव रखी थी और बैसाखी इसलिए भी मनाई जाती है क्यूंकि इस मौसम में किसान अपनी फसल की कटाई करते है.
Related Articles
सिखों के नौवे गुरु श्री गुरु अमर दास जी ने हिन्दुओं के 3 त्योहारों को मनाने का आदेश दिया था, उन तीन त्योहारों में थे बैसाखी, दिवाली और महाशिवरात्रि. बैसाखी त्यौहार की कहानी शुरू होती है गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी से. मुघलो के शहंशाह औरंगज़ेब ने गुरु तेग बहादुर जी को इस्लाम धर्म कबूलने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
Baisakhi Story in Hindi
औरंगज़ेब को गुरु तेग बहादुर पूरी इस्लामियत के लिए खतरा लगते थे और इसलिए भरी सभा में औरंगज़ेब ने गुरु तेग बहादुर जी का सिर कलम करवा दिया था. गुरु तेग बहादुर पूरे हिन्दू और सिख धर्म के लोगों को ये सन्देश देना चाहते थे कि अपना धर्म परिवर्तन कभी ना करे बल्कि औरंगज़ेब के जुर्म के खिलाफ आवाज़ उठाये.
हिन्दू और सिख लोग बैसाखी का त्यौहार गुरु तेग बहादुर की शहीदी दिवस की याद में भी मनाते है. औरंगज़ेब पूरे भारत में इस्लाम धर्म फैलाना चाहता था लेकिन गुरु तेग बहादुर जी की वजह से ऐसा ना हो सका. गुरु तेग बहादुर जी के बाद कई हिन्दू और सिख धर्म के लोग औरंगज़ेब के खिलाफ खड़े हो गए और उसके खिलाफ हल्ला बोल दिया.
Baisakhi Story in Hindi
गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी अगले सिख गुरु बने और बैसाखी के ही दिन उन्होंने सिख सेना बनाने का फैसला लिया ताकि औरंगज़ेब के ज़ुल्मो के खिलाफ आवाज़ उठाई जाए. गुरु गोबिंद सिंह जी ने हज़ारो लोगों को आनंदपुर साहिब में लोगों को सम्बोधन किया। हज़ारो लोग बैठे थे और वहां गुरु गोबिंद सिंह जी एक तलवार लेकर पहुँच गए.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने हज़ारों लोगों में कहा “जो भी अपने गुरु के लिए अपनी जान दे सकता है वो, आगे आये.” एक व्यक्ति आया और फिर गुरु गोबिंद जी उसे एक टेंट में ले गए और फिर कुछ देर बाद जब बाहर आये तो उनकी तलवार खून से लाल थी. गुरु गोबिंद सिंह जी ने दोबारा कहा कि जो भी अपनी जान गुरु के लिए दे सकता है आगे आये. फिर एक व्यक्ति आया जिसे गुरु जी टेंट में ले गए और दोबारा खून से लाल तलवार लेकर बाहर आ गए. ऐसा उन्होंने 5 बार किया.
Baisakhi Story in Hindi
सभी लोग बहुत चिंतित थे कि गुरु जी ये क्या कर रहे है. फिर कुछ देर बाद गुरु गोबिंद सिंह जी टेंट के अंदर गए और उन पांचो के सिर पगड़ी बाँध कर बाहर ले आये और उन पाँचों को “पंज पियारे” के नाम से नवाज़ा गया.
ये वो 5 लोग थे जिन्हे गुरु गोबिंद सिंह ने अपनी खालसा फ़ौज में शामिल किया था. इसके बाद हज़ारो लोग खालसा की फौज में शामिल हुए और औरंज़ेब को मुंहतोड़ जवाब दिया.
बैसाखी के दिन ही सिख धर्म का जन्म हुआ और इसलिए ये दिन सिखों के लिए बहुत ख़ास है.
Baisakhi Story in Hindi
पंजाब और हरयाणा में बैसाखी बड़े हर्ष के साथ मनाई जाती है. इस दिन कई जगहों पर मेले भी लगते है. बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग सुबह गुरूद्वारे जाते है जहाँ इस दिन के लिए खास अरदास की जाती है. इस दिन पंजाब में कई जगहों पर लंगर भी लगता है. स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टेम्पल में बैसाखी का पर्व बड़े चाह से मनाया जाता है.
Also, read more:-
- क्यों बैठती है लक्ष्मी जी विष्णु भगवन के चरणों में -Lakshmi aur Vishnu Bhagwan ki Kahani
- सिंहासन बत्तीसी की ग्यारहवीं कहानी Sinhasan Battisi ki Eleventh Story in Hindi
- अंधे या देखने वाले: अकबर-बीरबल की कहानी
The post बैसाखी की कहानी – क्यों मनाते है बैसाखी, जानिये इतिहास से जुडी ज़रूरी बाते appeared first on Short Stories in Hindi.