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नोटबंदी का बहुत फ़ायदा हुआ है - EDITOR NEERAJ KUMAR

नोटबंदी का बहुत फ़ायदा हुआ है लोगों का ख़ून चूस कर धन संचय करने की आदत कम हुई है, अब सरकार को वंचित लोगों का भला करना चाहिए 

नोटबंदी के बाद महँगाई आश्‍चर्यजनक तरीक़े से कम हो गयी है, टमाटर पॉंच रुपये किलो हो गये थे, सड़कों पर फेंके जा रहे हैं, टमाटर सस्ते इसलिए हो गये कि दरअसल इसका सही दाम यही हुआ करता था, ये तो बिचौलिये थे जो इसका काम दाम बहुत ज़्यादा करने जनता को लूटा करते थे, अरहर-तुअर की दाल के दाम आश्‍चर्यजनक तरीक़े से कैसे नीचे आ गये, क्योंकि नोटबंदी के कारण लोगों ने महँगी दाल ख़रीदना बंद कर दिया था, तो व्यापारियों ने सोचा कि इतनी महँगी दाल बेचेंगे तो कोई लेगा नहीं, लोग दूसरी दालें खा लेंगे, और हमारी अरहर की दुकानें बंद हो जाएँगी, फिर लोगों ने या कहिए कालाबाज़ारियों ने झक मारकर नोटबंदी के कारण दाल को सस्ती कर दी और आज दाल सत्तर रुपये से लेकर केवल नब्बे रुपये में बेच रहे हैं, जबकि नोटबंदी के पहले यही दाल १६० रुपये से लेकर २५० रुपये किलो तक बिक रही थी| कालाबाज़ारी लोग अब लहसुन के दाम बढ़ा रहे हैं, ये वे ही कालाबाज़ारी करने वाले लोग है जो बाज़ार में किसी न किसी तरह का षड़यंत्र किया करते रहते हैं| 

बड़े शर्म के साथ कहना पड़ता है कि आम जनता भी अपने घर के एक कमरे में कालाबाज़ारी कर रही है, जनता मिर्च हल्दी, लहसुन, प्याज़ के थैले भरकर रखते हैं और जैस ही दाम बढ़ते हैं वे माल बेचकर हर महीने इस तरह के अनाज पर ही पॉंच से दस हज़ार रुपया कमा लिया करते हैं| यह लोगों की अच्छी ख़ासी साइड इनकम हो गयी है, लेकिन लोगों का रक्त चूसकर वे यह काम कर रहे हैं| अब आम जनता इस तरह के घृणित कृत्य पर उतारू हो जाये तो सरकार कहॉं तक नियंत्रण कर सकती है, इसलिए महान आत्मा मोदीजी ने सभी कालाबाज़ारियों की लुटिया डुबोते हुए सौ सुनार की तो एक लुहार की कहकर नोटबंदी इस तरह से  कर दी कि सभी की अ़क्ल ठिकाने लगा दी है|

आजकल तो एक अजीब बात  हो गयी है कि लोगों के मन में एक झूठ अपनेे आप घर कर रहा है कि नोटबंदी से सरकार को कोई फ़ायदा नहीं हुआ है और नोटबंदी करने की स्कीम पूरी तरह से फ़ेल हो गयी है| जबकि लोगों ने यह बात अपने ही आप मन में ख़याली पुलाव की तरह तैयार कर ली है| कुछ बैंक की धांधलियों, पैसे को पीछे से एकस्चेंज करने की वजह से लोग समझ बैठे हैं कि यह स्कीम फ़ेल हो गयी है| ये अफ़वाह वही लोग फैला रहे हैं जिनके पैसे नदी में डूब गये हैं, या वे लोगों को भटका रहे हैं कि मोदीजी ख़राब नेता है, लेकिन महान लोगों के साथ इस तरह की छोटी बातें होती रहती हैं, मोदीजी आगे बढ़िये हम आपके साथ हैं| क्योंकि हमारी पीढ़ियों ने बहुत ही ईमानदारी से जीवन बिताया है, धन संयम से भ्रष्टाचार, व्यभिचार, ही बढ़ता है, हिंसा बढ़ती है, इसलिए मोदीजी ने धनिक लोगों बुरी तरह कंगाल कर दिया है, वह बहुत ही उम्दा काम किया है|
बैंकों ने क़र्ज़ में आठ लाख तक तीन प्रतिशत की राहत देकर बहुत अच्छा काम किया है| अब लोगों में धन संचय करने की आदत कम हो गयी है| लोग अब कमाये हुए पैसे को ख़र्च कर रहे हैं नहीं तो किसी ज़रूरतमंद को पैसा दे रहे हैं| नोटबंदी के पहले लोगों की हर पैसे के व्यवहार में नीयत ख़राब हो गयी थी| लोग दूसरों से पैसा लेकर वापस नहीं दे रहे थे और लोगों का ख़ून चूस कर पैसा जमा करने में लगे हुए थे| लोग अथाह संपत्ति जमा कर रहे थे, अथाह ज़ेवर ख़रीद रहे थे, अथाह ज़मीन जायदाद ख़रीद रहे थे| बेहिसाब ब्याज पर पैसा देकर उनका ख़ून चूसकर पैसा अर्जित कर रहे थे और मज़े उड़ा रहे थे| पॉंच से लेकर दस प्रतिशत पर ब्याज पर पैसा देकर लोगों को पीट रहे थे, उनके साथ हर हिंसक कृत्य कर रहे थे और सुपारी देकर लोगों को मौत के घाट भी उतार रहे थे|
जहॉं धन की अति हो जाती है वहॉं पर नीयत बुरी तरह से ख़राब हो जाती है, भाई, भाई का जानी दुश्मन हो जाता है, माता-पिता को भी सड़क पर फेंकने का काम करने लग जाते हैं| गांधीजी ने एक बहुत पते की बात कही थी कि मेरा देश जब तक सुखी नहीं रह सकता है जब तक मेरे देश का सबसे ग़रीब आदमी चैन से नहीं रहे, उसे दो व़क्त की ईमानदारी की इज़्ज़त की रोटी, आसानी से नहीं मिल जाये, ठीक यही काम धमाकेदार तरीक़े से मोदीजी ने करके दिखाया है, नोटबंदी कर दी है, लोग तो अब पैसे को देखकर घबरा रहे हैं, क्योंकि नोदबंदी के बाद बहुत ही मज़ेदार बातें सामने आ रही है कि दो हज़ार की नोट दो साल में बंद हो जायेगी, ये हो जायेगा, वो हो जायेगा, मोदीजी अब इतने अच्छे तानाशाह हो गये हैं कि उनका बस चले तो आज रात को दो हज़ार की नोट बंद कर सकते हैं, नोट नहीं हो गये हैं शेयर बाज़ार का सूचकांक हो गया है| कभी भी कुछ भी हो सकता है| मोदीजी यही चाहते हैं कि लोग पैसों को राक्षसों की तरह संचित नहीं करे, पैसे को जन कल्याण के लिए ही बाहर निकाले ईश्‍वर जिनको अथाह धन दे रहा है, वो उन्हें वंचितों में बॉंटे, हॉं हमारे देश में हज़ारों वर्षों से वंचितों को कुछ नहीं मिल पाया है, मैं शर्तिया रूप से कहता हूँ कि भारत की जनता का स्वभाव इस तरह का रहा है कि यहॉं कि साठ प्रतिशत जनता मुँह मरी जनता है, वो बस चैन से जीना चाहती है, क्रांति के स्वर उनके निकलते ही नहीं है, यहॉं के लोग रामचरित मानस में लिखित नीति के दोहों पर ही सारा जीवन गुज़ार देते हैं, उत्तर प्रदेश में आज भी आप किसी से रामचरित मानस की कुछ चौपाइयॉं कहिए आपको सम्मान से बैठाकर भोजन कराया जाता है| लोग क़ुरान की पाक-पवित्र बातों पर ही सारा जीवन गुज़ार देते हैं, लोग बाइबिल में जो माफ़ करने की अथाह शक्ति है उसी पर सारा जीवन गुज़ार देते हैं| नाइंसाफ़ी बुरी तरह से सहते हैं लेकिन कभी भी पलटकर वार नहीं करते थे और न ही कभी करेंगे| इनकी ये सदियों की ख़ामोशी रही, ये ख़ामोशी में भी यही सोचा करते थे, कि किस दिन ये भारत से सारा अन्याय ख़त्म होगा, किस दिन लोग ईमानदारी से भरपूर पैसा कमाएँगे, क्योंकि पिछले साठ साल से भारत का यह सिद्धांत हो गया था, कि जो पूरा सच बोलेगा, वो केवल दो व़क्त की रोटी बहुत ही मुश्किल से जी तोड़ मेहनत करके कमा पायेगा, और जो झूठ बोलेगा वह बहुत तेज़ी से पैसा कमाएगा, श्री ४२० फ़िल्म में यह बात बहुत ही अच्छी तरह से बतायी गयी थी| देश का चालीस प्रतिशत समाज उस बेईमानी की ओर मुड़ गया| जो लोग बहुत ही ख़ामोश क़िस्म के लोग थे, जो कुछ नहीं कर सकते थे वे आज़ादी के बाद से हमारे देश से दूसरे देश जाने लग गये थे, क्योंकि यहॉं पर सामंतवाद बहुत तेज़ी से जड़े जमा चुका था, वो ये था कि दूसरे का हक़ मारना दूसरे की तनख़्वाह बहुत कम देकर अपने बंगले संपत्ति बनाना, अपने बंगला लेना, नौकर को एक झोपड़ी भी नसीब नहीं होने देना मरते दम तक, आज़ादी के सत्तर साल के बाद हम आज़ाद तो बिल्कुल नहीं हुए बल्कि बुरी तरह से ग़ुलामों से ही बदतर होते चले गये, गले तक क़र्ज़ में डूबे हुए माता-पिता क़र्ज को बच्चे को विरासत में छोड़कर जाते चले गये| इस तरह के उजाड़ जीवन से निजात पाने के लिए मोदीजी ने भारत की जनता को नोटबंदी करके बहुत ही सुंदर अवसर दिया है|
भारत की जनता को पहली बार ऐसा लग रहा है कि हम आज़ाद हुए हैं, हम अमीरों के उन कोड़ों से मुक्त हो रहे हैं, जो पैसे कमाने के लिए वे जल्लादों की तरह हम पर बरसाया करते थे| हम वो बंधुआ मज़दूरी से आज़ाद हो रहे हैं जो वे लोग अपने अंपायर को क़ायम रखने के लिए सदियों से चला रहे थे| कमर तक झुककर सलाम करना, और अपनी आत्मा तक को गिरवी रखने की जो बेबसी थी, मोदीजी ने उससे हमें मुक्त करवा दिया है| क्योंकि महँगाई कम हो चुकी है, धन संचय की अति गंदी प्रवृत्ति कम हो चुकी है, अब आप काला धन नहीं रख सकते हैं, अब सबकुछ सफ़ेद धन के रूप में दिखाई देगा| अब रामचंद्रजी के दिन आ गये, अब गांधीजी के दिन आ गये, अब कबीर के दिन आ गये, साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाये, मैं भी भूखा न रहूँ साधु भी भूखा न जाये, हमारे शास्त्रों में भी लिखा हुआ था कि हमें जितना ज़रूरत हैं हम धन कमाएँ धन बच जाये तो उसे दान कर दें|
भारत में सदा से साठ प्रतिशत जनता ईमानदार रही और चालीस प्रतिशत जनता बेईमान रहकर इस साठ प्रतिशत जनता पर हुक्म चलाती थी, कोड़े चलाती थी, ज़लील करते थी, प्रताड़ित करती थी| इस साठ प्रतिशत जनता को वंचित रखा दूसरे चालीस प्रतिशत जनता ने, इन लोगों ने मासूम लोगों का रक्त बुरी तरह से चूसा है, ये साठ प्रतिशत लोग नौकरियों में ज़लालत सहते रहे| सारा जीवन नौकरी में झक मारने पर इनके एक झोपड़ी तक नसीब नहीं हो सकी है, पीढ़ियों की पीढ़ियॉं इसी तरह गुज़र गयी हैं| पहले ऐसा था कि एससी एसटी को नौकरियॉं नहीं मिलती थीं, अब तो ब्राह्मण और ऊँची जातियों  को नौकरियों से बुरी तरह से वंचित होना पड़ गया है| अब समय आ गया है कि ऊँची जातियों की ओर से नौकरियॉं देना का सिलसिला शुरू किया जाना चाहिए| अब तो ऊँची जाति के लोग बुरी तरह से वंचित होकर बैठे हुए हैं|
मोदीजी आपकी नोटबंदी के इस क़दम से हम बहुत ख़ुश हैं, क्योंकि महँगाई कम हो गयी है, अब पेट्रोल के दाम, स्कूल की फ़ीस, बिजली के बिल, सारी गंदी चीज़ें कम कर दीजिए और हमें और ज़्यादा रहने का सौभाग्य दीजिए, नोटबंदी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद| वो समय ला दीजिए जहॉं ज्ञानी दोबारा सम्मानित हो, और धनिक व्यक्ति अपनी औक़ात में रहें| वरना धनिक ने विद्वानों की छाती पर बैठकर उसे सताया था|     


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