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बहुत सारा धन शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही है




बहुत सारा धन और बहुत सारी शोहरत कमाने के लिए नयी पीढ़ी अपना जीवन बर्बाद कर रही आज का जवान लड़का बहुत सारा काम तो कर रहा है, लेकिन उसे मनचाहा पैसा नहीं मिल रहा है।



जिससे वह बहुत ही छटपटा रहा है। जवान लोग जवान होते ही विदेश भाग रहे हैं, बेचारे वहाँ पर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहाँ वे सोलह से अट्ठारह घंटे मेहनत कर रहे हैं तब जाकर उनका मनचाहा पैसा मिल रहा है, लेकिन फिर उनपर पैसे का भूत इस क़दर सवार हो रहा है कि वे अपना जीवन जीना ही भूल जाया करते हैं, दिन-रात पैसे की हाय-हाय में ही सारा जीवन गुजार रहे हैं। बेचारे वहाँ पर अपना बच्चा चला जाता है जब वह केवल २२ साल का होता है, और वहाँ से कमाना शुरू करता है तो वह घर वालों की पूरी तमन्नायें पूरी करने करने के बाद तीस या पैंतीस साल में जाकर शादी करता है, और अंत में वह भारत आने से मना कर देता है, इसलिए बहुत सारा पैसा कमाता है तो वहीं का होकर रह जाता है, वह उस तरह के वर्क कल्चर में पूरी तरह से समा जाता है, फिर उसी में उसका सारा जीवन रम जाया करता है। इधर भारत में रहने वाला जवान भी बहुत ही परेशान हैं, आजकल अमीर घर के बच्चे ज़्यादा परेशान हो गये हैं। कुछ लड़के पिता का पैसा लेकर टीवी चैनल चला रहे हैं जो डायरेक्ट इंटरनेट पर तो आ रहा है लेकिन उसे देखने वाले बहुत ही कम लोग हो गये हैं। उस चैनल पर वह लड़का दर्शकों से मिन्नतें करता है, उनसे रिकवेस्ट करता है कि लोग उसका चैनल देखें वह कहता है कि मेरे चैनल को अच्चे लाइक दीजिए लेकिन बहुत ही कम लोग वह चैनल देख पा रहे हैं, चैनल की चकाचौंध में लड़का अपनी शोहरत से तो ख़ुश होता है कि उसकी फोटो चैनल पर आ रही है लेकिन उसे पैसा नहीं मिल पा रहा है। जिससे वह क़र्ज में डूब जा रहा है, अपने मातापिता का पैसा बर्बाद कर रहा है।
आजकल बहुत सारे फिल्मों के चैनल हो गये हैं, और बहुत सारे न्यूज चैनल भी हो गये हैं यह सारे चैनल, टीवी पर नहीं, केवल इंटरनेट पर ही दिखाई देते हैं, इन सब को नौजवान ही इंटरनेट पर चला रहे हैं, इंटरनेट पर चलाने के लिए पैसा तो नहीं लगता है, लेकिन शूटिंग करने में भागादौड़ी बहुत करनी पड़ती है। दिन-रात एक कर देना पड़ता है। लेकिन दिन ब दिन यह आस और यह अरमान बढ़ता ही चला जाता है कि मेरा चैनल एक दिन बहुत ही सुपरहिट हो जायेगा और मेरा नाम दुनिया भर में हो जायेगा। बच्चे बहुत मेहनत भी कर रहे हैं, लेकिन उनको परिणाम नहीं मिल रहा है, क्योंकि जो लोग टीवी के चैनल या इंटरनेट के चैनल देखते हैं उन लोगों के पास आॉलरेडी इतना सारा काम है कि वह मनोरंजन करे तो कितना करे, एक आदमी एक या बहुत हुआ दो घंटे तक चैनल देख सकता है, उसके बाद वह काम पर चला जाता है, इस समय फिल्म के चैनल इंटरनेट पर सैकडो की संख्या में हो गये हैं, एक प्रेस कॉफ्रेंस होती है तो दुनिया भर के चैनल और रिपोर्टर आ जाते हैं, और जो इवेंट वाला होता है वह चैनल वाले ही सौ या डेढ़ सौ की संख्या में देखकर घबरा जाता है, कि इतने लोगों को भोजन कैसे कराऊँ। इधर चैनल चलाने वाला लड़का अपने जीवन के पाँच से लेकर दस साल इस तरह के काम में लगा देता है, और उसको अंत में कुछ भी नहीं मिल पा रहा है, अंत में वह बहुत ही जीवन से दुखी हो जाता है, और अंत में जाकर कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लेता है, आज हो क्या गया है कि बहुत सारे पतियों की पत्नियाँ, या कहिए पत्नियों के पति इसी तरह के काम में समय खपा रहे हैं जिससे होता क्या है कि सारा घर चलाने का बोझ पति पर आ जाता है या नहीं तो पत्नी पर आ जाता है, या पति कर्जे में पढ़ जाता है या नहीं तो पत्नी कर्जे में पड़ जाया करती है, जिसका भयंकर परिणाम यह होता है कि औरत या मर्द जिस्मफ़रोशी के धंधे में भी लग जाया करते हैं, बिज़नेस की असफलता और क़र्जे को पूरा करने के चक्कर में ही वह जिस्मफ़रोशी का धंधा करने लग जाते हैं।

या नहीं तो अमीर लड़के को पटाकर उससे जिस्मफ़रोशी कर लेते हैं। जिससे उनका जीवन तलाक की नौबत पर आ जाता है और तलाक हो जाता है, हर जवान
लोगों का घर इसी तरह से आजकल बर्बादी की कगार पर पहुँच गया है। कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि कैरियर को किस तरह से चलाया जाये, क्या करें, कहाँ जाकर चलें दौड़े और कहाँ जाकर सके। आजकल के लड़के बहुत बड़े-बड़े जोखिम उठा रहे हैं, एक एक काम करने में उन्हें ३६ घंटे लगातार लग जाते हैं, एक इवेंट मैनेजर को एक प्रोग्राम ड़िजाइन करने में बहुत सारा समय लग जाता है, जिसके कारण उसका जीवन बुरी तरह से हराम हो गया है, बाद में कई सारी मेहनत करने के बाद उसका उसे सिला नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण वह जवानी में ही भयंकर रोगों का शिकार हो जाता है, आजकल डिप्रेशन नाम की बीमारी हो गयी है जो लगभग हर नौजवान को लग चुकी है, कहीं न कहीं आकर वह डिप्रेशन का शिकार हो जा रहा है। आज हर लड़का माइकल जैकसन बनना चाहता है, शाहरुख़ ख़ान बनना चाह रहा है, फ़रहा ख़ान की तरह कोरियोग्राफ़र से डायरेक्टर बनना चाह रहा है, होता क्या है कि हर दस हज़ार लड़को में एक लड़के की किस्मत चमक जाती है तो बाक़ी के ९९९९ लोग उसी की तरह बनने में अपने जीवन के पाँच से दस साल लगा दिया करते हैं, फिर जब वे ३० साल या ३६ साल के हो जाते हैं तो थक हारकर नयी नौकरी ढूँढने जाते हैं तो उन्हें केवल बीस हज़ार की नौकरी मिल पाती है, क्योंकि आजकल आपकी काम करने की ताक़त कूवत कम हो जाती है तो लोग आपको कम पगार पर रखा करते हैं। जिससे उनकी पूरी की पूरी जवानी बिना कुछ हासिल किये गुजर जाती है और अंत में जाकर वे एक हारे हुए जीवन की निशानी बनकर रह जाते हैं, इससे बच्चों से ज़्यादा दुख उनके माता-पिता को होता है, कि हाय मेरा बच्चा या बच्ची इतनी सारी मेहनत करके भी कुछ हासिल नहीं कर पाये हैं। हर जगह पर युवाओं के बीच में गला काट प्रतियोगिता हो गयी है। पहले लोग स्कूल खोला करते थे, अब तो गली-गली में दुनिया भर के स्कूल हो गये हैं। लड़कियाँ कुकिंग क्लासेस चला रही हैं। लड़के फिल्मी गीतों की कोरियोग्राफ़ी कर रहे हैं। इससे उन्हें दस से बीस से पचास से एक लाख रुपया मिल जाता है, लेकिन पक्का नहीं हो पा रहा है कि वह पैसा आज मिलेगा या कल मिलेगा या चार महीने के बाद मिलेगा। ये कोरियोग्राफ़र शादियों में कोरियोग्राफी संगीत कार्यक्रम के लिए करते हैं, अब शादियों का सीज़न आता है तो कोरियोग्राफ़र का काम बहुत चलता है, लेकिन परेशानी हो गयी है कि भारतीय मुहूर्त के अनुसार एक ही दिन या दस दिन के भीतर ही लाखों शादियाँ हो जाती है, तो कोरियोग्राफ़र को केवल एक या दो या चार प्रोजेक्ट ही मिल पा रहे हैं। जिससे कारण वह साल भर में तीन या चार लाख रुपया ही कमा पा रहा है, यानी हिसाब लगाया जाये तो महीने के हिसाब से तीस हज़ार रुपया ही मिल पा रहा है, जिससे वह खुश नहीं है। कुछ कोरियोग्राफ़र तनख्वाह के तौर पर बहुत सारे कोरियोग्राफ़र रख लेते हैं लेकिन उनका तनख्वाह देना भी बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कोई भी क्लाइंट या कहिए पार्टी यानी कस्टमर पक्का नहीं होता है, कल को उसी क्लाइंट की लड़की या लड़का कोरियोग्राफ़ी करना सीख जाता है तो वही वह काम ले लेता है, जिससे दूसरे का काम ख़राब हो जाता है। हर सुबह दुनिया बहुत ही तेज़ी से बदल रही है, हाथ आया हुआ काम दूसरा छीनकर ले जाता है, जिससे बहुत ही बेचैनी दिन ब दिन बढ़ती ही चली जा रही है। आज सबसे बड़ी परेशानी यह हो गयी है कि सभी की कमाई तीस हज़ार के आसपास ही लटक कर रह गयी है, या बहुत से बहुत पचास हज़ार रुपये ही होकर रह गयी है, जिससे घर चलना मुशिक्ल हो गया है क्योंकि उनके ख़र्चे बहुत ही बढ़ गये हैं।




और जवान लड़कों को एक शहर से दूसरे शहर को जाना पड़ रहा है, जिसके कारण वे दिन-रात मेहनत तो कर रहे हैं लेकिन वे पैसे की बचत ही नहीं कर पा रहे हैं। वे अपने माता-पिता से राय भी नहीं ले रहे हैं कि कहाँ पैसे बचाऊँ या कैसे बचाऊँ माता-पिता बहुत अच्छी राय दे सकते हैं लेकिन बच्चे माता-पिता की हर राय को बुरी तरह से हँसी में उडा रहे हैं, जिससे उनका ही जीवन आगे नहीं बढ़ पा रहा है,क्योंकि ये बच्चे दूसरों की सक्सेस स्टोरी यानी दूसरों की सफलता की कहानी देखते हैं तो उसका पीछा करना शुरू कर देते हैं, और भगवान ने तक लिखा है कि समय से पहले और किस्मत से ज़्यादा नहीं मिलता है, लेकिन आजकल अंग्रेज़ी की किताबें और लेक्चर हम देखते
दस हज़ार मिलती है, वह भी केवल तीसरी चौथी या दसवीं कक्षा के बच्चे को पढ़ाने की इतनी भारी फ़ीस मिलाकरती है। यह काम तो आपकर ही सकते हैं। इसी तरह हम चार टयूशन कर लेते हैं तो केवल हम २० साल की उम्र में ही कम से कम २० हज़ार रुपया कमा सकते हैं। और एक ही साल में एक लाख की मोटरसाइकिल भीले सकते हैं। आजकल दुनिया बदल गयी है आपको अपनी १८ साल की उम्र से ही मेहनत करनी शुरू कर देनी चाहिए। सबसे ज़रूरी बात यह है कि पैसा कमाते हैं तो बचाना भी बहुत ही ज़रूरी होता है, इसलिए बहुत ज़रूरी है कि माता-पिता का पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए, अपनी चादर जितनी है उतने ही पैर पसारने चाहिए। जब परिंदे को नये-नये पंख या पर लगते हैं तो वह आसमान तक उडना चाहता है लेकिन वह एक जगह जाकर रुक जाता को अपनी लिमिट समझनी चाहिए। नौजवानों को भी पंख लगते हैं तो वह आसमान छूना चाहता है लेकिन अंत में जाकर औधे मुँह ज़मीन पर आकर गिर जाता है। याद रहे धीरे-धीरे प्रगति करें आराम से रहें, हड़बड़ी करके पिता का पैसा बर्बाद न करें।










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