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मोदीजी क्या व्यापारियों को पेंशन दी जायेगी? - EDITOR NEERAJ KUMAR

नोटबंदी की वजह से दो महीने के भीतर कई व्यापारियों की दुकानें व्यापार बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं, क्या व्यापारियों को पेंशन दी जायेगी? 

नोटबंदी में सारे देश की जनता ने मोदीजी का भरपूर सहयोग दिया है| मोदीजी अब इस समय उन लोगों की ओर ध्यान न दें जो कालाधन को सफ़ेद करने में सफ़ल रहे| क्योंकि करोड़ों लोगों के दिल में भ्रष्टाचार रग-रग में बस चुका था| लोगों में धारणा घर कर गयी थी कि पैसा होगा तभी इज़्ज़त होगी| रिक्शावाला से लेकर अरबपति सभी के लिए पैसा ही भगवान हो गया था| और इन बीस साल में सच में पैसा ही भगवान हो चुका था, पैसा है तो आप भगवान नहीं तो हैवान  कहला रहा था, इंसान| इस ज़माने में जो भ्रष्ट लोग हो गये थे, उनके आगे-पीछे सारी दुनिया चल रही थी, अगर आपने कहा कि मैं ईमानदार हूँ, तो लोग आपको गालियॉं दे रहे थे| पूरी तरह से उल्टी गंगा बह रही थी| 

लोगों ने ईमानदारी में जीकर देखा तो उसमें नसीहतें, गालियॉं, ज़लालत, हिकारत, मुफ़लिसी, यही मिल रहा था| बहुत अच्छा हुआ कि मोदीजी ने नोटबंदी कर दी, इससे लोगों को एहसास तो हो गया कि जो पैसा भगवान माना जाता था, उसी पैसों पर चोंट की जा सकती है| कुछ लोग तो कह रहे हैं कि मोदीजी ने हम जनता पर डाका डाला है और हमारी मेहनत का सारा धन छीन लिया है|
मगर हम तो कहते हैं कि नोटबंदी के कारण हमारा शुद्धि-स्नान हुआ है| शुद्धि-स्नान हम तब करते हैं जब हम पर छिपकली चढ़ जाती है| जब हम गोश्त को छू लेते हैं| या गोश्त ग़लती से खा लेते हैं| धन से छुटकारा दिलाकर मोदीजी ने सारे देश को शुद्धि-स्नान कराया है| धन से इंसान, पशु समान होता चला जा रहा था, धन के लिए वह दूसरे इंसान को काट खा रहा था, व्यापारियों की नीयत पूरी तरह से ख़राब हो चुकी थी| लोग माल लेकर पैसा नहीं दे रहे थे| लाखों लोगों का माल हड़पकर लाखों लोगों का धंधा दूसरे व्यापारी लूट चुके थे| वे लोग माल लेकर बेचकर उस पैसे से गुलछर्रेबाज़ी कर रहे थे, बड़े क्लब में शरीक होकर अय्याशी कर रहे थे| खुले तौर पर वेश्यावृत्ति चल रही थी| जिसमें नगर के बड़े से बड़े सेठ फँस रहे थे|

ज़्यादती इतनी बढ़ गयी थी, लोग दूसरों की बर्बादी चाह रहे थे| जो उधार माल देने की ग़लती करके आत्महत्या भी कर रहा था तो इनको लेश मात्र भी अफ़सोस नहीं हो रहा था,उस मरे हुए इंसान पर लोग ज़ोर-ज़ोर से राक्षसों की तरह हँसकर यही कहा करते थे कि साला ईमानदार था, इसीलिए कुत्ते की मौत मारा गया| उधार पर माल लेकर पैसा नहीं लौटाने वाले एक तरह से वे दूसरों के हत्यारे हो गये थे| लेकिन वे लोग औरतख़ोरी, गुलछर्रेबाज़ी, क्लबख़ोरी, डांडिया के खेल में मदमस्त हो रहे थे, रिसाोर्टगिरी में लिप्त हो गये थे| इसकी जड़ में क्या था केवल पैसा ही तो था, उसी पर मोदीजी ने धमाकेदार चोंट कर दी और अब हालत यह है कि लोग हाथ ख़ाली फ़त्ते ख़ान बनकर बैठे हुए हैं|
आपको पता है पिछले पॉंच साल से एक लाख की साड़ी तो क्या, एक लाख रुपये का ब्लाउज़ भी बिक रहा था, ख़ुद मोदीजी ने दस लाख का सूट पहना था, अब दस लाख का सूट प्रधानमंत्री पहनते हैं तो आम जनता ने तो क्या-क्या नहीं किया होगा? लेकिन प्रधानमंत्री ने एक बात तो अतिउत्तम की थी, वो ये कि उन्होंने अपनी माता को सरकारी ख़र्च पर नहीं रखा| नहीं तो प्रशासन के सौ एक लोग माता को देखने में ही लग जाते| और सरकार का करोड़ों रुपया तो उसी में लगता रहता| एक बार राष्ट्रपति कलाम साहब ने भी तर्कसंगत बात उठाई कि राष्ट्रपति भवन में भी सौ कमरे की आवश्यकता नहीं है| मोदीजी ने न ही अपने सगे भाई को साथ में दिल्ली में ला लिया| जितने ईमानदार मोदीजी हैं उतने ही ईमानदार देश के करोड़ों व्यापारी भी हैं| आठ नवंबर से लेकर ३१ दिसंबर २०१६ तक व्यापारियों ने भी बहुत कुछ सहा है, इतना सहा है जिसकी कोई हद नहीं है, अपना सोना गिरवी रखकर घर चलाया है| क्योंकि नौ नवंबर के दिन से सारे व्यापारियों ने कहना शुरू कर दिया कि अब आपका बिल जो बक़ाया है वह सीधे एक जनवरी के बाद ही मिलेगा, उस दिन से घर के राशन के लाले पड़ गये| लोगों ने दिवाली के तुरंत बाद दिवाला देखा, शादियों के सीज़न में एक बहुत अच्छी बात यह हुई कि जो दो करोड़ की शादी करने वाले थे, वे एक करोड़ में ही करने लग गये, उनको इज़्ज़त बचाने के लिए नोटबंदी का बहाना बन गया, मोदीजी को गालियॉं देने लेगे कि उनकी वजह से सारा बेड़ागर्क हो गया है| लेकिन मोदीजी हम आपको दिल जिगर जान से चाहते हैं कि शादियों में इस बहाने फ़िज़ूलख़र्ची तो कम हो गयी| डेकोरेशन तो सौ में से पचास पैसे का रह गया|
मोदीजी मगर हम आपसे एक प्यारा सा सवाल पूछते हैं आदरणीय, माननीय, सम्माननीय मोदीजी, जिन व्यापारियों ने ८ नवंबर से ३१ दिसंबर तक आपका जी-जान जोखिम में डालकर साथ दिया है| क्या आप भी उनका साथ देंगे| क्या आप व्यापारियों में जो यजमान यानी दुकान का मालिक होगा, जो आपको आगे से भरपूर टैक्स देगा, क्या उसे आप पेंशन देंगे| क्या टैक्स ज़्यादा लेकर जैसे सरकारी नौकर का पीएफ़ जमा होता है क्या उसी तरह आप व्यापारियों को पेंशन जैसा कुछ दिया करेंगे| क्योंकि व्यापारी आदमी ने आपका भरपूर साथ दिया है| हरेक को इन पचास दिनों में इतना ज़्यादा क़र्ज़ हो चुका है जिसकी हद नहीं, दुकानों के नौकरों की तनख़्वाह व्यापारियों ने अपने घर की महत्त्वपूर्ण बचत से निकालकर दी है| मुझ जैसे फ़कीर को एक लाख तीस हज़ार का क़र्ज़ हो चुका है, क्योंकि पचास दिन में कम से कम पैंतीस दिन तक मुझे बोहनी तक नहीं हुई, बाज़ार में लोग ही नहीं थे, ग्राहकों की जगह पर मक्खियॉं लोग मार रहे थे, दुकानों में चाय के पैसे देने तक नहीं थे,
इधर हमारे आपके अपने घर की चोर बीवियॉं जो पति से पैसा बचाकर ५००-१००० के नोट छिपाकर रखे थे, उसी बीवी के कालाधन से पचास दिन तक घर चलता रहा,  पति बेचारे की चोर-चोट्टी बीवियॉं ही अंत में जाकर पति की लाज बचाने में कामयाब हुई अगर हमारी महान चोट्टी बीवियॉं पैसा नहीं बचाती तो पति तो आत्महत्या ही कर लेता, इसलिए हम क्षमा चाहते हैं कि ये पतियों के लिए चोट्टियॉं थीं लेकिन बाद में जाकर तो यही बीवियॉं संकटमोचक निकलीं, पति की उद्धारक निकलीं, घर की सच्ची लक्ष्मी निकली, हे माते तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम| परात लाओ, उसपर बीवी के पैर रखकर उसके पैर धोकर ख़ुद उस पानी को पिओ और देखो की पत्नी कितनी काम की निकली है|
परमादरणीय मोदीजी, लेकिन इंसान इस समय पूरी तरह से शक्तिहीन होकर भी देश के साथ चलता रहा, लोगों ने अपने आँसुओं पी लिये, आपकी ख़ातिर, आपको एक महात्त्मा माना, दिल से माना, क्योंकि लोग चाह रहे थे कि एक बार ये सत्तर साल का कचरा साफ़ हो जाये तो हम और हमारी नयी पीढ़ी चैन से रह पायेगी| हम तो चाहते हैं कि आप व्यापारी के लिए, जो व्यापारी पच्चीस साल तक व्यापार करके टैक्स चुकाता है, उसको पच्चीस साल के बाद कम से कम तीन हज़ार से पॉंच हज़ार की पेंशन हर महीने देने का कष्ट करें, क्योंकि प्रधानमंत्री की नज़र में सभी लोग एक समान होते है, चाहे सरकारी अधिकारी हो या व्यापारी हों| एक बात आपको बतलाये देते हैं कि व्यापारी बर्बाद होता है तो सारी दुनिया उसकी हँसी उड़ाती हैं, और पिछले दस साल में अच्छे से अच्छे व्यापारी की बर्बाद उसी वजह से नहीं हुई कि वो व्यापार करने में कमज़ोर रहा,बल्कि ग़लत लोगों को माल देने की वजह से हुई, सामने वाले के दिल में खोट है यह ईमानदार व्यापारी समझ ही नहीं पाये थे|
दूसरे व्यापारियों की बुरी नीयत की वजह से महल वाले लोग फ़ुटपाथ पर आ गये और इन पचास दिनों में व्यापारियों की जितनी बुरी गत हुई है वह कोई मुँह खोलकर बता नहीं रहा है, क्योंकि लोग यह भी दबी ज़ुबान में कहते हैं कि मोदीजी वैसे तो अच्छे व्यक्ति हैं लेकिन उनकी व्यापारियों पर कृपा दृष्टि कम ही कम से कम अब तक दिखाई दे रही है|   


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