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creepy stories in hindi the ghost hospital ,

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हॉस्पिटल का दरवाज़ा खुलता है , सामने २ बेड लगे हुए हैं एक पर राघव और दूसरे बेड पर उसके बाबू जी लेटे हुए हैं , जिनका आज ही हार्निया का ऑपरेशन हुआ है , यूँ तो हॉस्पिटल का ये जनरल वार्ड है जिसमे लोगों का आना जाना दिन भर बना ही रहता है , बस रात में सिर्फ पेसेंट के साथ रुकने वाले इक्का दुक्का आदमी ही बचते हैं , खैर बाबू जी को अभी होश नहीं आया था यही देखने के लिए राघव बार बार उठकर उन्हें देखता और सो जाता है ,तभी कुछ लोगों की वार्ड में एंट्री होती है , वो आपस में बात करते हैं की बाथरूम में एक पगलिया रात भर इस कड़ाके के ठण्ड में हाँथ पैर धोती है और जो भी वहाँ जाता है सभी को गाली देती है , और रात भर में सारी पानी की टंकी खाली कर देती है ।

इस बात को अनदेखा करते हुए राघव दूसरी तरफ मुँह करके सोने की कोशिश करता है , मगर बाबू जी को कब होश आ जाये और उन्हें कोई जरूरत पड़ जाए इस चिंता में वो बस पलके बंद किये हुए लेटा था , दीवार पर लगी घडी की टिक टिक भी रात के साथ धीमी पड़ चुकी थी वक़्त था की काटने का नाम नहीं ले रहा था , तभी राघव ने सोचा की क्यों न बाथरूम में जाकर मुँह धो लिया जाए ताकि थोड़ा फ्रेश लगे वो बाथरूम में एंट्री करता हैं सामने देखता है की एक औरत इस कड़ाके की ठण्ड में रात के तीन बजे हाँथ पैर धो रही है वो राघव को देखकर सहम सी जाती है लेकिन एक बार फिर अपनी धुन में बड़बड़ाते हुए हाँथ पैर धोने लग जाती है , राघव उसकी हरकत को अनदेखा करके फ्रेश होता है और वहाँ से चला आता है , जैसे तैसे रात कटती है ।

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दूसरा दिन दोपहर के २ बजे आज राघव दिन में भी हॉस्पिटल में बाबू जी के साथ ही है , क्या पता कब कैसी ज़रुरत पड़

जाए , राघव हॉस्पिटल के गलियारे में पड़ी बेंच पर बैठा मोबाइल में कुछ चला रहा था की तभी उसके बाजू में आकर एक शख्स बैठ जाता है , शायद वो दिन ड्यूटी वाला सिक्योरिटी गार्ड है , वो राघव से पूछता है भैया जी आप २ नंबर बेड वाले दादा जी के साथ हैं न जिनका हार्निया का ऑपरेशन होना था हो गया उनका ऑपरेशन बहुत सज्जन आदमी हैं  , राघव हाँ मैं उन्ही के साथ हूँ पिता जी हैं मेरे , तभी राघव सिक्योरिटी गार्ड से पूछता है की ये रात भर बाथरूम में जो एक औरत हाँथ पैर धोती है कौन है कोई इसे इसे कोई डांटता क्यों नहीं  है जवाब में गार्ड बताता है की ये पागल है यहीं हॉस्पिटल में रही आती है मरीजों से खाना बच जाता है , कैटरिंग वाले इसे भी दे देते हैं हो गया पल रही है इसी हॉस्पिटल में लगता है  इसका कोई नहीं है , और तभी एक नर्स आवाज़ देती है और सिक्योरिटी गार्ड वहाँ से चला जाता है राघव भी उठकर बाबू जी को देखने अंदर चला जाता है ।

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आज रात भी राघव हॉस्पिटल में ही रुका था , ८ बज चुके थे घडी के काटों की रफ़्तार के साथ साथ गैलरी से लोग भी रवाना होने लगे राघव अकेला ही गैलरी में बैठा हुआ था , तभी एक शख्स बैंच के दुसरे कोने में आकर बैठ जाता है , वो राघव से पूछता है आप यहां किसके साथ हैं राघव अपना परिचय बताता है , बाजु वाला शख्स भी बताता है की मैं जयमूर्ति  यहां अपने बेटे कार्तिक के ऑपरेशन के लिए आकर ठहरा हूँ , राघव पूछता है हो गया ऑपरेशन शख्स जवाब देता है कल होगा , राघव बोलता है अच्छा है तभी वो शख्स हड़बड़ा के बोल पड़ता है , ब्लड चाहिए कल के ऑपरेशन के लिए राघव पूछता है वो तो ब्लड बैंक में मिलेगा , हाँ मिलता तो ब्लड बैंक में ही है मगर मिलेगा नहीं , डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में चीड़ फाड़ करने के बाद बोलता है ब्लड का इंतज़ाम करो तुरंत नहीं तो पेसेंट की जान चली जाएगी , यहां दलाल लगे हैं जो ५००० से १०,००० रुपये लेते हैं और फिर ब्लड डॉक्टर मरीज को चढ़ाते भी नहीं है इसी के चलते वो पागल औरत की बहन मर गयी थी , राघव पूछ बैठता है कौन पागल औरत , वो शख्स बताता है वही पागल औरत जो रात भर बाथरूम में हाँथ पैर धोती रहती है , ये बात सुनकर राघव के दिमाग की बत्ती गुल्ल हो जाती है , उस शख्स से बात करते रात के १ बज जाते हैं वो शख्स राघव को गुड नाईट बोलता हुआ वार्ड के अंदर चला जाता है ।

राघव अभी हॉस्पिटल की गैलरी में अकेला बैठा कुछ सोच ही रहा था की वोही बाथ रूम वाली पागल औरत राघव को घूरती हुयी दीवार से चिपकती हुयी फिर बाथ रूम की तरफ चली जाती है , राघव कुछ सोच पाता की तभी हॉस्पिटल में भयानक चीख से गूँज पड़ती है , राघव फ़ौरन गेट के तरफ दौड़ लगाता है , गेट के बाजू में एक लड़का एक लड़की गिरे पड़े थे जिन्हे शायद छत से फेंका गया था , जिसमे एक तो ऑन द स्पॉट ख़त्म हो जाता है और लड़की आई. सी .यू .में एडमिट कर दी जाती है , इधर राघव वार्ड की तरफ बढ़ता है , तभी रास्ते में छत की तरफ जाती हुयी सीढ़ियों से कोई उतरता हुआ दिखाई देता है , राघव ये दृश्य देख कर हैरान रह जाता है , वो शख्स कोई और नहीं वो वही पागल औरत थी जो सारी रात बाथरूम में हाँथ पैर धोया करती थी ,

राघव सीढ़ियों की ओट में छुप जाता है और पगलिया दांत से कुछ निकालती हुयी सीढ़ी से उतर कर गैलरी में चलते चलते

कहीं गुम हो जाती है , राघव दबे पाँव सीढ़ियों से चढ़ता हुआ हॉस्पिटल की छत पर चला जाता है , वहाँ मोबाइल की फ़्लैश लाइट में कुछ लोग शायद वाइन पी रहे थे वो राघव को देख लेते हैं राघव भी उन्हें पहचान जाता है वो कोई और नहीं जूनियर डॉक्टर्स की टीम थी जो दिन में वार्ड में मरीजों के चेक अप के लिए बारी बारी से आते जाते रहते हैं , मोबाइल की फ़्लैश लाइट में जब राघव की नज़र डॉक्टर्स की गिलास पर पड़ती है तो वो हैरान रह जाता है , उसे यकीन ही नहीं होता की ये तो खून पी रहे हैं , वो वहाँ चिल्लाने की कोशिश करता है मगर अफसोश उसके सर पर कोई पीछे से खतरनाक वार कर देता है और राघव वहीँ बेहोश होकर गिर जाता है , और जब उसे होश आता है सुबह के १० बज चुके थे और वहाँ कोई नहीं था , राघव नीचे गैलेरी में आता है , सामने वही रात वाले जूनियर डॉक्टर्स की टीम दिखाई देती है , वो राघव को देखकर बेहद डरावने एक्सप्रेशंस के साथ कुटिल मुस्कान देते हैं , ये सब देखकर राघव हैरान रह जाता है , सामने रिसेप्शन पर पड़े अखबार में छपा था हॉस्पिटल की छत से गिरे लड़का लड़की निकले भाई बहन जिन्हे हॉस्पिटल की छत पर जाते किसी ने नहीं देखा और नहीं सी . सी. टी , वी . में कोई फुटेज मिला , राघव अखबार में लिखी खबर पढ़कर हैरान रह जाता है , उसके मन में विचार आता है वो सोचता है की क्यों न इस घटना की खबर पुलिस को की जाए मगर अखबार पढ़ने के बाद राघव स्योर हो जाता है हो न हो इसमें बहुत बड़ा स्कैंडल है जिसमे नेता , पुलिस , हॉस्पिटल , डॉक्टर सबके सब मिले हुए हैं ,

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राघव हॉस्पिटल से निकल ही रहा था की , हॉस्पिटल के पीछे साइड जहां पोस्टमॉर्टेम रूम है वहाँ से कुछ लोगों की बहुत तेज़ रोने की आवाज़ सुनायी दे रही थी , जिसमे से एक औरत चीख चीख के बोल रही रही थी अब तो बख्स दो कहाँ से लाऊं पैसे एक तो हमारा कलेजे का टुकड़ा छीन लिया ऊपर वाले ने अब उसकी लाश लेने में भी पैसे मांग रहे हैं तभी एक स्वीपर पोस्टमॉर्टेम रूम से बाहर आता है , वो उन लोगों से बोलता है लाश अच्छी से सिलनी है तो पैसा लगेगा वरना हमें क्या हम तो बोरे जैसे सी के दे देगे आगे रास्ते में लाश खुल जाए तो तुम्हारी जवाबदारी होगी , राघव हालात समझता है और स्वीपर को पास बुला कर कुछ पैसे दे देता है इधर स्वीपर बुढ़िया को बोलता है अब सब ठीक हो जायेगा , राघव वहाँ से चला तो जाता है मगर उसके ज़हन में हॉस्पिटल में होने वाली घटनाएं एक एक करके घूमती रहती हैं राघव चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है ।

तीसरा दिन हॉस्पिटल की पार्किंग में राघव ने बाइक खड़ी ही की थी , मीडिया और पुलिस की भीड़ के का हल्ला हो उसे

सुनायी देता है , वहाँ पहुंचने पर पता चलता है , हॉस्पिटल के फ्रंट गेट के बाजू में एक कटा हुआ मानव का पैर मिला है पर सामान्यतः ऑपरेशन के बाद काटे हुए अंगों को डिस्पोज कर दिया जाता है , या फिर उन्हें फ्रीजर में संरछित कर दिया जाता है , फिर ये कटा पैर यहां कैसे पहुंच गया , राघव की नज़रों के के सामने वही हॉस्पिटल की छत वाला सीन घूम जाता है ।

खैर ८ दिन बाद बाबू जी की हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाती है , राघव डॉक्टर से डिस्चाज फॉर्म पर साइन करवा कर जैसे मुड़ता है , उसकी नज़र जयमूर्ति पर पड़ती है , राघव पूछता है हो गया आपके बेटे कार्तिक का ऑपरेशन जयमूर्ति बताता है की नहीं हुआ उसकी हालत बहुत खराब है जी दूध और दाल के पानी के दम पर वो ज़िंदा है जी , उसका बचना मुश्किल है , राघव उसे ढाढस बंधाता है और बाबू जी को लेकर वहाँ से निकल जाता है , कुछ दिन और बीतते हैं एक दिन राघव पेपर में पढता है , एक लड़का जिसका नाम कार्तिक सन ऑफ़ जयमूर्ति है हॉस्पिटल से कहीं गुम हो गया था और कल शाम उसकी लाश रेलवे ट्रैक पर मिली है , शयद उसने आत्म हत्या कर ली है , ये खबर पढ़कर राघव शॉक्ड रह जाता है , हफ्ते भर ही बीते थे की एक खबर और छपती है शहर में बहुत बड़ा गांजा का जखीरा पकड़ा गया है जिमसे कुछ बड़े नामी डॉक्टर्स के शामिल होने की भी खबर छपती है , मगर उस डॉक्टर का नाम नहीं लिखा होता ।

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राघव ने अभी अख़बार का पेज पलटा ही था की शहर बहुत बड़े बाइक चोर गैंग के पकडे जाने की खबर छपी होती है , जिसमे मेडिकल कॉलेज के कुछ जूनियर डॉक्टर्स का नाम भी छपता है , ड्रग्स कोरेक्स में लिप्त तक की खबर तो पहले भी पढ़ चूका था राघव अब इस खबर के बाद से ॐ त्राहिमाम करता हुआ राघव न्यूज़ पेपर को किनारे रख देता है ।

pix taken by google ,

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