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चंबा फर्स्ट: चंबा अपार संभावनाओं की भूमि है, आशावादी रहें युवा, बोले ट्रैकिंग पर्यटन के प्रतिपादक प्रेम सागर

हिमाचल प्रदेश में ट्रैकिंग पर्यटन की शुरुवआत करने वाले प्रेम सागर चंबा फर्स्ट और रीडिस्कवर चंबा के आन्दोलन से जुड़े हैं और अपना सहयोग दे रहे हैं। हिमवाणी से बात चीत में उन्होंने कहा कि चंबा अपार संभावनाओं की भूमि है।

पिछले कल, चम्बा के जाने माने समाजसेवी मनुज शर्मा ने ‘चंबा रीडिसकवर्ड’ नामक अभियान का आरम्भ किया जिसके तहत वो चम्बा में उन्नति के लिए काम करेंगे और चम्बा को पिछड़ेपन के खिताब से मुक्ति दिलाने का प्रयास करेंगे। इसके चलते, हिमवाणी ने भी चम्बा फर्स्ट नामक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत हम पाठकों को चम्बा के अलग अलग पहलुओं से अवगत कराएँगे। हमारा प्रयास रहेगा की कम जनता के विचार एकत्रित कर, एक श्वेत पत्र लाएं जिसमें चम्बा के विकास के लिए विचार प्रस्तुत होंगे।

इसके चलते कल चम्बा में एक अधिवेशन हुआ, जिसमें चम्बा के कई लोगों ने अपने विचार रखे। इस अधिवेशन के दौरान हुयी बातचीत में प्रेम सागर ने कहा:

“मैं एकआशावादी व्यक्ति हूँ, और सकारात्मक सोच के साथ काम करता हूँ। भारत सरकार की जिस रिपोर्ट में चंबा के पिछड़ेपन की बात की गयी है उसका एक अलग पहलू भी है। जिसे हमें पहचानने की जरुरत है और इसे एक अवसर में बदलकर हम चंबा के भविष्य की तस्वीर भी बदल सकते हैं।”

जो पिछड़ा हुआ है उसी का विकास होगा

चंबा के पिछड़ेपन की रिपोर्ट्स पर प्रेम सागर ने कहा कि इस रिपोर्ट्स का जो सबसे अच्छा पहलू है वह यही है कि अब हमें अपनी बीमारी के बारे में पता है, तो हम उसका बेहतर इलाज कर पायेंगे। उन्होंने कहा कि जो जितना पिछड़ा हुआ होता है उसका उतना ही विकास होता है। “अब सभी करता-धरता की चंबा की तरफ नज़र जायेगी और नए रास्ते खुलेंगे और नई कहानी लिखी जायेगी। युवाओं कि घबराने की बिलकुल भी जरुरत नही है,” उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा।

हम अपनी सास्कृतिक धरोहरों का सम्मान कर उन्हें पहचान दिलाएं

प्रेम सागर ने कहा कि ट्रेकिंग पर्यटन की नीव रखने के बाद जब वो विदेशी लोगों को ट्रैकिंग के लिए ले जाते थे, तब उन्होंने देखा कि बाहरी लोगों में भी हमारी सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में काफी रूचि है। लेकिन हम स्वयं ही अपनी धरोहरों के प्रति उतना सम्मान नहीं दिखाते।उद्हारण देते हुए उन्होंने बताया कि जिसे लोग टीबी वार्ड से पुकारते हैं वह सीताबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है। “जब हम टीबी वार्ड कहते हैं तो कोई ध्यान नहीं देता। लेकिन, जब हम उसे सीताबाड़ी कहते हैं तो सब उस जगह को दूसरे नजरिये से देखने लगते  हैं।

चंबा को ही बनाये टूरिस्ट हब

चंबा में पर्यटन की असीम संभावनाओं पर टिपण्णी करते हुए प्रेम सागर ने कहा, “जो हमारी खासियत है, उसे हम अपनी ताकत बनाए। चंबा मे पानी के अथाह स्रोत  हैं। पुराने मकान हैं जो प्रकृति की गोद में बसे हैं। उन्हें टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित किये जाने की जरुरत है। अगर हम ऐसा कर पाएंगे तो आने वाले दिनों में हमें पीछे मुड़कर देखने की जरुरत नहीं है।”

हमारे व्यवहार में झलके हिन्दुस्तान

प्रेम सागर ने कहा कि जब भी कोई विदेशी पर्यटक चंबा आये तो उसे हम बेहतर सुख सुविधाएं दें, सम्मान दें, और सुरक्षा का माहौल दें। उनके अनुसार, “उसका आतिथ्य ऐसे करें कि वह चंबा और भारत की एक सुखद तस्वीर लेकर वापस जाए, जिससे भारतीयता पूरी दुनिया में पहुंचे। इससे वह वापस आएगा और साथ और लोगों को भी इस धरती पर जाने के लिए प्रेरित करेगा। हम चंबा आने वाले पर्यटकों को इस तरह की हॉस्पिटैलिटी दें कि पर्यटक यहाँ और रुकना चाहे। इन छोटी छोटी मगर ईमानदार कोशिशों से हम चंबा में पर्यटन को अपने स्तर पर ही एक उंचाई तक पहुंचा सकेंगे।”

कैसे जुड़ सकते हैं आप ‘चम्बा फर्स्ट’ से

आप अपने विचार, लेख, हिमवाणी को editor[at]himvani[dot]com पे भेज सकते हैं। इसके इलावा Facebook और Twitter द्वारा भी अपने विचार रख सकते हैं। जब भी आप अपने विचार प्रकट करें, #ChambaFirst टैग का अवश्य इस्तेमाल करें, जिससे साड़ी कड़ियाँ जुड़ सकें।

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