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मोदीजी कालाधन की परिभाषा कैसे करेंगे

मोदीजी कालाधन की परिभाषा कैसे करेंगे, अपने आपको आप देश के ग़रीब नागरिकों के साथ जोड़कर देखिये, जो आपके पास धन है उससे हिसाब लगाकर देखिये कि कालाधन क्या है, तब पता चल जायेगा कि आपके पास कितना काला धन है 



जैसे-जैसे नोटबंदी के दिन बढ़ते जा रहे हैं लोग दूसरे लोगों से सवाल कर रहे हैं और अपने दिल और मन से भी पूछ रहे हैं कि मेरे पास जो धन है वह कालाधन है या सफ़ेद धन हैं? एक पत्रकार के नाते मैं आपसे नैतिक सवाल करता हूँ कि आपके पास जितना धन है क्या उतना ही भारत के आम नागरिक के पास है| एक आम आदमी की महीने की तनख़्वाह छह हज़ार से एक लाख रुपये तक हो सकती है, लेकिन क्या छह हज़ार रुपये जिसकी तनख़्वाह है क्या वो चैन से जी पा रहा है| अगर नहीं जी पा रहा है, तो आपके पास अगर तीस लाख से अधिक का धन है वह काला धन है| सरासर कालाधन है, आपके पास के तीस लाख यानी दस लाख के ब्याज से भोजन, दस लाख के ब्याज से रखरखाव और बचे दस लाख के भोजन से कपड़े लत्ते, यानी एक व्यक्ति के लिए तीस लाख पर्याप्त होते हैं, क्योंकि आजकल हरकोई दस साख शेयर-म्युचुअलफ़ंड में डालता है, या उसके मेच्योर होकर दस लाख हो चुके हैं, दस लाख वह बैंक में हमेशा रखता है, दस लाख वह यहॉं-वहॉं या सोने हीरे के रूप में, कार के रूप में रहते ही हैं| पति के लिए तीस लाख, पत्नी के लिए तीस लाख, बच्चों के लिए बीस लाख-बीस लाख| सो, ये हो गया एक करोड़ रुपया| लेकिन भारत की जनता के पास आज की तारीख़ में एक-एक करोड़ से कहीं अधिक धन मौजूद है|

आज हर मध्यमवर्ग घर के पास दो-दो करोड़ रुपया है, एक करोड़ के दो मकान, एक करोड़ की ज़मीन, एक करोड़ प्रेमिका और अवैध संतान या कहीं और| यानी जो अतिरिक्त एक करोड़ रुपया है वह सरासर कालाधन है, आप कितने भी दावे कर लें कि वो सारा धन हम वाइट में बतला सकते हैं लेकिन नैतिक रूप से सोचकर देखिये कि आपका भारतवासी जिस तरह से तिल-तिल करके पैसा कमा रहा है, क्या वह जीवन में सुरक्षित है, क्या वह मर जाये तो अपनी मय्यत के पैसे आराम से जुटा सकता है, उसके परिजन जुटा सकते हैं, क्या वह हार्टअटैक से पीड़ित हो जाये तो हार्टअटैक की फ़ीस दे सकता है|
एक सच्ची बात बताता हूँ कि आज जो लोग सरकारी नौकरी कर चुके हैं वे अगर अस्सी साल के हो चुके हैं तो वे लोग बीस साल से तो सरकारी पेंशन खा रहे हैं| और जो लोग बड़ी पोस्ट पर रह चुके हैं उनके पास तो क़रीब बीस साल की पेंशन से ही एक करोड़ रुपया जमा हो चुका है| उनकी महीने की पेंशन चालीस हज़ार रुपया आ रही होगी| बीस साल में दो सौ चालीस महीने होते हैं| दो सौ चालीस महीने को चालीस हज़ार प्रतिमाह की पेंशन से भाग देकर देखिये, कितना हो गया, एक करोड़ रुपया आराम से हो जाता है| यानी पेंशनर के पास एक करोड़ जो जमा हुआ है वह सारा का सारा कालाधन ही हो गया है|

अब आप पूछेंगे कि जिस पर हमने टैक्स दिया है वह कैसे कालाधन हो सकता है| हॉं, यह सच है कि आपके पास एक करोड़ जमा हो चुका है, और सारा ख़र्च तो आपका ग्रैचुएटी फ़ंड के ब्याज से ही चल रहा है, प्रोविडेंट फ़ंड से चल रहा है| वो भी तो आपको तीस लाख से पचास लाख से लेकर अस्सी लाख रुपये तक मिल चुका है| रिटायर्ड होते ही भोजन का परहेज़ शुरू हो जाता है, तीन रोटियों से अधिक भोजन नहीं खा सकते हैं| पनीर गटक नहीं सकते, तंदूरी चिकन मुँह से फाड़ नहीं सकते| एक क्वार्टर शराब की बोतल से अधिक शराब नहीं पी सकते हैं| साठ के बाद तो मुँह में दॉंत नहीं, पेट में आँत नहीं वाला हाल हो जाता है| आपका, आपकी पत्नी का ख़र्च महीने का बीस हज़ार से अधिक नहीं होता है| क्योंकि मकान तो आपका अपना है| यानी महीने की चालीस हज़ार में से बीस हज़ार की पेंशन तो बैंक में जमा हो रही है| लेकिन आपने कभी देखा कि एक भारत के नागरिक को  औसतन महीने की छह हज़ार रुपया तनख़्वाह मिला करती है| मान लीजिए भारत का आम नागरिक दिन भर में पचास पत्थर तोड़ने का काम करता है, या ज़ेवर में दो सौ कुंदन लगाता है तो तब जाकर उसे दो सौ रुपया मिलता है| मान लीजिए वह दो सौ कुंदन लगाने के बजाय एक सौ पचास कुंदन लगातार शरीर से पूरी तरह से थक जाता है, और अगर बाद के  पचास कुंदन जान जलाकर लगाता है तो आपके सामने आपके ही देश का नागरिक कितनी मेहनत से पैसा कमा-कमाकर खा रहा है, और आप अस्सी साल की उम्र में बड़े मज़े से चालीस हज़ार रुपये की पेंशन खा रहे हैं, और पेंशन का दाम भी बढ़ता ही चला जाता है| तो आप अपने ही देश के नागरिक के साथ अप्रत्यक्ष रूप से यह विरोधाभास, उसके टैक्स दिये गये पैसे को पेंशन के रूप में गटक रहे हैं, आपकी कार के आईने को खटखटाने वाले भिखारी को आप पेंशन पाकर भी दुत्कार रहे हैं, क्योंकि उसने पढ़ाई नहीं की, पढ़ाई करने से वंचित रह गया, जी हॉं, उसी वंचित भिखारी को न्याय दिलाने के लिए श्री श्री श्री नरेंद्र दामोदर मोदीजी ने नोटबंदी के द्वारा पता लगाया कि आख़िर किस-किस के पास अनावश्यक धन बैंकों में पड़ा है, किसने अपनी पत्नी के अलावा प्रेमिका को भी एक आलीशान फ़्लैट लेकर बेनामी संपत्ति के रूप में पैसा भेंट में दिया है| किसकी एक नहीं पॉंच-पॉंच प्रेमिकाएँ हैं| किस-किस की दस दस अवैध सन्तानें हैं जो कालेधन पर मौज कर रही हैं|
जिन लोगों ने नैतिकता से भारत की पूरी जनता के बारे में नहीं सोचा, वही महान काम, वही पुनीत काम मोदीजी ने कर दिखाया है यह कम से कम कहें तो बहुत ही परोपकार का काम है| आप कहिए कि जितना सरकारी नौकर पेंशन से धन कमा चुका है, क्या आज उतना ही धन एक देश का जवान सिपाही देशरक्षा में मर जाता है तो उसके परिवार वाले को एक करोड़ रुपया नसीब होता है, क्या जवान पत्रकार, जवान पुलिसवाला, जवान वकील, जवान नेता उतना धन पाता है, मतलब यह कि आप अस्सी साल जी गये तो आपके पास धन अकूत मात्रा में जमा हो जायेगा, नहीं अगर जवानी में मर गये तो आपकी पत्नी, बच्चे तड़प-तड़पकर जीते रहेंगे| इस तरह की खाई को पाटने के लिए मोदीजी ने नोटबंदी जैसा कड़क क़दम उठाया है|
व्यापारी लोग भी अपने हर धन को जायज़ बताने की कोशिश दिन रात करते रहते हैं, हॉं ये सच है कि पैसा ख़ून पसीना एक करके कमाया जाता है और व्यापारी की मौत पर कुत्ता भी नहीं रोता है, लेकिन जो लोग अति धन को रखते हैं वे तो कालाधन ही जमा कर रहे होते हैं, भारत में पचास लाख महिलाएँ और पुरुष हैं जो एक करोड़ रुपया तो ब्याज पर चलाया करते हैं, वो ब्याज पर धन उन्हीं को देते हैं जो ख़ून पसीने से धन कमाता है, उसकी जान लेकर भी धन को वसूला करते है, फिर कालाधन भी बहुत शान से रखा करते हैं लेकिन उन्हें नैतिकता से सोचना चाहिए कि नरेंद्र मोदीजी ने इसी खाई को पाटने के लिए हरेक से धन का हिसाब लिया है, आश्‍चर्य की बात यह है कि लाखों लोगों ने यह काम किया कि अपना सारा कालाधन ईमानदारी से जमा करा दिया है, यह सोचकर कि धन का जो हो, हमने ईमानदार मोदीजी को पैसा दिया है, वह पैसा का बँटवारा सही हाथों में करेंगे, इसे लोगों की देशभक्ति कहना चाहिए कि जो पाप उनसे हो रहा था, वह समय रहने उस पाप से छुटकारा पा गये, लेकिन आश्‍चर्य की बात यह भी है कि हज़ारों लाखों लोगों ने अपने कालेधन को जला दिया है, कि हम इसके भोगी न हो तो सरकार भी इसकी भोगी न बने, ग़रीब भी इसका लाभार्थी न हो, यह कैसी सोच है, यह तो बहुत ही डरावनी सोच है कि लोग ग़रीब को पनपने ही नहीं देना चाह रहे हैं|
मोदीजी के इस क़दम से लोगों के काले दिल पूरी तरह से खुलकर सामने आ गये हैं| आज सारे लोग मेहनत से इतने अच्छे हो गये हैं कि हरेक के घर में लोग सुबह घर बंद करके चार-चार लोग बाहर कमाने जाते हैं तो महीने के कम से कम एक लाख रुपया लेकर आ रहे हैं और कुछ घरों में तो महीने का तीन से पॉंच लाख घर पर आ रहा है, यह अति धन क्या हो रहा है, उन कालेधन के मालिकों की जेब भर रहा है, या भ्रष्टाचारियों को काफ़ी आक्रामक बना रहा है| इसी से बेज़ार होकर बिल गेट्स ने संपत्ति दान कर दी, मध्यमवर्ग तो अति धन का हमेशा से बेहद भूखा रहा है, और देखा गया है कि मध्यमवर्ग को धन आता रहता है तो वे क्रूर से क्रूरतम होते चले जाते हैं| जो लोग साइकिल पर मेहनत करते हुए धन कमाकर महान काम कर चुके हैं, उनके पास आज दो करोड़ का घर और संपत्ति हो गये हैं तो भी वह धन उन्हें कम लग रहा है, यह पैसों का पागलपन नहीं तो और क्या है, इस तरह के अनैतिक धन से हर भारत के नागरिक को बचना चाहिए| अल्पधन दुख देता है, लेकिन अतिधन कभी सुख नहीं देता, शास्त्रों में कहा गया है कुटुंब से बढ़कर धन मिल जाये तो दान कर देना चाहिए| और दान करके इस हाथ की बात उस हाथ को नहीं होनी चाहिए|
जिन लोगों ने छब्बीस हज़ार में घर ख़रीदा था, मालिक की मेहर से उनके दाम दो करोड़ रुपये हो गये हैं, वे लोग क्या करेंगे इस अनैतिक धन का, हैरत तो इस बात की होती है कि जो अति धन को ताना देकर कहा करते थे कि क्या ये अतिरिक्त धन कफ़न में बॉंधकर अपने साथ ले जाओगे, वे ही लोग अब धन की लोलुपता, धन के पागलपन में इस क़द्र डूबे हुए हैं कि ऐसे में नरेंद्र दामोदर मोदी ने जो भारी भरकम हथोड़ा मारा है, वह सही समय पर मारा है, मोदीजी ने ख़ुद तो धन कभी भी जमा नहीं किया, यह भी उनकी महानता है, उन्होंने बहुत ही सटीक बात कही है हम तो झोला उठाकर आये हैं, झोला उठाकर चले जाएँगे, मनुष्य को अपना शरीर धन कमाने में झोंकने से बेहतर है कि समाज सेवा में लगा देना चाहिए| और मोदीजी सरीखा जीवन जीना चाहिए| चिदंबरम के बेटे की तरह जीवन नहीं जीना चाहिए, रॉबर्ट वार्डा की तरह नहीं जीना चाहिए, कम से कम जयप्रकाश नारायण की तरह जीना चाहिए, गांधीजी की तरह जीना चाहिए, लोहियाजी की तरह जीना चाहिए| अटल बिहारी वाजपेयी की तरह जीना चाहिए| रामसुखदासजी महाराज की तरह जीना चाहिए, एकदम पवित्र, निश्छल, निष्कपट जीवन| मोदीजी ने नैतिकता का जो बिगुल बजाया है, वह पूरी तरह से फलीभूत हो, हम मोदीजी को शुभकामनाएँ देते हैं|    




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