Sanskrit Spirit Machinery Revolution : राष्ट्रपति कोविंद ने संस्कृत भाषा को भारत की आत्मा बताया है.
Sanskrit Spirit Machinery Revolution : संस्कृत केवल अध्यात्मिकता, दर्शन या साहित्य के लिए ही उपयोगी नहीं है इसे गणितीय समस्याओें के समाधान और मशीनी भाषा सीखने के लिए भी उपयुक्त माना गया है.
लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के 17 वें दीक्षांत समारोह में देश के प्रथम पुरुष राष्ट्रपति कोविंद ने भी संस्कृत भाषा को भारत की आत्मा बताया.
उन्होंने कहा कि अनेक विद्वान भी यह मानते हैं कि नियमबद्ध, सूत्रबद्ध और तर्कपूर्ण व्याकरण पर आधारित संस्कृत भाषा एल्गोरिथम लिखने में सबसे कारगार साबित होती है.
यही नहीं संस्कृत भाषा न केवल साहित्य बल्कि विज्ञान की परंपरा में हमारे बौद्धिक विकास के लिए सबसे असरदार अध्याय होता है.
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कई भाषाओं की जननी कही जाने वाली संस्कृत भाषा आर्यभट्ट, वराह मिहिर, भास्कर, चरक और सुश्रुत जैसे वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने अपने महत्वपूर्ण कार्यों को भी संस्कृत में ही किया था.
यानि ऐसा कहा जा सकता है कि संस्कृत भाषा केवल अध्यात्म, दर्शन, भक्ति, कर्म-कांड, साहित्य और ज्ञान-विज्ञान की रचना की ही भाषा नहीं है.
यह गणित, कंप्यूटिंग जैसे क्रांति लाने वाले आवश्यक मशीनों की भाषा के रुप में भी महत्वपूर्ण है, जैसे कंप्यूटर या यंत्र की प्रोग्रामिंग की भाषा का रुप.
बता दें कि योग दुनिया भर में विशेष ख्याति अर्जित कर रहा है, जिसका मूल ज्ञान संस्कृत से ही लिया गया है.
वहीं आयुर्वेद भी अपनी मूल भाषा यानि संस्कृत के साथ विश्वभर में लोकप्रियता का परचम लहरा रहा है.
संस्कृत के सन्देश फैलना विश्व कल्याण के लिए उपयोगी है. इसलिए राष्ट्रपति ने इसे जन -जन की भाषा बनाने के आह्वान पर जोर भी दिया.
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